Prakash Singh v. Union of India An analysis of Police Reforms का फेसला
,,मामले में सुप्रीमकोर्ट की समीक्षात्मक टिप्पणी ताज़ा हो गयी ,, खेर
दिल्ली पुलिस तो केंद्र सरकार की है , कुछ भी सम्भव है ,, लेकिन विचार करना
चाहिए ,एक ही घर में बेटा ,वकील ,बाप , पुलिसकर्मी ,,बेटा पुलिसकर्मी ,बाप
वकील ,दामाद वकील तो ससुर पुलिस कर्मी है ,और कई उदाहरण तो ऐसे है ,, के
पुलिस कर्मी के वकील पुत्र को ,,पुलिस ने पीटा ,फिर वकील पुत्र के लिए
इंसाफ़ के लिए पिता ने संघर्ष किया ,,लेकिन पुलिसियों के आगे
जब , पिता पुलिस,,रिश्तेदार बेबस रहे तो बस ,,हालात ऐसे बने के वकील पर
पुलिस ने हमले के मुक़दमे दर्ज करवाये ,, यह एक कटु सत्य है ,सो प्लीज़ ,सभी
वकील साथी ,पुलिस साथी ,नफरत ,गुस्सा अगर है तो ,,रिश्तों के उदाहरण को भी
ध्यान में रखे ,कोटा में उकसाने वाले कार्यवाही मामले में ,, अनुशासनात्मक
कार्यवाही होना ही चाहिए ,,, रिश्ते जहां बेहतर है ,वहां उकसाने के पीछे
क्या साज़िश है ,इसकी जाँच भी होना चाहिए ,,, अख्तर
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