(फिर हम पूछेंगे कि क्यों) ऐ गिरोह जिन व इन्स क्या तुम्हारे पास तुम ही
में के पैग़म्बर नहीं आए जो तुम तुमसे हमारी आयतें बयान करें और तुम्हें
तुम्हारे उस रोज़ (क़यामत) के पेश आने से डराएँ वह सब अर्ज़ करेंगे (बेशक
आए थे) हम ख़ुद अपने ऊपर आप अपने (खि़लाफ) गवाही देते हैं (वाकई) उनको
दुनिया की (चन्द रोज़) जि़न्दगी ने उन्हें अँधेरे में डाल रखा और उन लोगों
ने अपने खि़लाफ आप गवाही दीं (131)
बेशक ये सब के सब काफिर थे और ये (पैग़म्बरों का भेजना सिर्फ) उस वजह से है कि तुम्हारा परवरदिगार कभी बस्तियों को ज़ुल्म ज़बरदस्ती से वहाँ के बाशिन्दों के ग़फलत की हालत में हलाक नहीं किया करता (132)
और जिसने जैसा (भला या बुरा) किया है उसी के मुवाफि़क हर एक के दरजात हैं (133)
और जो कुछ वह लोग करते हैं तुम्हारा परवरदिगार उससे बेख़बर नहीं और तुम्हारा परवरदिगार बे परवाह रहम वाला है - अगर चाहे तो तुम सबके सबको (दुनिया से उड़ा) ले लाए और तुम्हारे बाद जिसको चाहे तुम्हार जानशीन बनाए जिस तरह आखि़र तुम्हें दूसरे लोगों की औलाद से पैदा किया है (134)
बेशक जिस चीज़ का तुमसे वायदा किया जाता है वह ज़रूर (एक न एक दिन) आने वाली है (135)
और तुम उसके लाने में (ख़ुदा को) आजिज़ नहीं कर सकते (ऐ रसूल तुम उनसे) कहो कि ऐ मेरी क़ौम तुम बजाए ख़़ुद जो चाहो करो मैं (बजाए ख़़ुद) अमल कर रहा हूँ फिर अनक़रीब तुम्हें मालूम हो जाएगा कि आख़ेरत (बेहष्त) किसके लिए है (तुम्हारे लिए या हमारे लिए) ज़ालिम लोग तो हरगिज़ कामयाब न होंगे (136)
और ये लोग ख़ुदा की पैदा की हुयी खेती और चैपायों में से हिस्सा क़रार देते हैं और अपने ख़्याल के मुवाफिक कहते हैं कि ये तो ख़़ुदा का (हिस्सा) है और ये हमारे शरीकों का (यानि जिनको हमने ख़़ुदा का शरीक बनाया) फिर जो ख़ास उनके शरीकों का है वह तो ख़़ुदा तक नहीं पहुँचने का और जो हिस्सा ख़ुदा का है वो उसके शरीकों तक पहुँच जाएगा ये क्या ही बुरा हुक्म लगाते हैं और उसी तरह बहुतेरे मुष्रकीन को उनके शरीकों ने अपने बच्चों को मार डालने को अच्छा कर दिखाया है (137)
ताकि उन्हें (बदी) हलाकत में डाल दें और उनके सच्चे दीन को उन पर मिला जुला दें और अगर ख़ुदा चाहता तो लोग ऐसा काम न करते तो तुम (ऐ रसूल) और उनकी इफ़तेरा परदाजि़यों को (ख़़ुदा पर) छोड़ दो और ये लोग अपने ख़्याल के मुवाफिक कहने लगे कि ये चैपाए और ये खेती अछूती है (138)
उनको सिवा उसके जिसे हम चाहें कोई नहीं खा सकता और (उनका ये भी ख़्याल है) कि कुछ चारपाए ऐसे हैं जिनकी पीठ पर सवारी लादना हराम किया गया और कुछ चारपाए ऐसे है जिन पर (जि़बह के वक़्त) ख़़ुदा का नाम तक नहीं लेते और फिर यह ढकोसले (ख़ुदा की तरफ मनसूब करते) हैं ये सब ख़ुदा पर इफ़तेरा व बोहतान है ख़ुदा उनके इफ़तेरा परदाजि़यों को बहुत जल्द सज़ा देगा (139)
और कुफ़्फ़ार ये भी कहते हैं कि जो बच्चा (वक़्त ज़बाह) उन जानवरों के पेट में है (जिन्हें हमने बुतों के नाम कर छोड़ा और जि़न्दा पैदा होता तो) सिर्फ हमारे मर्दों के लिए हलाल है और हमारी औरतों पर हराम है और अगर वह मरा हुआ हो तो सब के सब उसमें शरीक हैं ख़ुदा अनक़रीब उनको बातें बनाने की सज़ा देगा बेशक वह हिकमत वाला बड़ा वाकि़फकार है (140)
