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08 फ़रवरी 2019

और आदमी (की हालत तो ये है कि

(इस) किताब (क़ुरान) का नाजि़ल करना उस खु़दा की बारगाह से है जो (सब पर) ग़ालिब हिकमत वाला है (1)
(ऐ रसूल) हमने किताब (कु़रान) को बिल्कुल ठीक नाजि़ल किया है तो तुम इबादत को उसी के लिए निरा खुरा करके खु़दा की बन्दगी किया करो (2)
आगाह रहो कि इबादत तो ख़ास खु़दा ही के लिए है और जिन लोगों ने खु़दा के सिवा (औरों को अपना) सरपरस्त बना रखा है और कहते हैं कि हम तो उनकी परसतिश सिर्फ़ इसलिए करते हैं कि ये लोग खु़दा की बारगाह में हमारा तक़र्रब बढ़ा देगें इसमें शक नहीं कि जिस बात में ये लोग झगड़ते हैं (क़यामत के दिन) खु़दा उनके दरम्यिान इसमें फै़सला कर देगा बेशक खु़दा झूठे नाशुक्रे को मंजि़ले मक़सूद तक नहीं पहुँचाया करता (3)
अगर खु़दा किसी को (अपना) बेटा बनाना चाहता तो अपने मख़लूक़ात में से जिसे चाहता मुन्तखिब कर लेता (मगर) वह तो उससे पाक व पाकीज़ा है वह तो यकता बड़ा ज़बरदस्त अल्लाह है (4)
उसी ने सारे आसमान और ज़मीन को बजा (दुरूस्त) पैदा किया वही रात को दिन पर ऊपर तले लपेटता है और वही दिन को रात पर तह ब तह लपेटता है और उसी ने आफताब और महताब को अपने बस में कर लिया है कि ये सबके सब अपने (अपने) मुक़रर्र वक़्त चलते रहेगें आगाह रहो कि वही ग़ालिब बड़ा बख़्शने वाला है (5)
उसी ने तुम सबको एक ही शख़्स से पैदा किया फिर उस (की बाक़ी मिट्टी) से उसकी बीबी (हौव्वा) को पैदा किया और उसी ने तुम्हारे लिए आठ कि़स्म के चारपाए पैदा किए वही तुमको तुम्हारी माँओं के पेट में एक कि़स्म की पैदाइश के बाद दूसरी कि़स्म (नुत्फे जमा हुआ खू़न लोथड़ा) की पैदाइश से तेहरे तेहरे अँधेरों (पेट) रहम और झिल्ली में पैदा करता है वही अल्लाह तुम्हारा परवरदिगार है उसी की बादशाही है उसके सिवा माबूद नहीं तो तुम लोग कहाँ फिरे जाते हो (6)
अगर तुमने उसकी नाशुक्री की तो (याद रखो कि) खु़दा तुमसे बिल्कुल बेपरवाह है और अपने बन्दों से कुफ्र और नाशुक्री को पसन्द नहीं करता और अगर तुम शुक्र करोगे तो वह उसको तुम्हारे वास्ते पसन्द करता है और (क़यामत में) कोई किसी (के गुनाह) का बोझ (अपनी गर्दन पर) नहीं उठाएगा फिर तुमको अपने परवरदिगार की तरफ लौटना है तो (दुनिया में) जो कुछ (भला बुरा) करते थे वह तुम्हें बता देगा वह यक़ीनन दिलों के राज़ (तक) से खू़ब वाकि़फ है (7)
और आदमी (की हालत तो ये है कि) जब उसको कोई तकलीफ पहुँचती है तो उसी की तरफ रूझू करके अपने परवरदिगार से दुआ करता है (मगर) फिर जब खु़दा अपनी तरफ से उसे नेअमत अता फ़रमा देता है तो जिस काम के लिए पहले उससे दुआ करता था उसे भुला देता है और बल्कि खु़दा का शरीक बनाने लगता है ताकि (उस ज़रिए से और लोगों को भी) उसकी राह से गुमराह कर दे (ऐ रसूल ऐसे शख़्स से) कह दो कि थोड़े दिनों और अपने कुफ्र (की हालत) में चैन कर लो (8)
(आखि़र) तू यक़ीनी जहन्नुमियों में होगा क्या जो शख़्स रात के अवक़ात में सजदा करके और खड़े-खड़े (खु़दा की) इबादत करता हो और आख़ेरत से डरता हो अपने परवरदिगार की रहमत का उम्मीदवार हो (नाशुक्रे) काफिर के बराबर हो सकता है (ऐ रसूल) तुम पूछो तो कि भला कहीं जानने वाले और न जाननेवाले लोग बराबर हो सकते हैं (मगर) नसीहत इबरतें तो बस अक़्लमन्द ही लोग मानते हैं (9)
(ऐ रसूल) तुम कह दो कि ऐ मेरे ईमानदार बन्दों अपने परवरदिगार (ही) से डरते रहो (क्योंकि) जिन लोगों ने इस दुनिया में नेकी की उन्हीं के लिए (आख़ेरत में) भलाई है और खु़दा की ज़मीन तो कुशादा है (जहाँ इबादत न कर सको उसे छोड़ दो) सब्र करने वालों ही की तो उनका भरपूर बेहिसाब बदला दिया जाएगा (10)

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