आपका-अख्तर खान

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26 जून 2019

,,हिंसा ,फसादात ,,मोब्लिचिंग अपनी जगह क़ायम है

देश के जानवरों ने ,,एक तबरेज़ को नामर्दों की तरह से घेर कर कायराना तरीके से मार डाला ,इन कायरों का तो क्या कहना ,लेकिन पुलिस,, प्रशासन,, सांसद ,विधायक , में आप सभी तो निकम्मे ,काहिल और जाहिल है ,जो ऐसी घटनाओं पर खामोश अपने अपने घरों में छुपे बैठे है ,इस घटना को हिन्दू ,,मुस्लिम के आयने से देख रहे है ,,में जस्टिस फॉर तबरेज़ के नाम से चलाये जा रहे अभियान ,ऐसे किसी भी आंदोलन के खिलाफ ,हूँ मुझे जस्टिस फॉर तबरेज़ ,जस्टिस फॉर रमज़ान ,जस्टिस फॉर रोहित ,जस्टिस फॉर नजीब के सख्त खिलाफ हूँ ,मुझे जस्टिस फॉर इण्डिया चाहिए ,आप से भी मेरी अपेक्षा है ,जस्टिस फॉर इंडिया के लिए आप भी अभियान छेड़े ,,कहते है ठाकुर ने हिजड़ों की फौज बनाई है ,माफ़ी चाहता हूँ ऐसे अल्फ़ाज़ों का इस्तेमाल ,सो लोगों का झुण्ड ,एक निहत्था और जानवरों जैसी हरकते ,धर्म के नाम पर अधर्म ,,सभी तो नफरत से भी ज़्यादा नफरत के लायक है ,,,आज कहें को पच्चीस जून आपात काल का दिन है ,लोग इस दिन बुराई कर रहे है ,लेकिन ज़रा सोचो आज आपात काल होती ,आज अगर एक बदमाशों का ,अधर्मियों का ,अपराधियों का झुण्ड ऐसी हरकत करता ,घेर का बाँध कर निहत्थे को मारता ,और पुलिस इसकी मददगार बनकर उसे इन्साफ दिलाने की जगह बिना सुप्रीम कोर्ट के निर्देश डी के बसू के निर्देशों का उलंग्घन और फिर इस तबरेज़ की मोत ,,यह हत्या है ,कुछ नहीं होगा ,देश का मुर्दा क़ानून है , अभी कोटा में एक क़ैदी की पुलिस की निर्मम पिटाई से गर्दन की हड्डी टूटने से मोत हो गयी , लेकिन कोई हलचल नहीं , कोई इंसाफ नहीं सिर्फ गिनती के लोग ,दिल बहलाने के लिए ख्याल अच्छा है की तर्ज़ पर कोशिश कर रहे है ,नेता चुप ,विधायक चुप ,,मंत्री चुप ,पक्ष विपक्ष चुप ,अधिकारी सुनते नहीं ,,क़ानून दण्ड प्रक्रिया संहिता 176 की जांच का विवेकाधिकार भी अजीब है ,एक बाप की हत्या हुई है बेटा इन्साफ के लिए भटक रहा है ,बेटे को मर्ग रिपोर्ट नहीं मिल रही ,बेटे को बाप की पोस्टमार्टम रिपोर्ट की नक़ल नहीं मिल रही ,मेडिकल ,इलाज के पर्चे उसे नहीं दिए जा रहे ,मजिस्ट्रेट जांच में उसकी लिखित शिकायत उसके द्वारा पूर्व में दी गयी शिकायते ,सी डी ,मृतक के बयांन की पूरी उसी की ज़ुबानी पुलिस मार पिटाई की कहानी जांच का हिस्सा नहीं बनाई जा रही ,अजीब है दास्ताँ ,कैसे मिलेगा रमज़ान को इन्साफ कैसे मिलेगी रमज़ान के हत्यारों को सजा ,तो जनाब हम बस जस्टिस फॉर रमज़ान ,जस्टिस फॉर तबरेज़ ,जस्टिस फॉर रोहित ,जस्टिस फॉर रोमिला जैसे जुमले लिखकर कोशिशें करते है ,कभी पूरी होती है ,कभी आधी अधूरी होती है ,हम ऐसे जस्टिस के नाम को देश को दो हिस्सों में बाँट देते है ,एक समाज एक तरफ दूसरा समाज दूसरी तरफ ,यह मेरे देश की तस्वीर नहीं हो सकती ,,देश में जिसके साथ भी अन्याय हुआ हो ,जिसकी भी निर्मम हत्या हुई हो ,वोह हिन्दू ,हो ,मुसलमान हो ,सिक्ख हो ,क्रिश्चियन हो ,उसे सभी हिन्दुस्तानियों को एक जुट होकर इन्साफ दिलवाना चाहिए यह है मेरे देश की तस्वीर लेकिन इस तस्वीर को यहाँ के नेताओं ने ,,मज़हबी