बचपन तो ,,बचपन होता है ,शरारती होता है ,,लेकिन टीचर अगर बाल मनोविज्ञान
को समझ ले तो वोह ऐसे हर शरारती बचपन पर भारी होता है ,ऐसा ही एक वाक़्या
,कोटा के एक प्रतिष्ठित कॉन्वेंट बच्चियों के नामचीन स्कूल का है ,जहां
बचपन ने शरारत की ,छात्राओं की कॉपियां चुरा कर उन्हें परेशान करने का
प्रयास किया ,लेकिन टीचर जी का बाल मनोविज्ञान उनकी शरारत पर भारी पढ़ा
,ऐसे शरारती कॉपी चोर बच्चे ,एक्सपोज़ भी नहीं हुए ,कोपिया भी बरामद हो गयी
और जिन बच्चों की पूरा होमवर्क ,क्लासवर्क की हुई कोपिया जानबूझकर प्रताड़ित
करने की गरज़ से चुरा ली गयी थी उन्हें भी कॉपियां मिलने से राहत मिली
,,स्कूल की क्लास माध्यम में ,,यूँ तो कैमरा भी लगा है ,,लेकिन इस क्लास
में एक बच्ची ने ,,पहले एक बच्ची की विज्ञानं की कॉपी गायब की ,बच्ची
परेशांन ,कॉपी की तलाश में घर स्कूल में पागल ,फिर दूसरी बच्ची की इसी विषय
की कॉपी गायब ,,स्कूल में एफ ऐ वन की परीक्षाएं ,,क्लास में क्लासवर्क
,होमवर्क का वेरिफिकेशन इंस्पेक्शन की तारीख नज़दीक ,कॉपियां चेक होने के
वक़्त कॉपियां चोरी हो जाना ,मासूम बच्चों को रुला देने वाली परेशानी थी
,खेर टीचर जी को पता लगा ,टीचर जी ने प्यार से समझाया ,गलती से अगर कॉपी
चली गयी तो बेग में तलाश कर वापस लौटाने पर ज़ोर दिया ,,लेकिन बचपन ज़रा
ज़्यादा ही शरारती ,ज़्यादा ही समझदार था ,कोई टस से मस नहीं हुआ ,कॉपी नहीं
मिल पायी ,बच्चियों का तनाव इंस्पेक्शन के खौफ से बढ़ रहा था ,टीचर जी ने
दिलासा दिया ,दूसरी बच्चियों की कॉपी से फोटो कॉपी करवाने का सुझाव आया ,
फिर नयी कॉपी तैयार करने की बात हुई ,लेकिन टीचर जी ने आखरी हथियार अपनाया
,उन्होंने साफ़ कहा ,बच्चों स्कूल ,क्लास में कैमरा है ,शरारती तो पकड़ा
जाएगा ,उसका अपमान होगा ,तो में एक सुझाव देती हूँ जब क्लास में कोई भी न
हो ,,तो जिस बच्ची ने कॉपियां ली है ,वोह कॉपियां क्लास में इधर उधर रख दे
,,किसी को पता भी नहीं चलेगा ,चोर पकड़ा भी नहीं जाएगा ,उसका अपमान भी नहीं
होगा और जिन बच्चियों की कॉपियां चोरी हुई है उन्हें कॉपियां भी मिल जाएंगी
,,बस दूसरे दिन स्कूल जब बच्चे गए ,,तो जिन बच्चियों की कॉपी गुमी थी
,उनकी बांछे खिली हुई थी ,,उनकी कॉपियां लावारिस हालत में अलग अलग कोने में
रखी मिल गयी ,,,टीचर जी को जब बच्चियों ने खुशखबरी सुनाई ,तो उन्होंने
किसी भी ज़िम्मेदार बच्चे को डांट नहीं पिलाई ,बस बच्चों की ख़ुशी देखी
,,क्लास में सभी बच्चियों की तरफ एक नज़र घुमाई ,हर बच्ची के चेहरे का
मनोविज्ञान पढ़ा ,और मुस्कुरायी ,खामोश हो गयी ,बोली खेर चोर जो भी रहा हो
,,कमसे कम कॉपी तो लोटा दी ,अब बात खत्म ,और इस तरह से बच्चों की चोरी की
शरारत में बच्चों का अपमान भी नहीं हुआ ,चुराई गयी कॉपियां भी मिल गयी
,जिन बच्चियों ने कॉपी चोरियां की उन्हें सबक़ मिला या नहीं लकिन यह घटना
स्कूल की किसी एक क्लास को प्रभावित करने वाली नहीं ,,किसी टीचर जी ,या
स्कूल प्रबंधन को प्रभावित करने वाली नहीं ,समाज को प्रभावित करने वाली भी
है ,,और समाज की भी ज़िम्मेदारी है ,जिन अभिभावकों के बच्चे स्कूलों में
पढ़ते है ,,जो अभिभावक अपने बच्चों की शरारतें जानते है ,ईर्ष्यालु स्वभाव
,शंकालु स्वभाव जानते है ,,,उन्हें समझाना चाहिए ,,अच्छाई बुराई का फ़र्क़
समझाना चाहिए ,शरारत और आपराधिक मानसिकता का फ़र्क़ समझाने का दायित्व टीचर
से ज़्यादा अभिभावकों का है ,इसलिए टीचर जी की सुपुर्दगी में देकर हम लोग
अपना कर्तव्य नहीं भूले ,हम भी बच्चों को चेक करे ,उनके स्वभाव को परखे
,उनकी गतिविधियों पर ध्यान रखे ,कभी उन्हें हिम्मत बँधाये ,कभी उन्हें
समझाये ,,कभी उनका मार्गदर्शन करे ,,,ऐसा हमे करना ही होगा ,,अख्तर खान
अकेला कोटा राजस्थान
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