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19 नवंबर 2019

वास्तव में, जिन्होंने कुफ़्र किया और अल्लाह की राह[1] से रोका

161 ﴿ तथा उनके ब्याज लेने के कारण जबकि उन्हें उससे रोका गया था और उनके लोगों का धन अवैध रूप से खाने के कारण। हमने उनमें से काफ़िरों के लिए दुःखदायी यातना तैयार कर रखी है।
162 ﴿ परन्तु जो उनमें से ज्ञान में पक्के हैं तथा वे ईमान वाले, जो आपकी ओर उतारी गयी (पुस्तक क़ुर्आन) तथा आपसे पूर्व उतारी गई (पुस्तक) पर ईमान रखते हैं और जो नमाज़ की स्थापना करने वाले, ज़कात देने वाले और अल्लाह तथा अन्तिम दिन पर ईमान रखने वाले हैं, उन्हीं को हम बहुत बड़ा प्रतिफल प्रदान करेंगे।
163 ﴿ (हे नबी!) हमने आपकी ओर वैसे ही वह़्यी भेजी है, जैसे नूह़ और उसके पश्चात के नबियों के पास भेजी और इब्राहीम, इस्माईल, इस्ह़ाक़, याक़ूब तथा उसकी संतान, ईसा, अय्यूब, यूनुस, हारून और सुलैमान के पास वह़्यी भेजी और हमने दावूद को ज़बूर प्रदान[1] की थी।
1. वह़्य का अर्थ, संकेत करना, दिल में कोई बात डाल देना, गुप्त रूप से कोई बात कहना तथा संदेश भेजना है। ह़ारिस रज़ियल्लाहु अन्हु ने प्रश्न कियाः अल्लाह के रसूल आप पर वह़्य कैसे आती है? आप ने कहाः कभी निरन्तर घंटी की ध्वनि जैसे आती है, जो मेरे लिये बहुत भारी होती है। और यह दशा दूर होने पर मुझे सब बात याद रहती है। और कभी फ़रिश्ता मनुष्य के रूप में आकर मुझ से बात करता है तो मैं उसे याद कर लेता हूँ। (सह़ीह़ बुख़ारीः2, मुस्लिमः2333)
164 ﴿ कुछ रसूल तो ऐसे हैं, जिनकी चर्चा हम इससे पहले आपसे कर चुके हैं और कुछ की चर्चा आपसे नहीं की है और अल्लाह ने मूसा से वास्तव में बात की।
165 ﴿ ये सभी रसूल शुभ सूचना सुनाने वाले और डराने वाले थे, ताकि इन रसूलों के (आगमन के) पश्चात् लोगों के लिए अल्लाह पर कोई तर्क न रह[1] जाये और अल्लाह प्रभुत्वशाली तत्वज्ञ है।
1. अर्थात कोई अल्लाह के सामने ये न कह सके कि हमें मार्गदर्शन देने के लिये कोई नहीं आया।
166 ﴿ (हे नबी!) (आपको यहूदी आदि नबी न मानें) परन्तु अल्लाह उस (क़ुर्आन) के द्वारा, जिसे आपपर उतारा है, साक्ष्य (गवाही) देता है (कि आप नबी हैं)। उसने इसे अपने ज्ञान के साथ उतारा है तथा फ़रिश्ते साक्ष्य देते हैं और अल्लाह का साक्ष्य ही बहुत है।
167 ﴿ वास्तव में, जिन्होंने कुफ़्र किया और अल्लाह की राह[1] से रोका, वे सुपथ से बहुत दूर जा पड़े।
1. अर्थात इस्वलाम से रोका।
168 ﴿ निःसंदेह जो काफ़िर हो गये और अत्याचार करते रह गये, तो अल्लाह ऐसा नहीं है कि उन्हें क्षमा कर दे तथा न उन्हें कोई राह दिखायेगा।
169 ﴿ परन्तु नरक की राह, जिसमें वे सदावासी होंगे और ये अल्लाह के लिए सरल है।
170 ﴿ हे लोगो! तुम्हारे पास तुम्हारे पालनहार की ओर से रसूल सत्य लेकर[1] आ गये हैं। अतः, उनपर ईमान लाओ, यही तुम्हारे लिए अच्छा है तथा यदि कुफ़्र करोगे, तो (याद रखो कि) अल्लाह ही का है, जो आकाशों तथा धरती में है और अल्लाह बड़ा ज्ञानी गुणी है।
1. अर्थात मुह़म्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम इस्लाम धर्म ले कर आ गये। यहाँ पर यह बात विचारणीय है कि क़ुर्आन ने किसी जाति अथवा देशवासी को संबोधित नहीं किया है। वह कहता है कि आप पूरे मानव विश्व के नबी हैं। तथा इस्लाम और क़ुर्आन पूरे मानव विश्व के लिये सत्धर्म है, जो उस अल्लाह का भेजा हुआ सत्धर्म है, जिस की आज्ञा के अधीन यह पूरा विश्व है। अतः तुम भी उस की आज्ञा के अधीन हो जाओ।

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