अब क्या , बाक़ी बचा है इस देश में ,,पहले फौजियों का आंदोलन ,अर्धसैनिक
बलों का आंदोलन ,,और अब ,दिल्ली में केंद्र प्रायोजित पुलिस का प्रदर्शन
,,देश में एक नया इतिहास बन गया है ,खाकी और काले कोट की लड़ाई में ,,
मीडिया और कुछ सियासी लोगों ने खूब नँगा , गन्दा खेल खेला ,,अदालत के आदेश
के खिलाफ पहली बार भड़काया गया ,, केंद्र सरकार की नियंत्रित पुलिस को
,,धरने के नाम पर आंदोलन पर आना पढ़ा ,,वकीलों को खुलेआम ,,देख लेने के लिए
धमकियां दिलवाना पढ़ा ,,खुद को बेबस लाचार बताना पढ़ा ,,अदालत के आदेश के
खिलाफ बोला गया ,जांच निष्पक्ष न हो सके इसके लिए कुछ दबाव सा लगा ,मिडिया
के कुछ वही वाले लोगों ने ,जो भूख ,गरीबी ,रोज़गार की बहस से देश को बचाने
के लिए ,केंद्र सरकार के इशारे पर ,जनता का मिजाज़ दूसरे गैरज़रूरी नफरत
,मुद्दों के पैरोकार बने है ,उन्होंने इस धरने को खूब चटखारे ,लेकर पोजेटिव
प्रचार दिया ,,गुणगान किया गया ,,,खेर जो भी हुआ अच्छा नहीं ,हुआ टकराव
खाकी हो ,काले कोट का हो ,या फिर किसी का भी हो ,,गलत है ,गलती जिसकी भी हो
,,उसे सज़ा मिलना चाहिए ,,लेकिन अदालत में बिना नियंत्रित जज के हथियारों
सहित घुसना ,मारपिटाई करना इनका अधिकार है ,घटना क्रम में केंद्र के
ज़िम्मेदारों द्वारा समझाइश का रास्ता निकालने की जगह ,,पुलिस अधिनियम के
विपरीत खुले उलंग्घन पर इस तरह की बेहूदगी को हरी झंडी दी है ,अनुशासन की
कार्यवाही की जगह आश्वासन दिया ,कोर्ट का आदेश सर्वमान्य होना चाहिए ,अगर
कोर्ट के आदेश से कोई नाराज़ है ,तो निश्चित तोर पर विधिक रूप से उस आदेश के
खिलाफ अपना पक्ष रखते हुए अपील का प्रावधान है ,, उसका अधिकार पीड़ित पक्ष
को होना चाहिए ,अधिकारीयों द्वारा सस्पेंशन ,नोटिसबाज़ी का जवाब विधिक रूप
से देने का उनका अधिकार है ,, लेकिन योजनाबद्ध तरीके से ,एक माहौल ,एक
विवाद को कम करने की जगह विवाद को बढ़ाना ,,देश के खिलाफ एक साज़िश है
,,मुक़दमा दर्ज होना ,अनुसंधान ,विचारण ,,फिर फैसला एक सतत प्रक्रिया है
,उसके विरुद्ध अपील अपनी जगह है ,लेकिन इस मामले में अगर अब बार कौंसिल ऑफ़
इण्डिया ने इस कार्यक्रम के प्रायोजक हीरो ,,प्रवोकेशन करने वाले मीडिया
कर्मियों के खिलाफ कोई ठोस क़ानूनी क़दम नहीं उठाये तो यह गठजोड़ इस देश को
अपने निजी फायदों के लिए मटियामेट की कोशिशों में दो क़दम आगे बढ़ जाएगा ,इस
मामले में राजस्थान बार कौंसिल के सदस्य डॉक्टर महेश शर्मा से बात हुई
,डॉक्टर महेश शर्मा ने बताया ,के प्रेस कौंसिल और सक्षम ऑथोरिटी को
मीडिया की झूंठी ,उकसाऊ ,एक तरफा छद्म खबरों के खिलाफ शिकायत की गयी है
,,,,खेर परिवारों में विवाद होता है ,वकील हों ,,खाकी हो ,पुलिस हो ,जो भी
हो ,क़ानून से ऊपर कोई भी नहीं ,,लेकिन यह सब लोकतंत्र को संरक्षित करने
का एक बढ़ा महत्वपूर्ण हिस्सा है ,,जांच होना चाहिए ,,दोषियों के खिलाफ सबक़
हो ऐसी कार्यवाही भी होना चाहिए ,लेकिन मीडिया के उकसावे और भड़कावे में
आने की जगह अपने अपने प्रोफेशन की अहमियत का भी ध्यान रखा जाना चाहिए
,समझौते की शुरुआत भी होना चाहिए ,एक क़दम यह क़दम यह बढे एक क़दम तुम बढ़ो
,,भविष्य में ऐसे टकराव ज़ीरो लेवल पर हो ,इसके लिए मिलजुल कर कोई गाइडलाइन
होना ही चाहिए ,,लकिन हाईकोर्ट दिल्ली का जो आदेश है उसकी पालना के खिलाफ
बेहूदा टिप्पणियां , मिडिया का उसकसाउ और बचकानी रिपोर्टिंग करने वालों के
खिलाफ देश के न्यायलय की अवमानना की कार्यवाही में सज़ा तो मिलना ही चाहिए
,,,,, बहुत ,हुआ ,,बहुत ,हुआ ,देश को सब सच पता है ,अब फसाद खत्म करो कुछ
विशेष सियासी प्रायोजित ,,मीडिया के भड़काने में आना बंद करो ,,सियासी लोगों
के हाथों की कठपुतली मत बनों ,, खुद के साथ ,खुद के खिलाफ भविष्य चौपट
करने वाली ,साज़िशे मत रचो ,,उठो ,दो क़दम बढ़ो ,एक दूसरे पक्ष को जानों
,,उनके गले मिलो ,,एक दूसरे के आंसू पोंछो ,और यह देश,, हम वीर जवानों का
,अलबेलों का मस्तानों ,का है ,यह भारत महान है ,सारे जहाँ से अच्छा
हिन्दुस्तान हमारा है ,इसे एक बारे फिर साबित करने का वक़्त आ गया है ,सो
प्लीज़ मनमुटाव खत्म करो ,,कुछ तुम झुको ,कुछ तुम झुकों ,एक दूसरे के गले
मिलों ,,खाकी और काले कोट के भी कलंकों को दूर करो ,अपराध मुक्त ,भारत
,भयमुक्त भारत ,क़ानून का राज स्थापित हो ,ऐसी फिर मिलजुलकर शरूआत करो ,,,
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

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