रात की बिखरी
बिस्तर की सिलवटें
आंसुओं से
तरबतर हुआ तकिया
मेरी सुर्ख आँखें
मुरझाया हुआ चेहरा
तुम खुद ही देख लो
क्या हालत है मेरी
तुम्हारे बगैर ,,अख्तर
बिस्तर की सिलवटें
आंसुओं से
तरबतर हुआ तकिया
मेरी सुर्ख आँखें
मुरझाया हुआ चेहरा
तुम खुद ही देख लो
क्या हालत है मेरी
तुम्हारे बगैर ,,अख्तर
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