के ई डी एल बिजली कम्पनी के खिलाफ ,कोटा बंद का आह्वान ,सभी कोशिशों ,सभी
तरह माण्डोली ,,सभी तरह के षडयंत्रो के बाद भी आखिर कोटा बंद हो ही गया
,,कोटा बंद हुआ भी और सफल भी हुआ ,,तुम सभी षड्यंत्रों के बाद भी हिम्मत
सिंह की हिम्मत तो नहीं तोड़ सके ,, दस दिन का वक़्त लेकर ,तुमने थोड़ी बहुत
राहत की सांस ज़रूर ली है ,लेकिन जो लोग हिम्मत सिंह ,उनकी टीम ,उनके
ईमानदाराना इरादों को जानते है ,,उन्हें पता है उन दस दिनों में ,,अगर
प्रशासन ने सरकार ने ,बिजली कम्पनी ने अपनी हठधर्मिता बनाये रखी तो उसके
दलाल उसकी कोई मदद नहीं कर पाएंगे ,,जनता के आक्रोश को समेट कर शांतिपूर्ण
एक प्रदर्शन और होगा ,और इस प्रदर्शन में जो लोग परदे के पीछे ,बिजली
कम्पनी के मददगार है उनकी कलई खुल कर रह् जाएगी ,,खेर कोटा बंद हो गया
,बिजली कम्पनी जहाँ थी वहीं है ,उसका कारोबार ,उसकी लूटमार बदस्तूर जारी
रहेगी ,,जिन लोगो के स्मार्ट मीटर लगाये गए है ,उनके स्मार्ट मीटर हटेंगे
या नहीं ,,जिनके बिजली के बिल अनाप शनाप है ,वोह बिल सही होंगे या नहीं
,,मासिक बिल की लूट रुकेगी या ,नहीं ,अतिरिक्त टेक्स जो अलग अलग लग रहे है
वोह कटेंगे या नहीं ,इस बारे में अभी कोई घोषणा नहीं हुई है ,,बिजली लूट के
खिलाफ संघर्ष करने वालो ,,बिजली विभाग द्वारा रोज़ रोज़ लूटे जाने वालों
,ज़रा सोचो ,तुमने संघर्ष कर लिया ,जल सत्याग्रह कर लिया ,,तुमने खून बहाकर
,अपने खून से इस आंदोलन का इतिहास लिख दिया ,, लेकिन ज़रा सोचो तो सही ,,वोह
कोन लोग थे जो पर्दे के पीछे बिजली कम्पनी से हाथ मिला रहे थे ,वोह कौन
लोग थे जो आंदोलन को समर्थन देने की जगह ,,आंदोलन को हतोत्साहित कर रहे थे
,वोह कौन लोग थे जो आंदोलन को भर्मित करने के लिए टुकड़ों में अलग अलग जगह
लोगो का गुस्सा निकालने के लिए प्रदर्शन कर रहे थे ,,आप सोचिये ,आखिर
,सत्ता पक्ष के विधायक ,सांसद सभी इस बिजली कम्पनी के खिलाफ सुनारी लड़ाई लड़
रहे है ,अख़बारों में इस कम्पनी के खिलाफ बयानबाज़ी कर रहे ,है ,,यह दिखावा
,क्यों जब तुम सरकार में हो तो आज ही इस बिजली लुटेरी कम्पनी को ,कोटा से
चलता क्यों नहीं कर देते ,,ज़रा सोचो ,अंतिम समय में लोगो का समर्थन क्यों
आया ,प्रारम्भ में ही वोह इस आंदोलन का हिस्सा क्यों नहीं बने ,ज़रा सोचो
,व्यापरियों ने बंद को समर्थन दिया ,फिर कहा ,हमने बंद खुद अपना किया है
,फिर कहा हमारा वापिस ,यह सब तमाशे ,सब षड्यंत्र क्या थे ,पुरे कोटा ने
देखे है ,अख़बारों की सुर्खियां पढी है ,लेकिन सभी जानलो यह पब्लिक है सब
जानती है ,,तुम समर्थन नहीं देते तब भी बंद ,होता ,,यह आक्रोश ,पक्ष
,प्रतिपक्ष ,सत्ता या विरोधी दलों का नहीं ,आम जनता का यह आक्रोश बिजली
कम्पनी का कोई भी दलाल रोक नहीं पायेगा ,,यह पब्लिक है पूंछना चाहती है
,बिजली कम्पनी को कोटा से भगाया क्यों नहीं ,जिनके बिजली के बिल ज़्यादा आ
गए है ,जिन्होंने जमा करा दिए है उनका बिल अब कैसे समायोजन होगा ,जिनके
स्मार्ट मीटर लगा दिए गए है ,उन मीटरों को कब तक हटा लिए जाएंगे ,,मासिक