बेशक ये सब के सब काफिर थे और ये (पैग़म्बरों का भेजना सिर्फ) उस वजह से है कि तुम्हारा परवरदिगार कभी बस्तियों को ज़ुल्म ज़बरदस्ती से वहाँ के बाशिन्दों के ग़फलत की हालत में हलाक नहीं किया करता (132)
और जिसने जैसा (भला या बुरा) किया है उसी के मुवाफि़क हर एक के दरजात हैं (133)
और जो कुछ वह लोग करते हैं तुम्हारा परवरदिगार उससे बेख़बर नहीं और तुम्हारा परवरदिगार बे परवाह रहम वाला है - अगर चाहे तो तुम सबके सबको (दुनिया से उड़ा) ले लाए और तुम्हारे बाद जिसको चाहे तुम्हार जानशीन बनाए जिस तरह आखि़र तुम्हें दूसरे लोगों की औलाद से पैदा किया है (134)
बेशक जिस चीज़ का तुमसे वायदा किया जाता है वह ज़रूर (एक न एक दिन) आने वाली है (135)
और तुम उसके लाने में (ख़ुदा को) आजिज़ नहीं कर सकते (ऐ रसूल तुम उनसे) कहो कि ऐ मेरी क़ौम तुम बजाए ख़़ुद जो चाहो करो मैं (बजाए ख़़ुद) अमल कर रहा हूँ फिर अनक़रीब तुम्हें मालूम हो जाएगा कि आख़ेरत (बेहष्त) किसके लिए है (तुम्हारे लिए या हमारे लिए) ज़ालिम लोग तो हरगिज़ कामयाब न होंगे (136)
और ये लोग ख़ुदा की पैदा की हुयी खेती और चैपायों में से हिस्सा क़रार देते हैं और अपने ख़्याल के मुवाफिक कहते हैं कि ये तो ख़़ुदा का (हिस्सा) है और ये हमारे शरीकों का (यानि जिनको हमने ख़़ुदा का शरीक बनाया) फिर जो ख़ास उनके शरीकों का है वह तो ख़़ुदा तक नहीं पहुँचने का और जो हिस्सा ख़ुदा का है वो उसके शरीकों तक पहुँच जाएगा ये क्या ही बुरा हुक्म लगाते हैं और उसी तरह बहुतेरे मुष्रकीन को उनके शरीकों ने अपने बच्चों को मार डालने को अच्छा कर दिखाया है (137)
ताकि उन्हें (बदी) हलाकत में डाल दें और उनके सच्चे दीन को उन पर मिला जुला दें और अगर ख़ुदा चाहता तो लोग ऐसा काम न करते तो तुम (ऐ रसूल) और उनकी इफ़तेरा परदाजि़यों को (ख़़ुदा पर) छोड़ दो और ये लोग अपने ख़्याल के मुवाफिक कहने लगे कि ये चैपाए और ये खेती अछूती है (138)
उनको सिवा उसके जिसे हम चाहें कोई नहीं खा सकता और (उनका ये भी ख़्याल है) कि कुछ चारपाए ऐसे हैं जिनकी पीठ पर सवारी लादना हराम किया गया और कुछ चारपाए ऐसे है जिन पर (जि़बह के वक़्त) ख़़ुदा का नाम तक नहीं लेते और फिर यह ढकोसले (ख़ुदा की तरफ मनसूब करते) हैं ये सब ख़ुदा पर इफ़तेरा व बोहतान है ख़ुदा उनके इफ़तेरा परदाजि़यों को बहुत जल्द सज़ा देगा (139)
और कुफ़्फ़ार ये भी कहते हैं कि जो बच्चा (वक़्त ज़बाह) उन जानवरों के पेट में है (जिन्हें हमने बुतों के नाम कर छोड़ा और जि़न्दा पैदा होता तो) सिर्फ हमारे मर्दों के लिए हलाल है और हमारी औरतों पर हराम है और अगर वह मरा हुआ हो तो सब के सब उसमें शरीक हैं ख़ुदा अनक़रीब उनको बातें बनाने की सज़ा देगा बेशक वह हिकमत वाला बड़ा वाकि़फकार है (140)
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