आपका-अख्तर खान

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17 फ़रवरी 2020

फिर जब मूसा का क्रोध शान्त हो गया, तो उसने लेख तख़्तियाँ उठा लीं,

151 ﴿ मूसा ने कहाः[1] हे मेरे पालनहार! मुझे तथा मेरे भाई को क्षमा कर दे और हमें अपनी दया में प्रवेश दे और तू ही सब दयाकारियों से अधिक दयाशील है।
1. अर्थात जब यह सिध्द हो गया कि मेरा भाई निर्देष है।
152 ﴿ जिन लोगों ने बछड़े को पूज्य बनाया, उनपर उनके पालनहार का प्रकोप आयेगा और वे सांसारिक जीवन में अपमानित होंगे और इसी प्रकार हम झूठ घड़ने वालों को दण्ड देते हैं।
153 ﴿ और जिन लोगों ने दुष्कर्म किया, फिर उसके पश्चात् क्षमा माँग ली और ईमान लाये, तो वास्तव में, तेरा पालनहार अति क्षमाशील दयावान् है।
154 ﴿ फिर जब मूसा का क्रोध शान्त हो गया, तो उसने लेख तख़्तियाँ उठा लीं, जिनके लिखे आदेशों में मार्गदर्शन तथा दया थी, उन लोगों के लिए, जो अपने पालनहार से ही डरते हों।
155 ﴿ और मूसा ने हमारे निर्धारित[1] समय के लिए अपनी जाति के सत्तर व्यक्तियों को चुन लिया और जब उन्हें भूकंप ने घेर[2] लिया, तो मूसा ने कहाः हे मेरे पालनहार! यदि तू चाहता तो इन सबका इससे पहले ही विनाश कर देता और मेरा भी। क्या तू हमारा उस कुकर्म के कारण नाश कर देगा, जो हममें से कुछ निर्बोध कर गये? ये[3] तेरी ओर से केवल एक परीक्षा थी। तू जिसे चाहे, उसके द्वारा कुपथ कर दे और जिसे चाहे, सुपथ दर्शा दे। तू ही हमारा संरक्षक है, अतः हमारे पापों को क्षमा कर दे और हमपर दया कर, तू सर्वोत्तम क्षमावान् है।
1. अल्लाह ने मूसा अलैहिस्सलाम को आदेश दिया था कि वह तूर पर्वत के पास बछड़े की पूजा से क्षमा याचना के लिये कुछ लोगों को लायें। (इब्ने कसीर) 2. जब वह उस स्थान पर पहुँचे तो उन्हों ने यह माँग की कि हम को हमारी आँखों से अल्लाह को दिखा दे। अन्यथा हम तेरा विश्वास नहीं करेंगे। उस समय उन पर भूकम्प आया। (इब्ने कसीर) 3. अर्थात बछड़े की पूजा।
156 ﴿ और हमारे लिए इस संसार में भलाई लिख दे तथा परलोक में भी, हम तेरी ओर लौट आये। उस (अल्लाह) ने कहाः मैं अपनी यातना जिसे चाहता हूँ, देता हूँ। और मेरी दया प्रत्येक चीज़ को समोये हुए है। मैं उसे उन लोगों के लिए लिख दूँगा, जो अवज्ञा से बचेंगे, ज़कात देंगे और जो हमारी आयतों पर ईमान लायेंगे।
157 ﴿ जो उस रसूल का अनुसरण करेंगे, जो उम्मी नबी[1] हैं, जिन (के आगमन) का उल्लेख वे अपने पास तौरात तथा इंजील में पाते हैं; जो सदाचार का आदेश देंगे और दुराचार से रोकेंगे, उनके लिए स्वच्छ चीज़ों को ह़लाल (वैध) तथा मलिन चीज़ों को ह़राम (अवैध) करेंगे, उनसे उनके बोझ उतार देंगे तथा उन बंधनों को खोल देंगे, जिनमें वे जकड़े हुए होंगे। अतः जो लोग आपपर ईमान लाये, आपका समर्थन किया, आपकी सहायता की तथा उस प्रकाश (क़ुर्आन) का अनुसरण किया, जो आपके साथ उतारा गया, तो वही सफल होंगे।
