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02 अगस्त 2018

हम तुमको एक लड़के की खुशख़बरी देते हैं

काफ़ हा या ऐन साद (1)
ये तुम्हारे परवरदिगार की मेहरबानी का जि़क्र है जो (उसने) अपने ख़ास बन्दे ज़करिया के साथ की थी (2)
कि जब ज़करिया ने अपने परवरदिगार को धीमी आवाज़ से पुकारा (3)
(और) अजऱ् की ऐ मेरे पालने वाले मेरी हड्डियाँ कमज़ोर हो गई और सर है कि बुढ़ापे की (आग से) भड़क उठा (सेफद हो गया) है और ऐ मेरे पालने वाले मैं तेरी बारगाह में दुआ कर के कभी महरूम नहीं रहा हूँ (4)
और मैं अपने (मरने के) बाद अपने वारिसों से सहम जाता हूँ (कि मुबादा दीन को बरबाद करें) और मेरी बीबी उम्मे कुलसूम बिनते इमरान बाझ है पस तू मुझको अपनी बारगाह से एक जाँनशीन फरज़न्द अता फ़रमा (5)
जो मेरी और याकू़ब की नस्ल की मीरास का मालिक हो ऐ मेरे परवरदिगार और उसको अपना पसन्दीदा बन्दा बना (6)
खु़दा ने फरमाया हम तुमको एक लड़के की खुशख़बरी देते हैं जिसका नाम यहया होगा और हमने उससे पहले किसी को उसका हमनाम नहीं पैदा किया (7)
ज़करिया ने अर्ज़ की या इलाही (भला) मुझे लड़का क्योंकर होगा और हालत ये है कि मेरी बीवी बाँझ है और मैं खु़द हद से ज़्यादा बुढ़ापे को पहुँच गया हूँ (8)
(खु़दा ने) फ़रमाया ऐसा ही होगा तुम्हारा परवरदिगार फ़रमाता है कि ये बात हम पर (कुछ दुशवार नहीं) आसान है और (तुम अपने को तो ख़्याल करो कि) इससे पहले तुमको पैदा किया हालाँकि तुम कुछ भी न थे (9)
ज़करिया ने अर्ज़ की इलाही मेरे लिए कोई अलामत मुक़र्रर कर दें हुक्म हुआ तुम्हारी पहचान ये है कि तुम तीन रात (दिन) बराबर लोगों से बात नहीं कर सकोगे (10)

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