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12 दिसंबर 2019

मेज़बानी में बेईमानी ,,मेहमान नवाज़ी में ,,पक्षपात मनमानी ,अगर कहीं , न्योता देकर होने लगे ,तो फिर मेहमान ,भगवान का रूप होते है ,यह कहावत गलत साबित सी होने लगती है

मेज़बानी में बेईमानी ,,मेहमान नवाज़ी में ,,पक्षपात मनमानी ,अगर कहीं , न्योता देकर होने लगे ,तो फिर मेहमान ,भगवान का रूप होते है ,यह कहावत गलत साबित सी होने लगती है ,,लेकिन कई बार ,भगवान ,महमानों के साथ इस दोहरे सुलूक को देखकर दुखी सासे हो जाते है और फिर वोह अपना चक्कर ऐसे बढे महानुभावों के खिलाफ सबक़ के बतोर चलाते है ,,यही कुछ एक नज़ारा जब मुझे देखने को मिला तो ,अजीब सा लगा ,एक बढ़ा कार्यक्रम ,निजी कार्यक्रम ,ऐसी शख्सियत के आयोजन में कार्यक्रम जिसका आयोजित हर कार्यकम सुपरहिट होने की छाप पुरे देश भर में है ,लेकिन उसका खुद का निजी आयोजन ,, उफ्फ्फ ,सभी को प्यार ,मोहब्बत खुलूस से बुलावा और फिर आयोजन स्थल पर जाकर पता चले आप छोटे मेहमान ,वोह बढे मेहमान ,आप एक तरफ वोह एक तरफ ,चारो तरफ पहरे ,बाउंसर ,हदबन्दियाँ ,तो फिर यह फ़र्क़ शायद जाने वाले को ,और एक अदृश्य ताक़त जो मेहमान को भगवान का रूप कहलवाती है उसे बुरा सा लगता है ,बस फिर कार्यक्रम में भी भगदड़ ,,बदमज़गियां ,,चेमेगोइयाँ ,कार्यक्रम के आयोजन ,आतिथ्य सत्कार की आलोचनाएं शुरू हो जाती है , कई लोग भीड़ में गुम ,एक दूसरे को ढूंढ भी नहीं पा रहे है ,, मोबाइल जाम ,बार बार मोबाइल मिलाने की कोशिशें बेकार ,किसी का ड्राइवर गायब ,किसी का दोस्त नहीं मिल रहा ,अजीब अफरातफरी का माहौल ,,ट्रफिक के हालात उफ्फ्फ ,,घंटों जाम सबसे बढ़ी हस्ती भी जाम में घंटो बेकार करने के बाद इधर से उधर जा रहे है ,,,हालात यह है ,के कुछ लोग भूखे है ,तो कुछ लोग रात्रि को होटल पर खाने को भाग रहे है ,तो कुछ लोग ढाबों को आबाद कर रहे है ,,कहते है ,न चोंच दी है तो चुग्गा भी देगा ,आतिथ्य असफल रहा ,मेज़बानी असफल रही तो क्या ,कोई भी शख्स भूखा तो नहीं रहा ,होटल ,ढाबे ज़िंदाबाद रहे ,खुद की जेब ज़िंदाबाद रही ,,, खेर शुभाशीष ,आशीर्वाद ,बस एक सबक़ ,कोई भी बढ़ी से बढ़ी शख्सियत ,छोटी से छोटी शख्सियत अगर मेहमानों को बुलाकर बटवारा करे ,हिस्सेदारी करे ,छोटे बढे का अहसास दिलाये तो फिर ऐसी मेज़बानी ,ऐसी महमानी किस काम की ,,क़ुदरत को भी यह पक्षपात शायद पसदं नहीं ,क्योंकि मेज़बान के लिए तो सभी आमंत्रित मेहमान चाहे राजा हो चाहे हो फ़क़ीर एक समान ही होते है ,,,वोह बात अलग है ,जगह अलग अलग हो ,,तारीखे अलग अलग हो ,मेहमानों में फिर कितना ही फ़र्क़ बढे छोटे का करा लो ,, मेहमान दिमागी तोर पर तैयार रहता है ,,लेकिन गज़ब से भी गज़ब हो जाता है जब ,,कुछ मेहमाननवाज़ी में बेईमानी ,मनमानी ,बटवारा ,ऊंच नीच ,छोटा बढ़ा हो जाता है ,,,,शायद इसका सबक़ एक किताब की तरह हमेशा एक इतिहास बनकर हर आयोजक को याद रहे और वोह ऐसी ग़लतियों की पुनरावर्ती ना करे ,शायद करे ,पता नहीं ,लकिन महमानवाज़ी ,मेज़बानी का सिद्धांत तो ,,, न महमूद न अयाज़ ,न बंदा न बंदा नवाज़ वाला ही रहेगा ,इसीलिए तो कहते है के मेहमान भगवान का रूप होता है ,वोह मेहमान जो बिन बुलाये नहीं ,अनुनय ,विनय के बाद बुलावे पर आया हो ,,वोह तो सिर्फ आशीर्वाद ही दे सकता है ,और आशीर्वाद सभी को सुखी रखे ,आबाद रखे ,कामयाब रखे ,,भविष्य में मेज़बानी को लेकर जो बटवारा ,जो हिस्सेदारी ,जो पार्टीशन की जुगत लगती है ,न लगाई जाए , और मेहमानों की भी इज़्ज़त बरक़रार रहे तो मेज़बानों का भी मान सम्मान बरक़रार रहे बस इसी दुआ के साथ एक सबक़ सिखाने के लिए शुक्रिया ,,,अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

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