और जिस दिन क़यामत बरपा होगी (उस दिन) गुनेहगार लोग ना उम्मीद होकर रह जाएँगे (12)
और उनके (बनाए हुए ख़ुदा के) शरीकों में से कोई उनका सिफ़ारिशी न होगा और ये लोग ख़़ुद भी अपने शरीकों से इन्कार कर जाएँगे (13)
और जिस दिन क़यामत बरपा होगी उस दिन (मोमिनों से) कुफ़्फ़ार जुदा हो जाएँगें (14)
फिर जिन लोगों ने ईमान क़ुबूल किया और अच्छे अच्छे काम किए तो वह बाग़े बेहेषत में निहाल कर दिए जाएँगे (15)
मगर जिन लोगों के कुफ़्र एख़्तेयार किया और हमारी आयतों और आख़ेरत की हुज़ूरी को झुठलाया तो ये लोग अज़ाब में गिरफ्तार किए जाएँगे (16)
फिर जिस वक़्त तुम लोगों की शाम हो और जिस वक़्त तुम्हारी सुबह हो ख़ुदा की पाकीज़गी ज़ाहिर करो (17)
और सारे आसमान व ज़मीन में तीसरे पहर को और जिस वक़्त तुम लोगों की दोपहर हो जाए वही क़ाबिले तारीफ़ है (18)
वही जि़न्दा को मुर्दे से निकालता है और वही मुर्दे को जिन्द़ा से पैदा करता है और ज़मीन को मरने (परती होने) के बाद जि़न्दा (आबाद) करता है और इसी तरह तुम लोग भी (मरने के बाद निकाले जाओगे) (19)
और उस (की कु़दरत) की निशानियों में ये भी है कि उसने तुमको मिट्टी से पैदा किया फिर यकायक तुम आदमी बनकर (ज़मीन पर) चलने फिरने लगे (20)
और उसी की (क़़ुदरत) की निशानियों में से एक ये (भी) है कि उसने तुम्हारे वास्ते तुम्हारी ही जिन्स की बीवियाँ पैदा की ताकि तुम उनके साथ रहकर चैन करो और तुम लोगों के दरमेयान प्यार और उलफ़त पैदा कर दी इसमें शक नहीं कि इसमें ग़ौर करने वालों के वास्ते (क़ु़दरते ख़़ुदा की) यक़ीनी बहुत सी निशानियाँ हैं (21)
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