क्या क्या लिखूँ
कुछ जीत लिखूँ या हार लिखूँ
या दिल का सारा प्यार लिखूँ
कुछ अपनो के जज़्बात लिखूँ
या सपनों की सौगात लिखूँ
कुछ जीत लिखू या हार लिखूँ
या दिल का सारा प्यार लिखूँ
मैं खिलता सुरज आज लिखूँ
या चेहरा चाँद गुलाब लिखूँ
वो डूबते सुरज को देखूँ
या उगते फूल की साँस लिखूँ
वो पल में बीते साल लिखूँ
या सदियों लम्बी रात लिखूँ
मै तुमको अपने पास लिखूँ
या दूरी का ऐहसास लिखूँ
मै अन्धे के दिन में झाँकू
या आँखो की मैं रात लिखूँ
मीरा की पायल को सुन लूँ
या गौतम की मुस्कान लिखूँ
बचपन में बच्चों से खेलूँ
या जीवन की ढलती शाम लिखूँ
सागर सा गहरा हो जाऊँ
या अम्बर का विस्तार लिखूँ
वो पहली-पहली प्यास लिखूँ
या निश्छल पहला प्यार लिखूँ
सावन कि बारिश में भीगूँ
या आँखों की बरसात लिखूँ
गीता का अर्जुन हो जाऊँ
या लँका रावन राम लिखूँ
मै हिन्दू मुस्लिम हो जाऊँ
या बेबस कोई इन्सान लिखूँ
मै एक ही मजहब को जी लूँ
या मजहब की आँखें चार लिखूँ
कुछ जीत लिखूँ या हार लिखूँ
या दिल का सारा प्यार लिखूँ
कुछ अपनो के जज़्बात लिखूँ
या सपनों की सौगात लिखूँ
कुछ जीत लिखू या हार लिखूँ
या दिल का सारा प्यार लिखूँ
मैं खिलता सुरज आज लिखूँ
या चेहरा चाँद गुलाब लिखूँ
वो डूबते सुरज को देखूँ
या उगते फूल की साँस लिखूँ
वो पल में बीते साल लिखूँ
या सदियों लम्बी रात लिखूँ
मै तुमको अपने पास लिखूँ
या दूरी का ऐहसास लिखूँ
मै अन्धे के दिन में झाँकू
या आँखो की मैं रात लिखूँ
मीरा की पायल को सुन लूँ
या गौतम की मुस्कान लिखूँ
बचपन में बच्चों से खेलूँ
या जीवन की ढलती शाम लिखूँ
सागर सा गहरा हो जाऊँ
या अम्बर का विस्तार लिखूँ
वो पहली-पहली प्यास लिखूँ
या निश्छल पहला प्यार लिखूँ
सावन कि बारिश में भीगूँ
या आँखों की बरसात लिखूँ
गीता का अर्जुन हो जाऊँ
या लँका रावन राम लिखूँ
मै हिन्दू मुस्लिम हो जाऊँ
या बेबस कोई इन्सान लिखूँ
मै एक ही मजहब को जी लूँ
या मजहब की आँखें चार लिखूँ
कुछ जीत लिखूँ या हार लिखूँ
या दिल का सारा प्यार लिखूँ
या दिल का सारा प्यार लिखूँ
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