राजस्थान बाल कल्याण आयोग की चेयरमेन का पिछले सप्ताह एक दिवसीय कोटा दौरा
था ,,कोटा की जनता ,खासकर ,,कोटा के बालक जिन्हे ,संरक्षण की ज़रूरत है ,
उनके कल्याण की बहुत उम्मीदें थी ,लेकिन सरकारी फीडिंग ,एलेन कोचिंग में
सिंगल विज़िट सहित कई मामलों से नतीजा यही निकला है ,अभी बाल कल्याण संरक्षण
क्षेत्र में बहुत कुछ से भी बहुत ज़्यादा होना बाक़ी है ,,वोह बात अलग है के
कोटा कलेक्टर ओम प्रकाश कसेरा ,कोटा पुलिस अधीक्षक ,दीपक भार्गव सहित कुछ
लोग ,कोटा के कोचिंग सहित बाल अपचारियों ,बालकों के विरुद्ध हिंसा मामले
में चिंतित ,है ,,, कोचिंग कंट्रोल के लिए पृथक से सॉफ्टवेयर तैयार हो रहा
है ,,कई एडवाइज़री जारी की गयी है ,लेकिन कोचिंग तो कोचिंग गुरु है ,उनकी
पहुँच बहुत से भी ज़्यादा बहुत है ,मुख्यमंत्री कोई भी हो ,सरकार कोई भी हो
,मंत्री कोई भी हो ,सभी लोगों के साथ बैठकर वोह बढ़े आराम से बच्चों के
कल्याण पर कई सालों से चर्चा कर रहे है ,और बच्चों की निराशा ,स्ट्रेस
,तनाव ,हॉस्टल और शैक्षणिक समस्याएं जस की तस बनी हुई है ,अलबत्ता ,पुलिस
अधीक्षक दीपक भार्गव और वर्तमान कलेक्टर ओम प्रकाश कसेरा ने उनकी नब्ज़ को
टटोला है ,कुछ करने की कोशिशें शुरू , की है ,, खुदा से दुआ है , वोह अपनी
इस सॉफ्टवेयर सहित ,बालक कल्याणकारी योजनाओं के क्रियान्वयन में कामयाब भी
हो ,में बात कर रहा था राजस्थान भर के बच्चों के कल्याण के लिए सुझाव देने
,निगरानी करने ,उनके साथ हो रही नाइंसाफी पर प्रसंज्ञान लेकर तत्काल
कार्यवाही करने वाली सक्षम बाल आयोग चेयरमेन के कोटा दौरे की ,उनका
कार्यव्यवहार अच्छा रहा ,निर्विवाद रहा ,पुराने मामलों के निस्तारण के
फीडबैक का रहा ,लेकिन कोटा जो कोचिंग सीटी है ,कोटा जहां बालकों द्वारा
अपचार ,और बालकों के खिलाफ हिंसा की घटनाये सर्वाधिक ,,है , यहाँ उनका विज़न
,उनका फीडबैक ,परसनल के अलावा सिस्टम से जुड़ा हुआ भी होना था ,लेकिन ऐसा
नहीं हो पाया ,,संस्था द्वारा सर्किट हॉउस में फॉर्मल सम्मान में वक़्त जाया
हुआ जबकि फीडबैक प्रॉपर नहीं हो पाया ,,आम लोग ,जनता से जुड़े लोग ,उनसे
मिलने पहुंचे थे ,वोह चाहती तो उन्हें काफी कुछ हालातों की जानकारी मिल
सकती थी ,,खुद चिल्ड्रन वेलफेयर सोसाइटी के सदस्य थे उनसे भी उनकी वन टू
वन गोपनीय चर्चा नहीं होना दुर्भाग्यपूर्ण है ,, कोटा के कोचिंग विज़िट के
लिए उन्हें ले जाया गया ,लेकिन ऐसी कोनसी मजबूरी या ऐसे कोनसे हालात थे के
वोह अकेले गयी ,उनके साथ बालकल्याण समिति के सदस्य ,बाल न्यायालय के सदस्य
शामिल नहीं किये गये ,हो सकता है उन्हें वहां कुछ नया समझने का अवसर
मिलता ,,बच्चों को स्काउट ,गाइड ,के नाम पर सड़को पर रैली कार्यक्रमों में
