यह मुल्क मेरा है ,,,तुम इस मुल्क को तुम्हारा कितना समझते हो ,मुझे पता
नहीं ,इस मुल्क की तामीर मेरे अपने पुरखों ने ,तुम्हारे अपने पुरखों के साथ
मिलकर मोहब्बत से की है ,,मुझे पता नहीं तुम्हारे सीने में ,कुर्सी के
लालच में कितनी नफरत भरी है ,लेकिन सच यही है ,,के आज तक भी तुम्हे ,मेरे
इस मुल्क से कोई मोहब्बत नहीं हो पायी है ,,यहाँ तुम मोहब्बत बांटों यह
तुम्हारी ज़िम्मेदारी है ,फिर भी तुम कुर्सियों पर बैठ कर सिर्फ बंटवारा
बाँट रहे हो ,सिर्फ नफरत बाँट रहे हो ,,तुम यह सब कुर्सी के लिए
कर रहे हो ना ,,कुर्सी तुम्हे मिल भी गयी ,,,पता नहीं यह कुर्सी तुम्हारी
रहेगी भी या नहीं ,,,बस इतिहास में मोहब्बत करोगे तो मोहब्बत करने वाले
महान ,कहलाओगे नफरत करोगे तो नफरतबाज़ कहलाओगे ,कोई हो सकता है ,तुम्हारी
मूर्ति बना दे ,कोई हो सकता है ,तुम्हे श्रद्धेय बना दे ,लेकिन देश ,देश का
संविधान अगर तुम तोड़ोगे ,देश की संस्कृति अगर तुम तबाह करोगे ,तो तुम से
पहले ,कई आये ,कई चले गए जिनका इतिहास में नाम लेवा भी नहीं ,ना है तो
सिर्फ राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का ,जिसका नाम तुम्हारी जुबांन पर भी है
,हमारी ज़ुबान पर भी है ,तुम्हारी लाख कोशिशों के बावजूद भी उनकी तस्वीर
नोटों पर आज भी ,है ,तुम्हारी लाख कोशिशों के बावजूद भी उनकी बेरहमी से
हत्या करने के बाद भी वोह गांधी आज भी ज़िंदा है ,,उसके विचारों की हत्या
करने की तुम्हारी लाख साज़िशों के बाद भी वोह विचार आज भी ज़िंदा है ,तुम
मजबूर हो ,उन विचारों को अपने विधानों में रखने के लिए ,,अपने भाषणों में
बोलने के लिए ,,,,इंद्रा गांधी की शहादत आज लोग भूले नहीं है ,,,नेहरू का
विकास आज सभी जानते है ,राजीव गांधी का कम्प्यूटराइजेशन उनकी शहादत के बाद
भी लोगों की ज़िंदगी ,है ,,अटल बिहारी वाजपेयी चले गए ,उनके सिद्धांत आजा भी
लोगों की ज़ुबान पर है ,तो तुम हो के आज खुद को खुदा समझने लगे हो
,मानसिकता बदलो ,,खुद को बदलो ,,तुम किसी वर्ग ,किसी समाज ,किसी हिस्से के
मालिक नहीं ,पूरा देश तुम्हारी ज़िम्मेदारी ,है पुरे देश के रहने वाले लोग
तुम्हारे ज़िम्मेदारी है ,,एक अम्बेडकर का संविधान ,,एक दलित का संविधान तुम
रोज़ तोड़ रहे हो ,एक दलित का समानता का सिद्धांत ,सभी को साथ लेकर चलने की
बाध्यता की मूल भावना तुम तहस नहस कर रहे हो ,,,बदलो खुद को बदलो ,,सरकार
आती है ,सरकारें जाते है ,राज आते है ,राज जाते है ,, लेकिन ज़रा गरीबों की
सोचो ,ज़रा बेरोज़गारो की सोचो ,ज़रा देश के विकास की सोचो ,ज़रा देश के
उद्योगों के उत्पादन की सोचो ,, जमाखोरों ,भ्रष्टाचारियो ,बलात्कारियों के
खिलाफ तत्काल कार्यवाही की सोचो ,,फोजियो के सम्मान की ,सोचो किसानों की
ज़िन्दिगियों के बारे में सोचो ,,नफरत जो तुमने भर दी है ,, उसे मोहब्बत में
बदलने के बारे में सोचो ,एक राष्ट्र ,,सभी का राष्ट्र ,मोहब्बत का राष्ट्र
,मदद का राष्ट्र बने कुछ ऐसा फार्मूला सोचो ,,यह शरारतें ,यह वोटो की
गणित,, यह भड़काऊ बातें ,,,यह झूंठ ,, यह फरेब बहुत हुआ ,,तुम सरकार हो
,,तुम देश की ,तुम राष्ट्र की ,तुम पुरे एक सो चालीस करोड़ की सरकार हो ,
सुरक्षा हटाने ,डरा धमकाकर मुक़दमों में उलझाने की साज़िशे आसान है ,,एक
दूसरे का सम्मान करो ,मिलो बैठो ,अनुभवों का लाभ उठाओ ,,यह देश मेरा है
,इसे तुम अपना भी समझो ,इसे तुम अपनी सोच बदलकर प्लीज़ बचा लो ,प्लीज़ बचा लो
,,,,अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

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