बात अजीब और कितनी अजीब है ,,देशभर में वोटर्स को वोट डालने के लिए जागरूक
करने ,सम्पूर्ण देशभर की मतदान प्रक्रिया के इंचार्ज रहे ,,आदरणीय पूर्व
चुनाव आयुक्त जी वी जी श्रीकृष्ण मूर्ति का गाज़ियाबाद की चुनाव सूचि में
नाम नहीं होने से वोह वोट नहीं डाल सके ,,कहने को यह सिर्फ एक मामूली सी
लापरवाही है ,लेकिन इस देश की लोकतान्त्रिक व्यवस्था ,मतदाता जागरूकता ,,और
लोकप्रतिनिधित्व अधिनियम के तहत सरकारी काम काज को बाधित कर ,,कर्मचारियों
से चुनाव का काम करवाने के सिस्टम पर यह एक करारा तमाचा है ,,,एक वाद
,,एक भाग संख्या एक बूथ , कहने को सरकारी बी एल ओ ,क्रॉस चेकिंग के लिए
निर्वाचन अधिकारी ,,फिर मुख्य निर्वाचन अधिकारी ,राजनितिक स्तर पर ,हर
पार्टी के प्रत्येक बूथ के कार्यकर्ता बी एल ऐ ,,खुद मतदाता इन व्यवस्थाओं
से जुड़ा है ,फिर भी यह गंभीर गलतियां हमारे चुनावी सिस्टम ,जागरूकता ,क्रॉस
चेकिंग पर तमाचा है ,,सामान्य बात हो तो अलग बात है ,,लेकिन देश भर की
चुनावी व्यवस्था संभाल चुके जी वी जी कृष्णमूर्ति साहिब का नाम तीस साल से
लगातार वोटर लिस्ट में होने के बाद भी काट दिया जाना ,,व्यवस्था की पोल
खोलता है ,,खुद कृष्णमूर्ति की जागरूकता पर भी प्रश्न चिन्ह है ,,आज के
युग में ऑन लाइन चेकिंग को और आसान बनाने की ज़रूरत है ,,वोटर का नाम काटने
के पहले उसे व्यक्तिगत सुचना देकर सुनवाई का अवसर दिए जाने का प्रावधान
बनाने की ज़रूरत है ,करोडो करोड़ रूपये चुनाव के नाम पर खर्च और फिर
व्यवस्थाओं के नाम पर ऐसा तमाचा हमे ,हमारे चुनावी सिस्टम को शर्मसार करता
है ,,आचार संहिता में देख लीजिये जिसकी मर्ज़ी पढ़े उल जलूल बकवास ,,कभी धर्म
के नाम पर ,कभी हिंसा के नाम पर ,कभी वर्ग ,जाति ,समाज के नाम पर ,तो कभी
लिंग के नाम पर ,,तो कभी भाषा ,,क्षेत्र के नाम पर उलंग्घन है ,राजस्थान
का इतना बढ़ा उदाहरण के खुद राज्यपाल कल्याण सिंह एक भारतीय जनता पार्टी के
कार्यकर्ता के रूप में मोदी के लिए वोट मांग रहे ,है ,,जो चुनाव आयुक्त ऐसे
लोगो को पद से हटाने में सक्षम है ,उसकी सिफारिश के बाद चुप्पी की वजह से
राष्ट्रपति महोदय ने खुद पक्षपात करते हुए बहाने बाज़ी की और ,,राज्यपाल को
इस खुले उलंग्घन के लिए अब तक पद से नहीं हटाया है ,,खुद नरेंद्र मोदी ने
गत गुजरात विधानसभा चुनाव में प्रचार के दौरान ,,राहुल गाँधी पर खुला
पाकिस्तान के लोगों से बैठक करने का आरोप सरेआम लगाया ,जो पूरा झूंठ का
पुलंदा था इस तरह के बयान के लिए ,,लोकसभा में खेद तो प्रकट कर दिया
,,लेकिन चुनाव आयुक्त की लापरवाही ,चुप्पी ,,कर्तव्यों के उलंग्घन की वजह
से ,नरेंद्र मोदी ने अपने इस बयान से गुजरात की जनता को खूब गुमराह कर
,,वोटर का फायदा उठाया ,,इसी तरह से उत्तर प्रदेश के मुख्यमत्री योगी
आदित्य नाथ ,का हाल है का चुनावी बयान बजरंग बलि और अली वाला कितना खतरनाक
है ,लेकिन चुनाव आयोग निष्पक्ष नहीं ,सिर्फ सरकार की नौकरी की तरह काम कर
रहा है ,,ऐसे में ज़रूरी हो गया है ,चुनाव आयोग स्वतंत्र हो ,खुद का पाना
सालाना बजट ,,चुनाव प्रक्रिया के अलग कर्मचारी हो ,,उनकी अपनी पुलिस हो
,,निर्वाचन अपराध की सुनवाई के लिए हर ज़िले में फ़ास्ट ट्रेक कोर्ट हों
,,वैधानिक ज़िम्मेदारी हो सुप्रीमकोर्ट के दायरे में हो ,,सुचना के
अधिकार अधिनियम के दायरे में हो ,अगर ऐसा हुआ तभी यह लोकतंत्र बच पायेगा
,,वरना चुनाव आयुक्तों की स्थिति सभी देख रहे है ,,एक कलेक्टर जिसका
ट्रांसफर सरकार के मंत्री अपनी मर्ज़ी से करते है ,वही चुनाव अधिकारी भी हो
जाता है ,,अब कलेक्टर खुद के खिलाफ तो कार्यवाही करने में सक्षम नहीं है
ना ,तो जनाब इस सिस्टम को बदलिए ,,नया सिस्टम ,,ओरिजनल लोकतंत्र मान्यता
प्राप्त पार्टियों के संविधान की पदाधिकारियों के लिए पालना सुनिश्चित करना
चुनाव आयोग का काम है ,चुनाव आयोग के प्रतिनिधि की उपस्थिति में ऐसी
व्यवस्था हो के पार्टी के संविधान के तहत पार्टी के चुनाव हो ,सभी
पार्टियों में पार्टी की सदस्य्ता ग्रहण करने के बाद ,विशेष प्रशिक्षण का
प्रमाणपत्र प्राप्त करने के बाद ही पार्टी के सिंबल पर कोई भी चुनाव लड़ने
की व्यवस्था है ,लेकिन भाजपा से कांग्रेस में ,कांग्रेस से भाजपा में
,,अधिकारी इस्तीफा देकर पार्टी में ,राजा ,महाराजा ,धर्म ,,समाज के आधार पर
नेता बने लोग ,फिल्म स्टार ,खिलाड़ी तुरंत पार्टी में शामिल हुए और एक
मिनट में उन्हें बिना किसी संवैधानिक व्यवस्था के तुरंत पार्टी का टिकिट
मज़ाक़ बन गया है ,,अख्तर खान अकेला कोटा राजस्था
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