विश्वगुरु , अंतर्राष्ट्रीय भीष्मपितामह की भूमिका निभाने वाले ,लाठी
लंगोटी के ज़रिये ,बिना किसी हथियार के देश को आज़ाद कराने वाले महात्मा
गांधी को नमन ,, आज ही के दिन 2 अक्टूबर को जन्म हुआ ,लेकिन अहिंसा के
दुश्मनों ,आज़ाद भारत की पहली आतंकवादी हिंसक घटना में नाथूराम गोडसे ने इस
आवाज़ को ,30 जनवरी को गोली मारकर शांत कर दिया ,हे राम , की दर्दनाक आवाज़
के साथ , लोगों ने सोचा था के यह आवाज़ उन्होंने शांत कर दी ,लेकिन यह आवाज़
,लाख कोशिशों के बावजूद भी ,आतंकवादी हिंसक ,विंध्वसकारी विचारधाराओं
द्वारा दबाई नहीं जा सकी ,,गांधी के हत्या के दर्दनाक हादसा था ,लेकिन
गांधी की विचारधारा की हत्या उससे भी दर्दनाक और शर्मनाक हादसा है ,,,
महात्मा गाँधी की हत्या हुई ,उनकी अस्थियों की राख , कोटा के महात्मा गाँधी
स्कूल में रखी गयी ,,पुराने कोटा के श्रीपुरा पुराने बस स्टेण्ड जिसे आज
सुभाषचौक के नाम से जाना जाता है ,वहां महात्मा गाँधी भवन के नाम पर ,एक
भवन में यह राख लोगों के दर्शन के लिए रखी गयी ,, कोटा में गांधी के नाम
पर भवन तो है ,, लेकिन गांधी नहीं ,गाँधी की मूर्ति गांधी चौक में है
,लेकिन गांधी वादिता नहीं ,आसपास अतिक्रमण ,ही अतिक्रमण है ,,यहां गांधी
की अस्थियां लोगों की आस्था के लिए श्रीपुरा में एक भवन में रखी गयीं ,उसे
गाँधी आश्रम का नाम देकर ,भवन पर शिला पट्ट लगाया गया ,लेकिन अफ़सोस आज
उसका नाम ,गाँधी भवन नहीं ,,विकास भवन कर दिया गया है ,मेने नगर निगम कोटा
में विकास भवन का नाम महात्मा गाँधी भवन करवाने का प्रयास किया ,,लेकिन
गोडसे समर्थकों ने अब तक ऐसा होने नहीं दिए इस भवन का नाम विकास भवन है ,यह
भवन मात्र महात्मा गांधी भवन की शिला पट्ट के साथ जर्जर अवस्था में दम तोड़
रहा है ,, गांधी की हत्या गोडसे ने की ,गोडसे के समर्थकों ने गाँधी
विचारधारा की हत्या करने के लिए जी जान लगा दी ,गोडसे के मंदिर बनवाये ,उसे
भगवान का दर्जा देना चाहा ,,यह इस विचारधारा के लोगों की पराकाष्ठा है
,लकिन गांधी की हत्या ,, गांधी की विचारधारा की हत्या करने वाले लोगों को
जो लोग रोक नहीं सके ,,जिन लोगों ने मोन रहकर इस अपराध को बढ़ावा दिया है
वोह लोग इसके लिए पूरी तरह से दोषी है ,,आज राजस्थान के गांधी ,
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पर हमे गर्व है ,जिन्होंने गांधी की विचारधारा को
पुनर्जीवित किया ,खुद गांधीवादी रहे ,दूसरों को गांधीवादी विचारधारा से
अवगत कराने के लिए ,गांधी विचारमंच बनाया ,कोटा के पंकज मेहता को शामिल
किया ,,राजस्थान में सरकार आने के बाद ,,अहिंसा ,शांति प्रकोष्ठ का गठन
किया ,,राजस्थान में महात्मा गांधी की विचारधाराओं को लेकर गोष्ठियां हो
रही है ,,खुद अशोक गहलोत गाँधी के चरखे की खादी को बढ़ावा देने के लिए ,
खादी पहनते है ,,सूत की माला के सिवा दूसरी माला नहीं पहनते ,,, हाल ही में
मेरा भारतीय ज्ञानपीठ , उज्जैन में गांधीवादी सद्भावना व्याख्यानमाला में
जाने का सौभाग्य प्राप्त हुआ ,में प्रफुल्लित हुआ वहां ,अध्यक्ष कुशलमंगल
सिंह कुलश्रेष्ठ ने गाँधीवादी विचारधारा को , खादी को जीवित रखने के लिए
,,अपने संस्थान की किसी भी कार्यक्रम में , सूत की माला के सिवा कोई दूसरी
माला का इस्तेमाल नहीं किया ,, हमे गांधी की हत्या ,,गांधी के हत्यारे
,उसके महिमा मंडन ,, और गाँधीवादी विचारधारा की हत्या होते देख खामोश रहने
के हालातों पर आत्मचिंतन करना होगा ,आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद को
गांधी समर्थक बताकर उपवास करते है ,राजघाट जाते है ,भाषण में गाँधी के नाम
का इस्तेमाल करते है ,लेकिन वोह गोडसे के समर्थकों ,उनके मंदिरों को रोक
नहीं पाए है ,,गोडसे समर्थक साध्वी को सांसद बनाने के बाद हटा नहीं पाए
है ,,गाँधी के अपमान करने वालों को दंड देने का क़ानून नहीं बना पाए है
,, ऐसे में लगता है दोहरी विचारधारा , गांधी सिर्फ ,नोटों पर छापने के लिए
,,भाषणों में इस्तेमाल के लिये ,ही रह गए है ,,ज़िला प्रशासन के कार्यक्रम
रस्म बन कर रह गए है , हमें आत्म चिंतन करना होगा , गांधी के हत्यारों उनके
समर्थकों को तो , पूरी तरह सज़ा नहीं मिली , लेकिन गांधी विचार की हत्या
करने वालों , उनका समर्थन करने वालों को तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी
साहिब को भी मुर्दाबाद कहना होगा , खुले दिल से , मन की बात कर कोई क़ानून
बनाना होगा , क्योंकि , प्रवेंशन ऑफ एम्ब्लेम एक्ट पुराना है , अधूरा है ,,
गांधी पत्रकार थे , वकील थे , कोमी एकता , मानवाधिकार संरक्षण के
अलम्बरदार थे , लेकिन इस तबके ने भी उन्हें नज़रअंदाज़ किया है , में खुद
उनका मुल्ज़िम हूँ ,,अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
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