कोटा की धरती के लिए कल एक दुखद दिन ,एक पिता की अपह्रत पुत्री की शिकायत
के बाद भी पुलिस की कोई कार्यवाही नहीं होने से आहत निराशा में गए दुखी
,बेबस ,लाचार पिता नंदकिशोर की ह्रदयाघात से आकस्मिक मृत्यु कोटा पुलिस के
लिए सिर्फ और सिर्फ एक जांच ,क़ानून व्यवस्था का विषय हो सकता है ,लेकिन यह
कड़वा सच ,मानवता को झकझोरने वाला ,पुलिस व्यवस्था में पुलिस अधीक्षक स्तर
पर शिकायत मिलते ही तत्काल प्रथम सुचना रिपोर्ट दर्ज कर कार्यवाही करने के
क्रियान्वन को कलंकित कर देने वाला है ,,,नवविवाहिता पुत्री का पगफेरे के
वक़्त अपहरण ,की शिकायत एक पिता पुलिस अधीक्षक कोटा के पास लेकर जाता है
,देरी के कारण कुछ भी रहे हो ,लकिन विधि नियम तो यही है ,जो पिता ने कहा है
,उस पर तुरंत कार्यवाही हो ,मुक़दमा दर्ज हो ,पुलिस अपह्रत पुत्री को तलाशे
,, फरियादी पिता को भरोसा दिलाये ,क़ानून उनके साथ है ,पुलिस उनके साथ है
,लेकिन कोटा की क़ानून व्यवस्था में तत्काल प्रथम सुचना रिपोर्ट का सिस्टम
ही गड़बड़ाया हुआ है ,,महिला पुलिसथाना हो ,, तत्काल मारपीट की घटनाये हो
,बेटियों के अपहरण की घटनाये हो ,पुलिस का रवय्या अलग है ,,बिटिया के
अपहरण की घटना हो तो गुमशुदगी की रिपोर्ट ,,मारपिटाई की घटना हो तो
शान्तिभंग ,,और बेईमानीपूर्वक धोखाधड़ी की घटना ,दहेज़ प्रताड़ना का मामला हो
तो परिवाद ,अजीब बात है ,क़ानून कहता है ,संज्ञेय अपराध है तो तुरंत मुक़दमा
दर्ज करे ,अगर मुक़दमा दर्ज नहीं किया गया तो संबंधित पुलिस अधिकारी ,पुलिस
,निरीक्षक थानाप्रभारी के खिलाफ विधि की अवज्ञा 166 ऐ आई पी सी में मुक़दमा
दर्ज हो ,अलवर की घटना हमारी पुलिस व्यवस्था को कलंकित कर देने वाली रही
है ,,इस घटना के बाद राजस्थान में पहली बार सीधे पुलिस अधीक्षक के पास जाकर
एफ आई आर दर्ज करवाने का परिपत्र जारी हुआ ,कोटा पुलिस अधीक्षक के पास इस
परिपत्र के बाद पांच सो से भी अधिक संज्ञय अपराध के परिवाद पेश हुए है ,
ऐसा कोई उदाहरण सामने नहीं आया जिसमे कोटा पुलिस अधीक्षक कार्यालय में कोई
एफ आई आर दर्ज हुई हो ,अभी पुलिस महानिदेशक कपिल गर्ग के निर्देश पर स्टिंग
कार्यवाही हुई ,कोई अज्ञात व्यक्ति स्टिंग कार्यवाही के तहत अपना परिवाद
लेकर कार्यवाही प्रर्किया जानने के लिए पुलिस महानिदेशक भेज कर देखले
,,पुलिस अधीक्षक कार्यालय में एक फरियादी का पुलिस अधीक्षक से मिलना टेडी
खीर है ,पी ऐ साहब ,सी ऐ साहब ,डाक विभाग ,बस डाक में कागज़ लिया मोहर लगाई
,और अगर फरियादी पुलिस अधीक्षक से मिलने की इच्छा भी ज़ाहिर करे तो सिर्फ
टालमटोल ,,नेताओं के प्रभावशाली लोगों के फोनों के बाद स्थिति अलग हो सकती
