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05 सितंबर 2018

बिना किसी प्रतिफल के ,,बिना किसी गुरुदक्षणा के जो ,सत्यता ,,मानवता का पाठ पढाते थे ,उन्हें में गुरु ,कहूं ,या फिर वोह द्रोणाचार्य जिन्होंने

बिना किसी प्रतिफल के ,,बिना किसी गुरुदक्षणा के जो ,सत्यता ,,मानवता का पाठ पढाते थे ,उन्हें में गुरु ,कहूं ,या फिर वोह द्रोणाचार्य जिन्होंने ,,एकलव्य द्वारा उनकी मूर्ति बनाकर उन्हें प्रतीकात्मक गुरु स्वीकार कर धनुष विद्या सीखने पर ,स्वार्थों के खातिर उसका अंगूठा कटवा दिया ,उन्हें गुरु कहूं ,में जिस देश के महान नेता ने हिंसा का तांडव करने पर अपने ही विचारधारा के मुख्यमंत्री को राजधर्म सीखने का पाठ पढ़ाया था ,,उसे में गुरु कहूं ,,वर्तमान हालातो में जो लोग ,अपने अधीनस्थों को नफरत ,,हिंसा ,मोब्लिचिंग ,,राष्ट्रिय अराजकता ,,भूख गरीबी जैसे मुद्दों को भटकाने के लिए दूसरे मुद्दे छद्म रूप से उठाना सिखाते हो उन्हें में गुरु कहूं ,,,या फिर में लालकृष्ण आडवाणी जिन्होंने आदरणीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी साहिब को अंगुली पकड़कर चलाना सिखाया फिर हाशिये पर हो गए उन्हें गुरु कहूं ,,कुछ समझ नहीं आता आज वर्तमान में जो कोचिंग गुरु अरबों रूपये का टेक्स देते हुए ,जो मेडिकल कॉलेज गुरु ,जो इंजीनियरिंग कॉलेज गुरु ,जो स्कूल गुरु मुंह मांगी लूटकर शिक्षा बेचते हो उनको गुरु कहूं ,,डॉक्टर सर्वपल्ली इन गुरुओं से अलग थे ,वोह प्रतिफल नहीं लेते थे ,वोह शिक्षा के व्यसायिकरण के खिलाफ थे ,उन्हें द्रोणाचार्य बनकर ,अर्जुन को जिताने के लिए झूंठ बोलकर एकलव्य का अंगूठा नहीं चाहिए था ,वोह हिंसा ,,नफरत का पाठ पढ़ाने वाले गुरुओं से नफरत करते थे ,लेकिन इस दिन उनके जन्म दिन पर ,गुरु दिवस ,शिक्षक दिवस ,शिक्षकों के आत्मचिंतन का एक विशेष दिन बन गया है ,शिक्षकों की समस्याओं पर चिंतन ,उनके बहतरीन काम पर उनकी पीठ थपथपाने का एक दिन बन गया है ,,वर्तमान हालातों में शिक्षकों के अलग अलग रूप ,है लेकिन फिर भी देश को जो नवनिर्मित करने में जुटा है ,देश की युवा पीढ़ी को जो राष्ट्रवादी की राह पर चलाने की कोशिशों में है वोह सही मायनों में या तो अपने वेतन का शोषण करवाकर ,मुट्ठीभर रुपयों में प्राइवेट स्कूलों में बच्चो को तन्मयता से शिक्षा देने वाली शख्सियत गुरु है ,या फिर सरकारी स्कूलों में हर व्यक्ति की गालियां आलोचनाएं सुनकर शिक्षा व्यवस्था में जुटकर गरीब ,निर्धन ,मिडिल क्लास के भारत को स्वर्णिम भारत बनाने में जुटा है ,,, शिक्षक को मेरा सलाम है ,मेरा सेल्यूट ,,,है ,जो लाख आलोचनाओं ,,सियासी फेरबदल के वक़्त दूरदराज़ सजा के बतौर ,,बदले की भावना के बतौर ,,ट्रांसफर के खौफ में जीता ,है ,एक स्कूल जो निजी स्कूल है वोह पांच सितारा होटल से भी बेहतर ,है ,,एक स्कूल जो या तो नीम के पेड़ के नीचे चल रहा ,है ,या फिर टूटे फूटे क्लासरूमों में जहाँ छात्रों के लिए गुरूजी के लिए बैठने की जगह भी नहीं है ,ऐसी जगह जहाँ रंगाई पुताई नहीं ,,है ,,भीषण गर्मी में पंखा रुक रुक कर चल रहा है ,जहाँ नेताओ के कार्यक्रम ,वृक्षारोपण ,,योगा ,,व्यायाम ,,स्वाधीनता दिवस ,छब्बीस जनवरी की सरकारी स्टेडियम में बच्चो को लेकर जाने का गुरु पर दबाव है ,ऐसा गुरु जो