बिल व्यवस्था को कब बदलोगे ,,अलग अलग बेवजह के टेक्स को कब खत्म करोगे
,,,रोज़ बिजली गुल होने ,,कोई सुनवाई नहीं होने की व्यवस्था पर लगाम के लिए
क्या प्रबंध किये गए है ,,केंद्र सरकार ,,राजस्थान सरकार ,,प्रतिपक्ष
,,भाजपा ,कांग्रेस ,,का इस मामले में क्या रुख है ,भविष्य में अगर भाजपा इस
कम्पनी को नहीं हटाती है तो जनता ,, प्रतिपक्ष का रुख क्या रहेगा ,केवल
अखबारी खबरों से किसी भी सूरत में बिजली की व्यस्था में सुधार नहीं आ सकता
,बिजली की लूट रुक नहीं सकती ,,सभी की मांडोली ,सुनारी लड़ाई ,,नूरा कुश्ती
,दो क़दम आगे बढ़ाकर ,आकाओं के डर से फिर दो क़दम फिर पीछे ले जाना ,,यह कोटा
की जनता ने पहली बार षड्यंत्रों का तमाशा देखा है ,लेकिन कोटा की पब्लिक
,कोटा का गरीब ,,कोटा की आम जनता अब जाग गयी है ,,तुम लोग अगर नहीं सुधरे
,तुम लोग अगर नहीं बदले ,बिजली लूटेरी कम्पनी को अगर बिना किसी मांडोली के
कोटा से भगाया नहीं तो फिर यह जनता ,,तुमसे भी सड़को पर निपटना जानती है
,तुम्हारी अपनी जनता ,तुम्हारे अपने वोटर ,तुम्हारी कॉलर पकड़ कर ,तुमसे इस
षड्यंत्र ,इस सुनारी लड़ाई का जवाब मांगेंगे ,,इसीलिए हिम्मत सिंह हाड़ा ने
,,जन आक्रोश के आगे सभी षडयंत्रो की विफलता के बाद ,,सफलतम कोटा बंद के बाद
,,,,आज प्रशासन के ज़िम्मेदार अधिकारीयों से वार्ता के बाद ,लिखित
अल्टीमेटम देकर दस दिन का वक़्त दिया ,है इस दौरान हिम्मत सिंह की हिम्मत
कोटा की आम जनता में बिजली कंपनियों को लूट के लिए कोटा में बनाये रखने
के लिए षड्यंत्र रच रहे लोगों को बेनक़ाब करेगी ,आम आक्रोशित जनता में
हिम्मत सिंह की यह हिम्मत निश्चित तोर पर ,ऐसे लोगो के खिलाफ उन्हें
चिन्हित कर एक माहौल बनाएगी ,और अभी तो जो आंदोलन होंगे ,वोह होंगे ,लेकिन
कोन इस मुद्दे पर ईमानदारी से साथ रहा ,किसने इस मुद्दे पर षड्यंत्र रचे
,मांडोली की ,,ऐसे लोगो के खिलाफ ,उनके समर्थको ,प्रत्याक्षियों के खिलाफ
यही जनता ,,लोकतंत्र की प्रहरी बनकर आगामी चुनाव में सो सुनार की एक लुहार
की कहावत की तर्ज़ पर ,ऐसे लोगो के खिलाफ वोट डालेंगे ,,जो सियासी प्रचार
,,प्रसार के बगैर भी जनता की यह बगावत ,जनता का यह आक्रोश ,,ऐसे लोगो के
खिलाफ वोटिंग के रूप में लोकत्नत्रिक प्रहार करेगा ,इसलिए कहते है सुधर जाओ
,वरना यह पब्लिक है ,सब जानती है ,,यह पब्लिक है सभी को सुधारना भी जानती
है ,अगर आक्रोशित जन समूह रैली के रूप में सड़को पर निकल गया तो प्रशासन के
लिए इस भीड़ के आक्रोश को संभलपाना कही मुश्किल न हो जाए ,यह आक्रोश कहीं
किसी अव्यवस्था का कारण न बन जाए ,यह सब सी आई डी इंटेलिजेंस की रिपोर्ट के
बाद ,प्रशासन ,सरकार को गंभीरता से लेना ,होगा षडयंत्रकारियो के बहकावे
में आकर आंदोलन पर दमनकारी कार्यवाही की जगह सरकार को सही सलाह देकर ,इस
आक्रोश को खत्म करने के लिए सरकार को मजबूर करना होगा ,,,,,अख्तर खान अकेला
कोटा राजस्थान
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