खुशी की बात है ,, के भाजपा और खासकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी में
राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के प्रति प्रेम उमड़ रहा है , कांग्रेस के लिए तो
पहले से ही राष्ट्रपिता महात्मा गांधी इज़्ज़त माब है ,,लेकिन 2 अक्टूबर को
महात्मा गांधी की यह जयंती ,सिर्फ रैली ,रक्तदान ,मूर्ति पर पुष्पांजलि
,गोष्ठियों तक सिमट कर रही ,रचनात्मक कार्य जो याद रहे उन कार्यों में
सिर्फ ,राजस्थान में ज़रूर गुटका ,तम्बाकू बंद करने के आदेश देकर किये गये ,
प्लास्टिक रोकना ,,तम्बाकू ,गुटका रोकना अलग बात है ,उसे लागू करना
,एडिक्ट लोगों का इलाज कराना ,इससे संबंधित दवाओं को मुफ्त वितरित करवाना
,प्लास्टिक रोक कर वैकल्पिक थैले व्यक्तियों को नहीं व्यापारियों को देना
ऐसा कोई रचनात्मक कार्य तो हुआ नहीं ,,हां गांधी की जयंती बन गयी ,अब गांधी
फिर से किताबों में ,कोर्स में ,भाषणों में ,गोष्ठियों में सिमट कर रह
जाएंगे ,खेर ,,जब देश के प्रधानमंत्री ,,राजस्थान के मुख्यमंत्री गांधी
समर्थक हो गए है ,,राजस्थान के मुख्यमंत्री तो गाँधीवादी जन्म से ही हैं
,, ऐसे में केंद्र और राजस्थान सरकार सहित दूसरी सरकारों में ,,स्वराज का
सपना भी पूरा होना चाहिए ,, कलेक्टर ,,एस पी ,अधिकारीयों , मंत्रियों
,वगेरा से आम आदमी के मिलने का नियमित कार्यक्रम हो ,,सरकारी दफ्तरों से
पर्ची का सिस्टम खत्म हो ,,पर्ची देकर घंटों ज़रूरत मंद अधिकारी के दफ्तर के
बाहर बैठा रहे ,अंदर अधिकारी चाय नाश्ते में ठहाके लगाते रहे और मीटिंग
में व्यवस्त है ,कहकर ज़रूरतमंदों से दूर ,बहुत दूर रहकर ,अंग्रेज़ों के
गुलाम से भी बुरी स्थिति का उन्हें अहसास दिलाते रहे ,,यह हमारे इस देश में
गांधीवादी विचारधारा के लिए शर्म से डूब मरने वाली बात है ,देश आज अगर सच
मे गांधीमय हो गया ,सच में देश में अगर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ,,गांधी
की विचारधारा लागू करना चाहते है ,तो जैसे आधी रात को नॉट बंद किये ,,आधी
रात को अफसरों मंत्रियों की लाल बत्ती हटाने का क़ानून बना ,,कश्मीर को
जोड़ने के लिए अचानक 370 हटाई गयी , ज़िद करके मुस्लिम महिलाओं के लिए ट्रिपल
तलाक़ क़ानून बनाया ,वैसे ही ,देश भर में हर सरकारी दफ्तर ,हर मंत्री का
दफ्तर ,हर ऐसा कार्यालय जिसमे सार्वजनिक काम होते हों ,जो सरकार से तनख्वाह
लेने वाले अधिकारी जहाँ बैठते हो या फिर संगठनों में सरकार के पदों पर
संगठन के निर्वाचन से जाकर वेतन प्राप्त करते हो ,संगठन के खर्च पर
यात्राएं करते हों ऐसे दफ्तरों में हर व्यक्ति के लिए बिना पर्ची के
निर्धारित समयावधि में नियमित लोगों से मिलने के लिए ,ऐसे ज़िम्मेदार लोगों
का प्रतिदिन ज़रूरत मंद लोगों से मुलाक़ात का आवश्यक क़ानून बनाया जाए
,,सरकारी दफ्तरों से अँगरेज़ चले गए औलादें छोड़ गए की तर्ज़ पर जो अधिकारीयों
,मंत्रियों,, खुद मुख्यमंत्री,, प्रधानमंत्री ,गांधीवादी विचारकों ,के
समक्ष पर्ची से मिलने का सिस्टम है , उसे खत्म किया जाए ,,कहने को यह
गांधी का देश है ,,लकिन आम आदमी ,राष्ट्रपति से कैसे मिले ,प्रधानमंत्री से
कैसे मिले ,मुख्यमंत्री से कैसे मिले ,और तो और देश के पार्टियों के
प्रदेश अध्यक्ष ,राष्ट्रिय अध्यक्षों ,महासचिवों ,प्रभारियों से कैसे मिले
,कहाँ मिले दफ्तरों में कार्यकर्ताओं तक के लिए पर्ची के बगैर मिलना असम्भव
हो ,तो फिर राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की प्रासंगिकता बेकार सी बेमानी सी
लगती है , जिस देश में गांधी की हत्या हुई हो ,वहां गांधी के हत्यारे से
नफरत की जगह मोहब्बत का माहौल बने ,,गाँधी का अपमान करने वालों को सियासत
में टिकिट मिले ,जगह मिले ,ऐसे में अगर इस देश में ,,गांधी का अपमान करने
वालों को दंडित करने वालों का क़ानून न हो तो फिर , गांधी की विचारधारा
,,प्रधानमंत्री द्वारा राष्ट्रिय मंच पर गांधी के प्रति प्रेम दर्शाने वाली
सारे भाषण खोखले से लगते है ,ऐसे मामले राजस्थान सहित दूसरी सरकारों को
,,ऐसे क़ानून बनाकर ,गांधीवादी विचारधारा प्रशासन का मॉडल पेश करना चाहिए
,ताकि गांधीवादी ओरिजनल गांधीवादी साबित हो सके ,, अख्तर खान अकेला कोटा
राजस्थान
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