ठेकेदारों ने खुद देश के प्रशासनिक अधिकारीयों ,क़ानून की आँख मिचोली ने बदरंग कर डाली है ,हमारे देश के समाज में एक तरफ गीता का ज्ञान है ,अधर्म करने वालों के खिलाफ अपना पराया ,रिश्ता नाता छोड़कर एक हो जाओ ,जंग लड़ो ,उन्हें हराओ ,सत्यमेव जयते की जंग लड़ो ,फिर चाहे सामने हमारा अपना ही क्यों न हो ,यही बात क़ुरआन शरीफ में सुर ऐ तोबा में कही गयी है ,,बिना बिस्मिल्लाह के ,बिना अल्लाह के नाम लिए इस आयत का संदेश है ,ज़ालिमों को तलाशो ,ढूंढो ,,पीछा करके मारो ,तब तक मारते रहो जब तक यह अपनी गलती मानकर सही रास्ते पर न आ जाए ,,जस्टिस फॉर इंडिया के लिए हमें ,पहले इन्साफ की लड़ाई ,फिर सुलह की कोशिश ,फिर दोषियों को नामज़द कर सजा दिलवाने की कोशिश और नहीं तो हमारे पास ऐसे ज़ालिमों के खिलाफ भगवत गीता का सत्यमेव जयते का संघर्ष है ,क़ुरान शरीफ का सुर ऐ तोबा का संदेश है ,,देश के लिए देश के इन्साफ के लिए ,,जस्टिस फॉर इण्डिया के लिए हमे लड़ना तो होगा ही ,,चाहे वोह लड़ाई हमारे अपनों के खिलाफ हो ,चाहे इस ज़द में ज़ुल्म करने वाला हमारा कोई अपना ही क्यों न हो ,हमे जस्टिस फॉर इण्डिया के लिए हर हाल में संघर्ष करना होगा ,,वरना यह नेता लोकसभा ,विधानसभा में तालियां बजा बजा कर ऐसी निर्मम हत्याओं ,मोब्लिचिंग ,नफरत बाज़ों के कायराना हमलों पर सिर्फ हिन्दू मुस्लिम बनाकर बहस ,करेंगे सर्वोच्च प्रधान भी बातों का जादूगर बनकर इधर उधर बात को टालेंगे ,लेकिन इंसाफ़ तो ऐसे लोगों को नहीं ,मिलेगा हमारे देश के प्रधानमंत्री मोब्लिचिंग पर बढे बढे भाषण ,बढ़ी बढ़ी सीख देते है ,सुप्रीमकोर्ट आदेश देती है ,मोब्लिचिंग कोर्ट बनाई जाती है ,असदुद्दीन ,आज़म खान ,घड़ियाली आंसू बहाते है ,,विधानसभा खामोश रहती है ,,हमारे अपने खामोश होते है ,, लेकिन इन सब के बावजूद भी मोब्लिचिंग भी होती है ,नफरत भी होती है ,,अफसर भी शामिल होते है ,सुर्पीम कोर्ट के आदेश ,,मोब्लिचिंग कोर्ट ,,मानवाधिकार आयोग ,,प्रधानमंत्री के घड़ियाली आँसू सब के सब बेकार साबित होते है ,और नफरत ,,हिंसा ,फसादात ,,मोब्लिचिंग अपनी जगह क़ायम है ,ऐसी घटनाओं से देश तार तार हो रहा है ,,लोकतंत्र सेनानी जो आपातकाल के नाम पर हज़ारों रूपये प्रतिमाह का वेतन ले रहे है वोह इस लोकतंत्र को लुटता पिटता दखकर खामोश होता है ,लेकिन अगर यही हमले ,यही मोब्लिचिंग आपातकाल यानी क़ानून के राज के वक़्त होती तो मोब्लिचिंग के सारे ,हमलावर उनके समर्थक ,पुलिसकर्मी प्रशासनिक अधिकारी ,विधायक ,सांसद , जो भी ऐसे हमलों के हिमायती होते वोह सब के सब जेल में होते ,तो जनाब क़ानून का राज स्थापित होना ही चाहिए वरना जंगली लोगों से निपटने के लिए अगर जंगल का क़ानून ही सभी ने अपनाया तो मेरे इस देश की तस्वीर दागदार हो जायेगी और इसीलिए में कहता हूँ ,,हमे संघर्ष करना ,होगा ,हमे झगड़ना ,होगा , आंदोलन करना होगा ,जस्टिस फॉर इंडिया ,जस्टिस फॉर इंडिया ,जस्टिस फॉर इंडिया ,आओ, हम और आप मिलकर फिर से हमारे भारत को जस्टिस फॉर इण्डिया के नारे के साथ सोने की चिड़िया बनाये ,,,,,अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

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