1. अर्थात बनी इस्राईल से नहीं। इस से अभिप्राय अन्तिम नबी मुह़म्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम हैं, जिन के आगमण की भविष्यवाणी तौरात, इंजील तथा दूसरे धर्म शास्त्रों में पाई जाती है। यहाँ पर आप की तीन विशेषताओं की चर्चा की गयी हैः 1. आप सदाचार का आदेश देंगे तथा दुराचार से रोकेंगे। 2. स्वच्छ चीज़ों के प्रयोग को उचित तथा मलीन चीज़ों के प्रयोग को अनुचित घोषित करेंगे। 3. अह्ले किताब जिन कड़े धार्मिक नियों के बोझ तले दबे हुये थे उन्हें उन से मुक्त करेंगे। और रसूल इस्लामी धर्म विधान प्रस्तुत करेंगे, और उन के आगमन के पश्चात् लोक-प्रलोक की सफलता आप ही के धर्म विधान के अनुसरण में सीमित होगी।
158 ﴿ (हे नबी!) आप लोगों से कह दें कि हे मानव जाति के लोगो! मैं तुम सभी की ओर उस अल्लाह का रसूल हूँ, जिसके लिए आकाश तथा धरती का राज्य है। कोई वंदनीय (पूज्य) नहीं है, परन्तु वही, जो जीवन देता तथा मारता है। अतः अल्लाह पर ईमान लाओ और उसके उस उम्मी नबी पर, जो अल्लाह पर और उसकी सभी (आदि) पुस्तकों पर ईमान रखते हैं और उनका अनुसरण करो, ताकि तुम मार्गदर्शन पा जाओ[1]
1. इस आयत का भावार्थ यह है कि इस्लाम के नबी किसी विशेष जाति तथा देश के नबी नहीं हैं, प्रलय तक के लिये पूरी मानव जाति के नबी हैं। यह सब को एक अल्लाह की वंदना कराने के लिये आये हैं, जिस के सिवा कोई पूज्य नहीं। आप का चिन्ह अल्लाह पर तथा सब प्राचीन पुस्तकों और नबियों पर ईमान है। आप का अनुसरण करने का अर्थ यह है कि अब उसी प्रकार अल्लाह की पूजा अराधना करो, जैसे आप ने की और बताई है। और आप के लाये हुये धर्म विधान का पालन करो।
159 ﴿ और मूसा की जाति में एक गिरोह ऐसा भी है, जो सत्य पर स्थित है और उसी के अनुसार निर्णय (न्याय) करता है।
160 ﴿ और[1] हमने मूसा की जाति के बारह घरानों को बारह जातियों में विभक्त कर दिया और हमने मूसा की ओर वह़्यी भेजी, जब उसकी जाति ने उससे जल माँगा कि अपनी लाठी इस पत्थर पर मारो, तो उससे बारह स्रोत उबल पड़े तथा प्रत्येक समुदाय ने अपने पीने का स्थान जान लिया और उनपर बादलों की छाँव की और उनपर मन्न तथा सल्वा उतारा। (हमने कहाः) इन स्वच्छ चीज़ों में से, जो हमने तुम्हें प्रदान की हैं, खाओ और हमने उनपर अत्याचार नहीं किया, परन्तु वे स्वयं (अवज्ञा करके) अपने प्राणों पर अत्याचार कर रहे थे।
1. इस से अभिप्राय वह लोग हैं जो मूसा (अलैहिस्सलाम) के लाये हुये धर्म पर क़ायम थे और आने वाले नबी की प्रतीक्षा कर रहे थे और जब वह आये तो तुरन्त आप पर ईमान लाये, जैसे अबदुल्लाह बिन सलाम इत्यादि।

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