नियुक्त तो स्कूल में बच्चो को पढाने के लिए किया गया है ,,लकिन पढ़ाई से अलग हठ कर उस गुरु को स्कूलों में प्रतियोगी परीक्षाएं करवाने के लिए अपना अवकाश छोड़कर नौकरी करना पढ़ रही है ,चुनावी ड्यूटी में घर घर ,गली गली ,भागना पढ़ रहा ,है एक ऐसा गुरु जिसे पशुओं की गिनती के लिए लगाया गया है ,तो शिविरों में सरकारी योजनाओं के क्रियान्वयन में लगा दिया गया है ,, हाईकोर्ट का आदेश है ,सुप्रीम कोर्ट का निर्देश है अध्यापक को शिक्षा के अलावा किसी अन्य कार्य में नहीं लगाया जाए ,लेकिन सभी आदेश भाड़ में एक गुरूजी है जिन्हे फ़ालतू समझकर ,चुनाव आयोग ,,,कलेक्टर प्रशासन ,चाहे जिस काम में लगा देते है ,,सच माने तो गुरु को गुरुघंटाल बना दिया गया है ,स्कूलों में विज्ञानं है तो प्रयोगशाला नहीं ,खेल प्रतिभाओं के लिए व्यवस्थाएं नहीं ,स्काउट ,गाइड के लिए माहौल नहीं ,एक तरफ गरीब ,गुरबा लोगो के मध्यमवर्गीय औसत प्रतिभा से कहीं बहुत कम प्रतिभा रखने वाले बच्चे इन स्कूलों में पढ़ते ,है ,गुरूजी उनको पढ़ाये ,उनका मानसिक स्तर प्राइवेट स्कूलों के बच्चों से आधे से भी आधा होने पर भी उन्हें सिखाये ,,उन्हें साइकल बांटे ,,उन्हें स्कुटी बांटे ,,उन्हें यूनिफॉर्म किताबें बांटे ,,उनके पोषाहार ,,दूध वगेरा का ध्यान रखे ,,उन्हें खिलाये ,हर चीज़ का हिसाब रजिस्टर में मेन्टेन करें ,,,खुद का रजिस्टर बनाये ,,खुद की बाबूगिरी का काम करे ,शालादर्पण के नाम पर माथापच्ची करे ,घर घर जाकर सरकारी स्कूलों में बच्चों को प्रवेश दिलवाने के लिए सड़को पर घूमे और फिर भी गुरु चोर ,है बेईमान ,है कुछ काम नहीं करते ,शर्मसार कर देती है यह बेहूदा टिप्पणियां ,,एक गुरु जो यह सब करके भी अपनी क्लास के औसत से कहीं कम बुद्धि के बच्चे को पढ़ाकर ,,पांचसितारा स्कूलों में पढ़ रहे बच्चो के मुक़ाबिल लाने की कोशिश करता ,है उन्हें शुक्रिया कहने की जगह इस तरह की टिप्पणियां उन्हें अपमानित नहीं करती तो और क्या है ,,दोस्तों आज शिक्षक दिवस है ,एक शिक्षक का दर्द ,गुरुद्रोणाचार्य बनकर डॉक्टर सर्वपल्ली बनकर नहीं जाना जा सकता ,या तो राजधर्म की शिक्षा देने वाले प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ,,या फिर ऊँगली पकड़ कर चलाने वाले लाकृष्ण आडवाणी गुरु का दर्द देखकर ,या फिर आज के जो गुरु जिन्हे इन गैरशिक्षा कार्यों में झोंक कर हज़ारो तरह के परफोर्मे ,हज़ारो तरह की ,जानकारियां ,गैर ज़रूरी ड्यूटियों में उन्हें लगाकर उन्हें गुरु होने का हिसाब माँगा जाता है ,,उनके दर्द से समझा जा सकता है ,इस मौके पर में मुझे निशानेबाज़ी सिखाने वाले गुरु मेरे वालिद इंजिनियर असगर अली ,,मुझे मज़हबी शिक्षा सीखा कर मुझे तहज़ीब की सीख देने वाली मेरी गुरु मेरी अम्मीजान रशीदा खानम ,,मुझे पत्रकारिता सिखाने वाले ओमनारायण सक्सेना ,,मुझे वकालत सिखाने वाले एडवोकेट जमील साहब ,,और क्रोध के बाद शांत हो जाने की शिक्षा देने वाली मेरी बिटिया जवेरिया अख्तर ,,सदफ अख्तर ,,,रिश्तो को निभाने में कोताही बरतने पर ,रिश्ते निभाने की सीख देने वाले मेरी पत्नी गुरु रिज़वाना अख्तर ,,को भी में सेल्यूट करूँगा ,सलाम करूँगा ,,अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

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