दुरूपयोग कर उतारे तो समझ में आता है ,,लेकिन अन्य कार्यक्रमों ,सहित
नेताओं की अगुवानी ,योग ,सियासी लोगों के आगमन पर बच्चों की संख्या दर्शाने
का अगर प्रयास किया जाए तो यह बाल अधिनियम का तो उलंग्घन है ही ,कोटा में
श्रमिक बच्चे ,,बंधुआ मज़दूर बच्चे ,,मजबूरी में मज़दूरी कर रहे बच्चे
,अभिभावक ,संरक्षक के साथ व्यवसाय में कार्य प्रशिक्षण की हैसियत से काम
सीख रहे बच्चों में फ़र्क़ करना होगा ,,लेकिन जो लोग बच्चों को सिर्फ रोज़गार
के लिए नौटंकी ,,खेलकूद दिखाने ,,भीख मांगने के लिए इस्तेमाल कर रहे है ,उन
बच्चों को भीख मंगवा रहे है ,ऐसे बच्चों और उनके अभिभावकों के खिलाफ
कार्यवाही तो बाल कल्याण समिति की ज़िम्मेदारी है और बाल आयोग इनकी निगरानी
करे ऐसी उनकी ज़िम्मेदारी ,है,, कोचिंग में बच्चे किन हालात में है ,उनकी
क्या परेशानियां है ,,उनकी परेशानियों को दूर करने के लिए क्या व्यवस्थाएं
है ,इसके अध्ययन के लिए दस मिनट अकेले कोचिंग में जाने से फ़र्क़ नहीं पढ़ेगा
,,,,कोटा के बालकल्याण समिति के सदस्य ,,न्यायिक बोर्ड के सदस्य ,,समाजसेवक
,पत्रकारों सहित कुछ समाजसेवियों का एक गोपनीय अध्ययन दल बने ,वोह इस
रिपोर्ट को तैयार करे ,तब कहीं सच सामने आ पायेगा , अब तक आम तोर पर जो भी
कोटा में आयोग के अध्यक्ष या मंत्री वगेरा आते रहे ,है ,, वोह उनके विभाग
से संबंधित लोगों को साथ में अपने साथ कार में बिठाते है ,या फिर हर विज़िट
में साथ रखते है ,ऐसा ही होना भी चाहिए ,,, खुद बालकल्याण समिति की कोटा
चेयरमेन की कार पर एक बच्चा जो आदतन भिखारी बनना चाहता था ,भीख मांगने के
लिए लटक गया ,,ऐसे बच्चे ,उनके अभिभावकों के खिलाफ कारगर कल्याणकारी
कार्यवाही ,बालकल्याण समिति ,बालकल्याण आयोग की ज़िम्मेदारी है ,खेर जो होना
था वोह हुआ ,लेकिन भविष्य की ऐसी यात्राओं के दौरान स्थानीय बालसमिति
सदस्यों को भी पूरी रिपोर्ट उन्हें देना चाहिए ,,कारगर फैसले हो इस पर काम
होना चाहिए ,, कोटा में ऑपरेशन आशा हुआ ,अब आपरेशन भिखारी बच्चों का जल्द
चलाना चाहिए ,यहां सॉफ्ट टारगेट को तो पूरा करने के लिए लोग आतुर है ,
लेकिन चुनौतीपूर्ण ,रचनात्मक कार्य ,जिसमे कोटा को आदतन भिक्षावृत्ति
,,रोज़गार को भिक्षावृत्ति बनाने की प्रवृत्ति के खिलाफ बालकों को संरक्षित
करने का अभियान शामिल है ऐसे कार्य नहीं हो पाते है ,कोटा के कोचिंग के
बच्चों के दुःख दर्द ,उनका सियासी मंत्रियों के सामने ,रैलियों ,प्रदर्शनों
में इस्तेमाल रोकने के लिए कोई कारगर क़दम शामिल नहीं है ,,ऐसे में इन
मामलों पर गंभीरता से विचार होना ही चाहिए ,,अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
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