देश के इतिहास में पहली बार ,,लोकप्रतिनिधित्व अधिनियम ,देश के संविधान का
मखौल उड़ाते हुए ,,निष्पक्ष चुनाव ,ईमानदारी के चुनाव की ज़िद पर अढे
राजस्थान के प्रशासनिक अधिकारी अश्वनी भगत को चुनाव के पूर्व हटाकर दूसरे
चुनाव आयुक्त नियुक्त किये गये है ,सारा ,,राजस्थान ,राजस्थान के सभी
,निर्वाचन अधिकारी ,सहायक निर्वाचन अधिकारी ,,विधानसभा क्षेत्र में लगे
,बी एल ओ अच्छी तरह से जानते है ,के अश्वनी भगत ने कोटा सहित कई ज़िलों में
दिग्गज नेताओ ,अधिकारीयों के मनमानी ,,मतदाता सूचि में नाम जुड़वाने
के मामले में नहीं चलने दी ,नियमित परीक्षण ,,निरीक्षण ,,जिला निर्वाचन
अधिकारियो पर निगरानी से ,,क्षेत्रीय नेताओ के इशारे पर मतदाता सूचि तैयार
करने के मामले में अधिकारी भी खुद को असहाय बताकर अपना पड़ला झाड़ रहे थे ,बी
एल औ ,,अश्वनी भगत की इस निष्पक्षता से बहुत खुश थे ,,नए मतदाताओं के नाम
जुड़वाने में उनकी सकुनत पते ,,के सबूत बगैर नाम नहीं जुड़ने दिए ,जबकि 18
वर्ष के वोटर की जन्मतिथि तस्दीक़ किये बगैर उनके नाम जोड़ने पर पाबंदी थी
,दोहरी मतदाता सूचि ,,भगसंख्याओं में बदलाव के समय ,,गहन निरीक्षण की
हिदायत थी ,कोटा सहित कई ज़िलों के अधिकारी ,जनप्रतिनिधि ,,मतदाता सूचि
मामले में निष्पक्षता से कार्य करने को मजबूर थे ,सत्त्ता पक्ष के बी एल ऐ
बी एल ओ पर निगरानी तो कर रहे थे लेकिन मनमानी नहीं कर पा रहे थे
,प्रतिपक्ष की सूचि जिला निर्वाचन अधिकारीयों को संगठन के जिला अध्यक्ष
द्वारा अब तक नहीं दिए जाने से निर्वाचन अधिकारी द्वारा अधिकृत रूप से
प्रतिपक्ष बी एल ऐ की सूचि बी एल ओ को जारी नहीं की थी ,लेकिन अश्वनी भगत
का खौफ ऐसा था ,एक प्रतिपक्ष के बी एल ऐ के बगैर भी बी एल ओ ,,सियासी
प्रभाव में आकर मतदाता सूचि में गलत नाम ,जुड़वाने हटाने का दुस्साहस नहीं
कर पा रहे थे ,निर्वाचन आयोग एक तरफ तो चुनाव के छह माह पूर्व निर्वाचन में
लगे कर्मचारियों ,अधिकरियों को इस कार्य को प्रभावित होने से रोकने के लिए
,किसी भी अधिकारी ,कर्मचारी को हटाने पर रोक लगाता है ,लेकिन राजस्थान में
सियासी कठपुतली बनने से इंकार करने ,फ़र्ज़ी मतदाताओं का भौतिक सत्यापन कर
उन्हें हटाने के मामले में सख्त और निष्पक्ष अश्वनी भगत को इलज़ाम लगाकर सज़ा
के बतोर हटाना दाल में कुछ काला लगता है ,,निर्वाचन आयोग ने इस मामले में
किसके प्रभाव में ,,किन सबूतों के आधार पर अश्वनी भगत के खिलाफ इलज़ाम लगाकर
उन्हें निष्पक्ष होने ,निष्पक्ष कार्यकरने के बाद हटाकर नए राजस्थान चुनाव
आयुक्त बनाये है ,यह तो प्रशासनिक जांच का विषय है ,लेकिन अश्वनी भगत अगर
इस मामले को अपनी ईमानदारी साबित करने के लिए सार्वजनिक मंच ,या फिर
न्यायालय में ले जाते है ,तो सत्तापक्ष के निर्वाचन कार्यों में प्रभाव की
पोल पट्टी भी खुल सकती है ,,,,,कोटा के सभी लोग अश्वनी भगत के कोटा कलेक्टर
कार्यकाल के वक़्त उनकी कार्यशैली को खूब अच्छी तरह से जानते है
,निष्पक्षता ,पारदर्शिता के मामले में उनके अधीनस्थ कामचोर ,पक्षपात
अधिकारी भी सुधर गए थे ,,लेकिन अपमान का यह दंश सिर्फ एक निष्पक्ष
,पारदर्शी अधिकारी को नहीं मिला है ,यह पुरे प्रशासनिक अधिकारियो पर
कुठाराघात है ,ऐसे में प्रशासनिक अधिकारियो को जो संघ बना है वोह अपना
कर्तव्य निभाता है या फिर यूँ ही ,खामोश तमाशा देखकर सत्ता में अपने नंबर
बढ़वाने की जुगत में रहता है ,,,,,,,,,,,,अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
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