दिल्ली की खाकी ने ,,क़ानून को खाक में मिलाने की कोशिश तो की थी ,दिल्ली की
केंद्र सरकार के कुछ लोगों ने कुछ पत्रकारों से मिलकर ,,राष्ट्रव्यापी
वकीलों के आंदोलन के हालात बनाने के प्रयास किये थे , लेकिन दिल्ली
हाईकोर्ट ज़िंदाबाद ,इन्साफ के एक आदेश ने ,,केंद्र सरकार और कुछ मीडिया
दलालों द्वारा यह आग पुरे देश में फैलाने की साज़िश विफल कर दी है ,,दिल्ली
में एक ऐ एस आई द्वारा वकील के साथ बेरहमी से मारपीट,फिर हठधर्मिता
,गोलीबारी ,,तमाशा बन गयी ,रिपोर्टिंग पहले सही चलते चलते ,अचानक मुद्दा
बदल दिया गया , गोलियों से घायल वकील की खबर तो ताक में ,,वकीलों ने पुलिस
पर हमला किया ,,खबर चलाई जाने लगी ,हालात बिगड़ते गए ,देश भर के वकीलो में
गंभीर आक्रोश था ,लेकिन दिल्ली पुलिस के लिए ज़िम्मेदार ,देश के
प्रधानमंत्री ,गृहमंत्री ,क़ानून मंत्री ने इस मामले में कोई आवाज़ नहीं उठाई
,वकीलों के हक़ के लिए कोई प्रयास नहीं किये , उलटे कुछ मीडिया में वकीलों
,पुलिस और दूसरे लोगों को आंदोलन के लिए उकसाहट ,, खुदा का शुक्र है ,भारत
में क़ानून ,क़ानून की संवेदनाये जीवित है ,, दिल्ली हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस
और दूसरे न्यायधीशों ने ,,हालात की गंभीरता जानी ,,, सत्यता की जाँच की
,और इन्साफ के लिए संवैधानिक अधिकारों ,कर्तव्यों का इस्तेमाल किया ,,,
घटना को लेकर सो मोटो प्रसंज्ञान ,सुनवाई ,फिर शार्ट नोटिस ,रविवार में
अवकाश की परवाह नहीं ,,देश को जलने से बचाना था ,देश को इन्साफ ज़िंदा है का
संदेश देना था , इसीलिए वकील और पुलिस विवाद में गलती किसकी है, हालात ऐसे
क्यों बने ,,इसकी निष्पक्ष जांच के लिए ,,न्यायिक जांच के आदेश ,,सी बी आई
को सहयोग करने के निर्देश ,,दोषी पुलिस कर्मी निलंबित घायल वकीलों को
मुआवज़ा ,एफ आई आर पर रोक ,,विभागीय जांच के पृथक आदेश , घायल ,वकील पुलिस
कर्मियों के इलाज के निर्देश ,, सहित कई बिंदुओं पर ,,ऐसी घटनाओं के समाधान
,और तत्काल इन्साफ को लेकर एक विधिक आदेश जारी किया गया ,,आदेश भी रविवार
को ही जारी हो गया ,बस यह आदेश देश के क़ानून के जानकार जो आक्रोशित थे ,जो
वकील राष्ट्रव्यापी हड़ताल की तैयारियों में थे ,वोह भी संतुष्ट हुए , पुलिस
अधिकारी भी संतुष्ट हुए और देश भर में टकराव के हालात जो बने थे वोह खत्म
हो गए ,,,घटना गंभीर है ,घटना फिर दुबारा ऐसी न हो पाए इसके लिए ,,देश भर
में वकीलों के लिए प्रोटेक्शन क़ानून ज़रूरी है, अदालत परिसर में पुलिस
कर्मियों अधिकारीयों के लिए ,,आदर्श गाइड लाइन भी तैयार करने का वक़्त आ गया
है ,, खेर ऐसी घटनाये दुबारा न हो ,,दोषी लोगों को सज़ा मिले ,इसी दुआ के
साथ ,,राजस्थान बार कौंसिल ,, घोषणा पत्र में घोषित होने पर भी , अगर अभी
भी ,एडवोकेट प्रोटेक्शन एक्ट को लेकर सावचेत न हुई तो परिणाम गंभीर हो
सकते है ,,, अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

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