है ,लेकिन आम तोर पर कार्यालय में थानों के खिलाफ पीड़ित व्यक्ति की सुनवाई
की यह प्रक्रिया दुखद है ,फरियादी को प्रताड़ित करने वाली है ,,शिकायत गलत
है झूंठी है तो झूंठा मुक़दमा दर्ज करवाने की कार्यवाही कीजिये ,,फरियादी को
घेरिये ,, लेकिन तत्काल घटना में अगर उसकी सुचना सही निकली और तत्काल उसे
राहत नहीं दी गयी तो फिर यह जो घटना कोटा की क़ानून व्यवस्था को झकझोरने
वाली हुई है ऐसी और घटनाये होती रहेंगी ,पुलिस अधीक्षक कार्यालय में
शिकायतों की सुनवाई ,उनकी मॉनिटरिंग ,क्रॉस चेकिंग ,थानों पर इन शिकायतों
की प्राथमिकता का आधार तय करना होगा ,जब अदालतों से मुक़दमा दर्ज कर
कार्यवाही के निर्देशों के साथ गयी पत्रावलियां ही कई दिनों तक दर्ज नहीं
होती तो फिर इस व्वयस्था को हम क्या कहेंगे ,मुक़दमों की संख्या से क्यों
डरते है ,थाने ,सच है ,झूंठ है ,मुक़दमा दर्ज करके कार्यवाही करें ,नतीजा जो
भी हो ,झूंठ है तो कार्यवाही के प्रावधान ,सच है तो तत्काल फरियादी को
राहत मिले यही तो क़ानून की मंशा है ,,एक बेटी के अपरहरण के गम में नवल
किशोर का यूँ अचानक सदमे में चले जाना कांग्रेस हो चाहे भाजपा हो ,,हिन्दू
हो चाहे मुसलमान हो ,सभी को आहत करने वाली घटना है ,ऐसी घटना पर संवेदना
और आक्रोश व्यक्त करना सियासत करना अलग बात हो सकती है ,लेकिन भाजपा
,कांग्रेस के नेताओं को संयुक्त रूप से बैठक आहूत कर पुलिस अधीक्षक ,पुलिस
महानिरीक्षक को एक गाइड लाइन बनाने के ; लिए मजबूर करना चाहिए जिसमे ऐसी
शिकायतों का तत्काल दर्ज होना ,तत्काल दर्ज नहीं करने वाले अधिकारी के
खिलाफ मुक़दमा होना उसका निलंबन होना ,,पुलिस अधीक्षक के पास जो भी शिकायते
आये उनका तत्काल निस्तारण ,संज्ञय अपराध मामले में पुलिस अधीक्षक कार्यालय
में तत्काल एफ आई आर ,,ऑन लाइन एफ आई आर दर्ज होने के प्रावधान हो
,,वाट्सएप्प पर भी तत्काल शिकायत दर्ज करवाने के प्रावधान हो ,ऐसी
शिशकायते तुरंत दर्ज कर इन शिकायतों के त्वरित निस्तारण के लिए क्रॉस
चेकिंग और मॉनिटरिंग की व्यवस्था हो तब कही व्यवस्थाएं सार्थक होंगी ,,वरना
नवलकिशोर जैसी घटनाये शिकायते होने के बाद भी हमलों मारपीट की घटनाये होती
रहेंगी ,सियासत होगी ,धर्मानधता होगी ,कोटा बंद ,होगा , प्रदर्शन होंगे
,खबरें बनेंगी लेकिन घटनाक्रम जस का तस रहेगा ,समस्या का समाधान हरगिज़
हरगिज़ नहीं होगा ,,इसीलिए कहता हूँ राजनीति अपनी जगह अलग कोटा का हक़ संघर्ष
अपनी जगह अलग है संयुक्त बैठकें आयोजित कर कोटा की जनता को राहत दिलवाये
,,,,,,,,,अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

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