एक सनक ,एक अनुभवहीनता अगर सरकार में बैठे लोगों में हो ,तो वोह रोज़गार
मांगने वालों से पकोड़े तलवायेंगे ,मुद्दों को भटकायेंगे , नाकामयाबी के बाद
आर्थिक मंदी के इस दोर में स्टेशन बेचेंगे ,एयरपोर्ट बेचेंगे ,लालकिला
बेचेंगे ऍन सी आर योजना के नाम पर अरबों रूपये खर्च करेंगे ,,सुरक्षा
व्यवस्था कम करेंगे ,वगेरा वगेरा ,,फिर आर्थिक तंगी के लिए मोटर व्हीकल
क़ानून में जुर्मान बेहिसाब बढ़ाएंगे ,लूट खसोट करेंगे ,अब फास्ट टैग बाध्यता
नियम के नाम पर , ज़ोर ज़बरदस्ती है ,फास्ट टेग क्या है ,क्या यह
भुगतान मामले में सुरक्षित है ,जहाँ यह टेक्स नहीं कटना चाहिए वहां भी अगर
यह कटा तो ,चलो फास्ट टेग नहीं है तो क्या उसे सरकार द्वारा आम जनता के
टेक्स के रुपयों से बनाये गए पूल ,सड़क पर जाने का हक़ नहीं मिलेगा ,उससे
जजियाकर की वसूली होगी ,,वैसे तो टोल टेक्स ,देश के लोगों के साथ लूट के
सिवा कुछ नहीं ,सड़के बनाना ,सड़के सुधारना ,सड़के अतिक्रमण मुक्त करना ,आवारा
जानवरों को हटाना यह सरकार की ज़िम्मेदारी है संवैधानिक दायित्व है ,फिर इस
मामले में पेट्रोल के ज़रिये टेक्स ,मोटर वाहन खरीद के वक़्त टेक्स ,दूसरे
दीगर टेक्स आम आदमी से बेहिसाब वसूली हो रहे है ,कहाँ जाता है वोह पैसा
,क्यों ज़ोर ज़बरदस्ती कर पूल ,,हायवे ,,पर टोल वसूली की अंग्रेज़ों के टाइम
की गुलामाना वसूली है ,अब फास्ट टैग की ज़ोरज़बरद्स्ती लेकिन भक्त है न ,अंधी
पट्टी बाँध रखी है ना पूरा देश है उसमे से काफी लोग गांधारी बन गये है
,,धृतराष्ट्र बन गए है ,अब तो कोई कृष्ण बनकर फिर से कौरवों की फौज को
हराकर ,,इस महाभारत के बाद इस देश को कोन बचाएगा ,कब बचाएगा ,,देखने की बात
है ,,अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

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