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27 फ़रवरी 2020

वह समय याद करो जब अल्लाह अपनी ओर से शान्ति के लिए तुमपर ऊँघ डाल रहा था

11 ﴿ और वह समय याद करो जब अल्लाह अपनी ओर से शान्ति के लिए तुमपर ऊँघ डाल रहा था और तुमपर आकाश से जल बरसा रहा था, ताकि तुम्हें स्वच्छ कर दे और तुमसे शैतान की मलीनता दूर कर दे और तुम्हारे दिलों को साहस दे और (तुम्हारे) पाँव जमा दे[1]
1. बद्र के युध्द के समय मुसलमानों की संख्या मात्र 313 थी। और सिवाये एक व्यक्ति के किसी के पास घोड़ा न था। मुसलमान डरे-सहमे थे। जल के स्थान पर शत्रु ने पहले ही अधिकार कर लिया था। भूमि रेतीली थी जिस में पाँव धंस जाते थे। और शत्रु सवार थे। और उन की संख्या भी तीन गुना थी। ऐसी दशा में अल्लाह ने मुसलमानों पर निद्रा उतार कर उन्हें निश्चिन्त कर दिया और वर्षा कर के पानी की व्यवस्था कर दी। जिस से भूमि भी कड़ी हो गई। और अपनी असफलता का भय जो शैतानी संशय था, वह भी दूर हो गया।
12 ﴿ (हे नबी!) ये वो समय था, जब आपका पालनहार फ़रिश्तों को संकेत कर रहा था कि मैं तुम्हारे साथ हूँ। तुम ईमान वालों को स्थिर रखो, मैं कीफ़िरों के दिलों में भय डाल दूँगा। तो (हे मुसलमानों!) तुम उनकी गरदनों पर तथा पोर-पोर पर आघात पहुँचाओ।
13 ﴿ ये इसलिए कि उन्होंने अल्लाह और उसके रसूल का विरोध किया तथा जो अल्लाह और उसके रसूल का विरोध करेगा, तो निश्चय अल्लाह उसे कड़ी यातना देने वाला है।
14 ﴿ ये है (तुम्हारी यातना), तो इसका स्वाद चखो और (जान लो कि) काफ़िरों के लिए नरक की यातना (भी) है।
15 ﴿ हे इमान वालो! जब काफ़िरों की सेना से भिड़ो, तो उन्हें पीठ न दिखाओ।
16 ﴿ और जो कोई उस दिन अपनी पीठ दिखायेगा, परन्तु फिरकर आक्रमण करने अथवा (अपने) किसी गिरोह से मिलने के लिए, तो वह अल्लाह के प्रकोप में घिर जायेगा और उसका स्थान नरक है और वह बहुत ही बुरा स्थान है।
17 ﴿ अतः (रणक्षेत्र में) उन्हें वध तुमने नहीं किया, परन्तु अल्लाह ने उन्हें वध किया और हे नबी! आपने नहीं फेंका, जब फेंका, परन्तु अल्लाह ने फेंका। और (ये इसलिए हुआ) ताकि अल्लाह इसके द्वारा ईमान वालों की एक उत्तम परीक्षा ले। वास्तव में, अल्लाह सबकुछ सुनने और जानने[1] वाला है।
1. आयत का भावार्थ यह है कि शत्रु पर विजय तुम्हारी शक्ति से नहीं हुई। इसी प्रकार नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने रणक्षेत्र में कंकरियाँ ले कर शत्रु की सेना की ओर फेंकी, जो प्रत्येक शत्रु की आँख में पड़ गई। और वहीं से उन की प्राजय का आरंभ हुआ तो उस धूल को शत्रु की आँखों तक अल्लाह ही ने पहुँचाया था। (इब्ने कसीर)
18 ﴿ ये सब तुम्हारे लिए हो गया और अल्लाह काफ़िरों की चालों को निर्बल करने वाला है।
19 ﴿ यदि तुम[1] निर्णय चाहते हो, तो तुम्हारे सामने निर्णय आ गया है और यदि तुम रुक जाओ, तो तुम्हारे लिए उत्तम है और यदि फिर पहले जैसा करोगे, तो हमभी वैसा ही करेंगे और तुम्हारा जत्था तुम्हारे कुछ काम नहीं आयेगा, यद्यपि अधिक हो और निश्चय अल्लाह ईमान वालों के साथ है।
1. आयत में मक्का के काफ़िरों को सम्बोधित किया गया है, जो कहते थे कि यदि तुम सच्चे हो तो इस का निर्णय कब होगा? (देखियेः सूरह सज्दा, आयतः28)
20 ﴿ हे ईमान वालो! अल्लाह के आज्ञाकारी रहो तथा उसके रसूल के और उससे मुँह न फेरो, जबकि सुन रहे हो।

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