ऐ मेरे समाज के हमदर्दों ,,मेरी कॉम के नो निहालों , नो रत्नों ,,तुममे और
मुख़्तार अब्बास नक़वी ,,शाहनवाज़ में क्या फ़र्क़ है ,,वोह भी तालियां बजाते
है ,तुम भी हक़ संघर्ष छोड़कर सिर्फ तालियां ही तो बजा रहे हो ,, इसके एवज़
में तुम्हे सरकारी गाड़ियां सुविधाएं ,,मंत्री पद ,,संसदीय सचिव पद
,कॉर्पोरेशन बोर्ड की चेयरमेन शिप से ज़्यादा क्या मिल जाएगा ,लेकिन ज़रा
सोचो ,तुम्हारे अपनों की जो तुम्हे कंधो पर ले जाएंगे उनकी हक़ तलफी देखकर
,तुम्हारी चुप्पी तुम्हारे ज़मीर को क्या तकलीफ नहीं होती ,शायद होती
हो ,शायद ज़मीर मर गया हो ,क़दमों पर बैठने और जी हुज़ूरी की आदत मत बनाओ
प्लीज़ ,,,ज़रा सोचो ,,समझो ,,अपने ही लोगों के हक़ हुक़ूक़ छीनने पर तोड़ मरोड़
कर तारीफें कर ,,तालियां मत बजाओ ,,, खुदा के सिवा ,तुम्हारे ऐशो आराम
,,तुम्हारी खुशियां ,,तुम्हारी इज़्ज़त कोई दूसरा शख्स छीन नहीं सकता ,सिर्फ
खुदा के खौफ से डरो ,,अपनों के साथ इंसाफ करो ,अपनों के साथ हो रही ,ठगी
,न इंसाफ़ी के खिलाफ संघर्ष करो ,,,पहले समझाओ ,,,ज़िद करो ,हक़ देने की
कार्ययोजनाए तैयार करो ,, फिर भी अगर नहीं माने तो आँखों में आँखे डाल कर
बात करो ,,अभी भी कुछ नहीं बिगड़ा है ,,अभी तो विधानसभा चलेगी ,अभी तो बजट
पर बहस होगी ,,अभी भी पूरक मांगे उठाई जाएंगी ,,अभी भी बजट अंतिम रूप से
पारित होने के पहले ,अगर तुमने ठान ली तो जो हक़ दिया जाना ज़रूरी था ,,जिस
हक़ हुक़ूक़ का इन्तिज़ार था ,वोह अभी नहीं भी दिया है तो क्या ,,अभी इस बजट
में जोड़ा जा सकता है ,,एक चिठ्ठी सिर्फ तीन कॉलम की ,वोह भी पांच साल
पुरानी ज़रूरतों की ,उससे कुछ नहीं होगा ,मेरे हमदर्दो ,मेरे सम्मानियों
,मेरे नो रत्नों , प्लीज़ तुम अंदर हो इसलिए बहुत कुछ कर सकते हो ,तुम
हमारे नाम पर ही तो वहां हो ,,इसलिए अपने फ़र्ज़ को भी निभाओ ,जो बाहर है
,जिन्हे अभी कुर्सी ,सरकारी गाड़ी ,,सरकारी ज़िम्मेदारियों का इन्तिज़ार है
वोह भी तालियां पीट रहे है ,, अजीब लोग है यह ,, इन्हे दर्द है मेरी कॉम
का ,बढे आराम के साथ ,,रोज़ झूंठ बोलते है ,गिड़गिड़ाते हुए एक मुलाक़ात के
लिए हुक्काम के साथ ,, हमारी हक़ तलफी पर भी इन्हे नहीं होता अफ़सोस ,, बढ़ी
तालियां बजाते है ,,हमारी हक़ तलफी ,,हमारे ज़ुल्म पर ,हुक्काम के साथ ,,
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
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