तुम रूठते रहे
में मनाता रहा
फिर रूठोगे तुम
फिर मनाऊंगा में ,,
अभी बात
तुम्हारी तोहमत की है
में मानूँ जब तक
मनाना होगा तुम्हे ,,अख्तर
में मनाता रहा
फिर रूठोगे तुम
फिर मनाऊंगा में ,,
अभी बात
तुम्हारी तोहमत की है
में मानूँ जब तक
मनाना होगा तुम्हे ,,अख्तर
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