शर्म मगर उनको नहीं आती ,, कहावत नादान की दोस्ती ,,जी का जंजाल ,,वाली
कहावत भी सही साबित होती है ,,,पहले ,,नादान दोस्ती के शिकार ,,अरविन्द
केजरीवाल रहे ,,काफी परेशानी में उनके नादान दोस्त ,ने दुश्मन न करे
दोस्त ने वोह काम किया है ,,चरितार्थ की ,फिर यही नादान दोस्त ,नरेंद्र
मोदी ,अमित शाह के दोस्त बने ,,पलटी मारी ,,बकवासबाजी की ,,क़ानून चुप रहा
,,इलेक्शन कमीशन ने प्रतीकात्मक कार्यवाही की ,,चारों खाने ,लोकतंत्र में
बैलेट के मुक़ाबिल चित होकर गिर गए ,बस बोखलाहट थी ,,,आखिर भारत के नहीं
,देश के नहीं ,देशवासियों के नहीं ,नरेंद्र मोदी साहिब के दोस्त ,,ट्रम्प
भारत में आने वाले थे ,बस यह नादान दोस्त नादानी में लग गए ,,टाइमिंग तय
किया और ,,एक दिन पहले दिल्ली में शांतिपूर्ण प्रदर्शनकारियों को उकसाने के
लिए पहुंच गए ,,फसाद के हालात बनाये ,बकवासबाजी की और ,, शांतपूर्ण माहौल
उकसावे में बिगाड़ दिया ,,कुछ तो खुद प्रधानमंत्री जी ,उनके गृहमंत्री जी के
चुनावी भाषणों की गर्मी थी ,फिर रही सही इन नादाँ दोस्त साहिब ने विरोध के
नाम पर ट्रम्प के आने के एक दिन पहले विरोध समर्थन का विवाद कर दिया ,हालत
बिगड़े , ट्रम्प फिर दिल्ली आने वाले थे ,,आखिर ट्रम्प की यात्रा के दिन
फिर हंगामा ,देश के हालत बिगड़ गए ,दिल्ली जो देश का दिल है ,राजधानी है
,,भड़क गयी ,आगजनी ,फ़सादात ,पत्थरबाज़ी हुई ,,प्रधानमंत्री ,,गृहमंत्री सहित
पूरे देश को सच पता है ,, फ़ुरक़ान ,,रतन सिंह तो इस फसाद में मोत के शिकार
हुए ,कई घायल हुए ,,लेकिन बकवास बयानबाज़ी हुई ,,साज़िश सुप्रीमकोर्ट में
हालत बिगाड़ कर बताने की ,सी ऐ ऐ के खिलाफ बुलंद आवाज़ को दबाने की शुरू हुई
,जो दलाल पत्रकार चौरसिया ,दीपक वगेरा सारी कोशिशों के बावजूद भी ,,आंदोलन
के खिलाफ सुप्रीमकोर्ट के समक्ष माहौल नहीं बना पाए थे ,वोह फिर अपनी
प्रवक्तागिरि नौकरी चाकरी पर खड़े हो गए ,एक राजधर्म जिसके हाथ में पुलिस है
,,उन्हें जो राजधर्म निभाना चाहिए वोह नहीं निभा पाए ,,पत्रकारिता शर्मसार
सी हुई ,हारने के बाद की बोखलाहट चरमसीमा पर पहुंची ,लेकिन जो कुछ हुआ वोह
बुरा हुआ ,,देश हमारा अपना है ,,धैर्य संयम ,,हमारी ज़रूरत है ,,वर्तमान
हालातों में हिंसा ,भड़काऊ बातें ,,पत्थरबाज़ी सिर्फ तबाही का रास्ता है ,,
शांतिपूर्ण दो महीने का आंदोलन बदनाम करने की साज़िश है ,,,भाईचारा सद्भावना
बिगाड़ने की कोशिश है ,,,सोची समझी साज़िश है ,,,इन सब के बावजूद भी अगर देश
ईमानदारी से ,इस ट्रम्प यात्रा के पूर्व ,, ट्रम्प यात्रा के दिन ऐसे
हालात बनाने के लिए उकसाने ,प्रयासकरने ,भड़काने वाले की पहचान कर ईमानदारी
से उससे जेल नहीं भेजे ,,,खुद अगर नहीं भेज सके तो ,सुप्रीमकोर्ट के जज से
ईमानदारी से ,इन हालातों की जांच समीक्षा करवाने के बाद जो भी इस मामले
में दोषी निकले उसे फ़ासी पर लटकाने की कार्यवाही सरकार करे ,,,निष्पक्ष
जांच सुप्रीमकोर्ट के जज की अध्यक्षता वाली समिती में हो ,, और इस भड़काऊ
उकसाऊ कार्यवाही के पीछे जो भी मास्टरमाइंड के खिलाफ साक्ष्य मिल जाये तो
उसे बिना किसी रियायत के सख्त से सख्त सज़ा मिले ,इस जांच में चुनाव ,चुनाव
के बाद की सभी लोगों की बयानबाज़ी ,,मीडिया की भूमिका ,,डिबेट में बैठने
वाले ,,,प्रवक्ता दलाल ,,मिडिया दलालों की सच ,झूंठ ,,रिपर्टिंग ,,पुलिस की
भूमिका और दोनों पक्ष के दंगे भड़काने वाले लोगों की भी जांच की जाकर
,,उन्हें ऐसा सबक़ सिखाया जाए जो देश ही नहीं विश्व भी देखे ,,,क्या ऐसा हो
सकेगा ,या फिर नादान की दोस्ती जी का जंजाल ,,दुश्मन न करे दोस्त ने वोह
काम किया है ,,,वाली कहावत के बाद भी ,,पक्षपात होगा या फिर निष्पक्ष
कार्यवाही होगी ,,,जो भी हो लेकिन देश के सामने बताया जाना चाहिए
,,सुप्रीमकोर्ट के जज की अध्यक्षता वाली जांच में दूध का दूध पानी का पानी
होना चाहिए ,,, जाँच में की अधिकारी हो ,कोई मंत्री हो ,कोई प्रधानमंत्री
हो ,,कोई पूर्व मंत्री हो ,कोई महिला हो ,बच्चा हो ,,,छात्र हो ,,जो भी हो
उसे बख्शना नहीं चाहिए उसके कोई प्रोटेक्शन नहीं मिलना चाहिए ,,क़ानून देश
के हर नागरिक ,चाहे किसी भी पद पर वोह नियुक्त हो ,या किसी भी पद पर न हो
,उसके खिलाफ कार्यवाही होना ही चाहिए ,,,,क्यों जनाब ,,अख्तर खान अकेला
कोटा राजस्थान
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
दोस्तों, कुछ गिले-शिकवे और कुछ सुझाव भी देते जाओ. जनाब! मेरा यह ब्लॉग आप सभी भाईयों का अपना ब्लॉग है. इसमें आपका स्वागत है. इसकी गलतियों (दोषों व कमियों) को सुधारने के लिए मेहरबानी करके मुझे सुझाव दें. मैं आपका आभारी रहूँगा. अख्तर खान "अकेला" कोटा(राजस्थान)