आपका-अख्तर खान

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16 फ़रवरी 2020

एक वक़्त आया जब ,,वर्तमान केंद्र सरकार से तंग चार सुप्रीमकोर्ट के जजों ने ,सुप्रीमकोर्ट की इजलास ,,चेंबर से बाहर आकर ,,,देश के सामने एक प्रेसकॉन्फ्रेंस की ,

एक वक़्त आया जब ,,वर्तमान केंद्र सरकार से तंग चार सुप्रीमकोर्ट के जजों ने ,सुप्रीमकोर्ट की इजलास ,,चेंबर से बाहर आकर ,,,देश के सामने एक प्रेसकॉन्फ्रेंस की ,,देश के हालातों पर टिप्पणी करते हुए ,देशवसियों से लोकतंत्र खतरे में बताकर ,,लोकतंत्र को बचाने की मार्मिक ,बेबसी ,लाचारी भरी गुहार लगाई , यह देश में क़ानून व्यवस्था की क्रियान्विति ,सरकार की कार्यशैली में मनमानी ,देश के बिगड़े हालातों की पराकाष्ठा थी ,,लेकिन दुबारा सरकार आने पर तो हालात और बदतर हो गए ,सुप्रीमकोर्ट के आदेशो की सरकार ,सरकार के नियुक्त अधिकारीयों को परवाह नहीं ,,सुप्रीमकोर्ट के जस्टिस को फिर वही सरकार के आगे लाचारी वाली ,बेबसी वाले दहाड़ सुनाना पढ़ी ,,सुप्रीमकोर्ट के चीफ जस्टिस अरुण मिश्रा ,, का कथन ,देश में क़ानून नहीं बचा ,,पैसे के दम पर हमारे आदेश रोके जा रहे है ,, कोर्ट को बंद कर दो अब देश छोड़ना ही बेहतर है ,,देश की सरकार की क्रियान्विति हालातों पर देश के सर्वोच्च न्यायालय के एक जज की यह तीखी टिप्पणी ,,केंद्र सरकार उसके कार्य सम्पादन के लिए चुल्लू भर डूब मरने वाली बात है ,,लोकतंत्र में सुप्रीमकोर्ट की अहमियत सर्वाधिक है ,लेकिन जब सुप्रीमकोर्ट बेबस ,,लाचार ,असहाय होकर चीख उठे , हमारे आदेश रोके जा रहे है ,,सुप्रीमकोर्ट बंद कर दो , अब देश छोड़ना ही बेहतर है ,तो देश में तानाशाही ,,मनमानी हरकतों की पराकाष्ठा की सीमाएं पार हो जाती है ,,देश में इन हालातों पर असहमति जताने वाले लोगों के खिलाफ एक गुंडाई गिरोह द्वारा हमले किये जाते ,है उनकी मोब्लिचिंग होती है , उन्हें गालियां बकी जाती है ,गद्दार कहा जाता है ,, धर्म आधारित टिप्पणियां होती है ,देश छोड़कर पाकिस्तान जाने की सलाह दी जाती ,है पाकिस्तानी तक क़रार दे दिया जाता है ,,, पहनावे के आधार पर चिन्हित किया जाता है ,यह सब टपोरी लोग कहे तो समझ में आता है , लेकिन लोकतंत्र के संरक्षक ,शपथ लेकर देश को निष्पक्ष ,संवैधानिक दायरे में चलाने वाले लोग , शीर्ष पद पर बैठे सर्वोच्च पद से भी अगर ऐसा कहा जाने ,लगे तो लोकतंत्र के पास लाचारी ,बेबसी ,,और खून के आंसू रोने के सिवा कोई दूसरा चारा नहीं बचता ,है , ज़रा सोचिये ,कल्पना कीजिये ,,एक सुप्रीमकोर्ट जो फांसी की सज़ा को अंतीम क्रियान्वित करती है ,जो विभिन्न हालातों में देश के क़ानून पलटने का अधिकार रखती है ,जो देश के लोकतंत्र में आम लोगों के लिए इन्साफ की आखरी उम्मीद है , वोह सुप्रीमकोर्ट अगर ऐसी बेबसी लाचारी की घोषणा करे ,तो सोच लेना चाहिए ,, हालातों को प्रदर्शन सुप्रीमकोर्ट ने किस तरह से महसूस किये है फिर तो देश के आमनागरिक की हालत खुद ब खुद लोगों को समझलेना चाहिए ,,एक गिरोह ,जिनके अल्फ़ाज़ों में नफरत है ,,बदला है ,,मोब्लिचिंग ,है धर्म आधारित सियासत , संविधान विरोधी भाषा ,,लोकतंत्र विरोधी हरकतें है ,क़ानून तोडना ,,बकवास करना ,गालियां बकना उनके संस्कार ,है हो सकता है वोह सुप्रीमकोर्ट की उपेक्षा ,करे उलाहना करे ,, लेकिन यही बात सलमान खान ,शाहरुख खान ,जावेद ,नसरुद्दीन शाह कहते ,है तो कहते है ,पाकिस्तान चले जाओ ,,देश छोड़ जाओ ,गद्दार हो ,, टिप्पणियां करते ,है और देश के राष्ट्रपति ,देश के प्रधानमंत्री ऐसी असहमति के खिलाफ टिप्पणीकार गद्दार लोगों को गिरफ्तार नहीं करवाते है ,,, देश में असहमति के खिलाफ बेहूदगी की पराकाष्ठा के हालात देश के सामने है ,, देश में भुखमरी ,गरीबी ,आर्थिक तंगी ,महँगाइ , आर्थिक अराजकता ,, बदज़ुबानी ,,नफरत की बयानबाज़ी ,, अलोकतांत्रिक तानाशाही ,,,मनमानी ,, सहमति बनाने के खिलाफ अराजकता का माहौल सभी के सामने है ,प्रधानमंत्री खुद इसे देखरहे है , अब खुद को बदलना चाहिए ,जो गलतियां हुई उन्हें देखकर अभी भी सुधार का वक़्त है ,, प्रधानमंत्री साहिब को वर्तमान हालातो में ,,देश को फिर से बदलने ,सुधारने के प्रयास के लिए सर्वदलीय बैठक के साथ ,देश के खिलाफ बदले ,,गुस्से , नफरत ,बदज़ुबानियों से अलग होकर ,सर्वदलीय बैठक बुलाकर सर्व्वमान्य व्यवस्थाओ के साथ ,प्यार , मोहब्बत ,,क़ानून का राज सभी के लिए निष्पक्ष ,,सभी धर्मों के लिए निष्कर्ष ,छोटे बढे ,अमीर गरीबों के लिए निष्पक्ष रूप से स्थापित करने की व्यवस्थाएं बनाना चाहिए ,अभी कुछ नहीं बिगड़ा ,यह देश महान है ,इन आर्थिक तंगी के हालातों से उबरना देश के लिए एक जुट हो जाने पर दाए हाथ का खेल है ,लेकिन इसके लिए ,, देश के सुप्रीमो जिसे देश ने लोकतंत्र का रक्षक बनाया है ,उसे खुद को बदलना होगा ,, बड़बोले चाहे सांसद हो चाहे विधायक चाहे भक्तजन उन्हें जेल में डालना होगा ,,पदमुक्त करना होगा ,, क़ानून का राज स्थापित करना होगा ,बदले की भावना ,नफरत का भाव खत्म कर ,, सभी का साथ ,सभी का विकास ,एक कार्ययोजना बनाकर ,, आगे बढ़ना होगा ,,, उद्योगों में ,रोज़गार सरकार में रोज़गार ,आर्थिक कुशल प्रबंधन की तरफ सलाहकारों को साथ लेकर ,सर्वदलीय बैठकों के साथ आगे बढ़ना होगा ,,,, देश में अब मधुर संवादों की ज़रूरत है ,, क़ानून के राज की ज़रूरत है ,, लेकिन क्या प्रधानमंत्री साहिब ,, देश के लोगों के लिए ,लोकतांत्रिक मूल्यों के साथ ,बिना नफरत की राजनीति के आर्थिक सुधार ,,रोज़गार के अवसर ,सुशासन के लिए अपने ही लोगों से आज़ाद है ,उनका स्वतंत्र अस्तित्व है ,अगर सुप्रीमकोर्ट की इस गंभीर टिप्पणी के बाद उन्होंने खुद को बदल लिया ,कार्यशैली में लोकतान्त्रिक पुठ ,, क़ानून के राज की पकड़ ,, निष्पक्ष कार्यवाही अमल लाये तो शायद ,उनका देश को बचाने की तरफ महत्वपूर्ण क़दम होगा ,और उनके इस क़दम का देशवासियों को स्वागत कर कंधे से कंधा मिलाकर साथ देना होगा ,लेकिन पहले वोह इस तरफ क़दम तो उठाये , हम उनके हर ज़िम्मेदारीवाले लोकतनत्रिक क़दम के साथ खड़े मिलेंगे ,,प्रधानमंत्री ने कहा था दागियों को राजनीती में वोह जगह नहीं देंगे ,,जिनके खिलाफ मुक़दमे ,है उनके मामलों की सुनवाई फ़ास्ट ट्रेक कोर्ट स्थापित कर एक वर्ष में फैसला करवाएंगे ,लेकिन कल की सुप्रीमकोर्ट की टिप्पणी ,फैसला इस बात को गलत साबित करता ,है दुबारा चुनाव में और अधिक आपराधिक लोगों को टिकिट देकर निर्वाचित करवाया गया है ,, कहने और करने में फ़र्क़ होता है ,, साहिब ,अब जो कहो वोह करने का वक़्त है ,इस देश को बचाने का वक़्त है ,, बचाओगे ना साहिब ,आप शीर्ष पद पर है ,,निर्वाचित है ,हम आपको हटाने की बात नहीं कर रहे ,हम आपसे इस्तीफे की मांग नहीं कर रहे ,,हम आपको अपमानित भी नहीं कर रहे ,हम आपका सम्मान करते है ,बस यही इल्तिजा है ,वर्तमान हालातों से इस लोकतंत्र ,को बचा लो ,,इन्साफ का माहौल बना दालों ,,इस अराजकता के माहौल ,,आर्थिक अराजकता ,नफरत और बदज़ुबानियों से इस देश को बचालो ,,लोकतान्त्रिक असहमति की आज़ादी पर टिप्पणीकारों ,,हमलावरों के खिलाफ क़ानून बनाकर उन्हें जेल भिजवाकर शान्ति , अमन ,सुकून का माहौल बना डालो ,,,,,,,,,,,, अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

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