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04 नवंबर 2019

ज़िंदगी है ,तो मोत भी आयेगी

ज़िंदगी है ,तो मोत भी आयेगी ,,लेकिन हर शख्स की शख्सियत ,और उसके हालात ,ज़िंदगी में कुछ नया सिखा जाते ,है ,, एक शख्स , जो समाजसेवक था ,जो लोगों के सुख दुःख में खड़ा रहता था ,,वोह सियासत में भी था ,,उसने सियासत में ,सियासी लोगों के वेलकम ,सियासी लोगों के कहने पर आयोजित कार्यक्रमों में उन्हें ब्रेक देने के लिए ,लाखों रूपये खर्च किये ,,कभी वाद विवाद हुए ,तो खुद अपने लोगों से मुखालिफ होकर इन नेताओं को बचाने की कोशिशों में विवादों में रहे ,,लेकिन दोस्तों सियासत बढ़ी कुत्ती चीज़ है ,,सियासी लोग बहुत मतलबी है ,बेवफा है ,,यह सबक़ नया सीखने को मिला है ,,, जिनसे थी उम्मीद उन्होंने तो लगातार बेवफाई की ,जिनसे न थी उम्मीद उन्होंने वफ़ा कर ,,सभी को चौंका दिए ,बस कमोबेश यही एक दास्तान बनी है ,, मेरे भाई सय्यद असद अली ,सभी जानते है ,निर्विवाद तरीके से वोह अपने समाजसेवी कार्यक्रमों में शामिल रहे ,,कोटा में ईद मिलादुन्नबी जलसे कार्यक्रमों में आने वाले खुसूसी मेहमानों के वोह मेज़बान रहे ,,उन्होंने ईद मिलादुन्नबी के जुलुस कार्यक्रमों में अपना सब कुछ न्योछावर कर जुलुस को एक प्रबंधन तरीके से तैयार करवाकर ,कामयाबी की बुलंदियों तक पहुंचाया ,,आम लोगों के दिल दिमाग में ,जुलुस का जो एक सियासी रूप था उसका मज़हबी रुख दिखाया ,,सियासत में कांग्रेस अल्पसंख्यक विभाग के जिला सिरमौर रहे ,,देहात कमेटी में रहे ,फिर देहात कमेटी में बने ,,बढे बढे नेता ,बढे बढे मंत्रियों ने उन्हें आयोजन कार्यक्रमों के लिए इस्तेमाल किया, अपने वर्चस्व की लड़ाई के लिए एक दूसरे परस्पर नेताओं के खिलाफ विवादों में डाल दिया , , खेर वक़्त बदला ,,जो शख्स इन नेताओं के लिए जान की बाज़ी लगाकर खड़ा था ,उस शख्स को जब ,, अपने लिए इन्साफ की जंग में इन लोगों की ज़रूरत पढ़ी ,तो यह सियासी लोग ,अनजान बन गए ,अफ़सोस इस बात का है ,कुछ सियासी लोगों ने तो पहचानने पर भी दिमाग पर ज़ोर दिया ,जिनके लिए इस शख्स ने जान की बाज़ी लगाई ,झगड़े किये ,,उनके बचाव के लिए हमले सहे , आंदोलन किये ,उन्हें प्रमोट करने के लिए सामाजिक और सियासी कार्यक्रम में उन्हें बुलाकर महिमामंडित किया ,वही लोग बेवफा निकल जाए तो दिल तो तार तार हो ही जाता है ,,लेकिन ख़ुशी की बात यह रहे जिस सियासी लीडर से टक्कर ली ,मुक़ाबला किया उस सियासी लीडर ने ,इंसाफ की इस लड़ाई से जूझ रहे इस शख्सियत का क़ानूनी रूप से साथ ,दिया ,अफसर शाही की नानुकुर ,बाधाओं को दूर किया ,,,, दोस्तों एक सच यही है ,के इस शख्स के हालातों ने एक नयी सीख दी है ,,वक़्त ब वक़्त सिर्फ अपने ही काम आते है सिर्फ अपने रिश्तेदार ,दोस्त , आहबाब ही मददगार होते है , अल्लाह से दुआए भी वोह करते है ,खिदमत भी वोह करते है ,परस्पर ज़रूरी मदद का ज़रिया भी वही बनते है ,अपवाद हो सकते है ,लकिन कड़वा सच यही है ,सियासत की मरीचिका धोखे से ज़्यादा कुछ नहीं देती ,,और कोटा में इन हालातों ने यही साबित किया है ,,अख्तर

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