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03 जुलाई 2018

राजस्थान में वक़्फ़ सम्पत्तियों का खुला बर्बादा हो रहा है

राजस्थान में भाजपा सरकार के शासन में वक़्फ़ बोर्ड की दुर्गति होने से ,राजस्थान के सभी ज़िलों की वक़्फ़ सम्पत्तियों का रखरखाव प्रभावित हुआ है ,हालात यह है के भाजपा के शासन में जिन कार्यकर्ताओं को वक़्फ़ कमेटियों का सदर बनाया गया है ,वोह अगर कॉम परस्त होकर बेहतर काम करना चाहते ,है तो उन्हें स्वीकृति ,,अनुमति के नाम पर बोर्ड नहीं होने का बहाना बनाते हुए ,,सरकार के आधिकारिक प्रतिनिधि मुख्यकार्यकारी अधिकारी नियम क़ानूनों में उलझा रहे है ,,राजस्थान में एक बढे वोटर हिस्सेदार अल्पसंख्यक तबके की सम्पत्ति के रखरखाव के मामले में सत्ता पक्ष की कारगुज़ारियां तो उजागर ,है ,लेकिन दूसरे दलों के प्रतिनिधियों द्वारा भी इस मामले में सियासी मजबूरियों के नाम पर कोई आवाज़ बुलंद नहीं की जा रही है ,,स्थिति यह है के वक़्फ़ सम्पत्तियों के हालात दिन प्रतिदिन बिगड़ते जा रहे है ,सभी जानते है ,राष्ट्रवादी मुस्लिम मंच के आरक्षण कोटे से ,अबूबकर नक़वी को पी टी आई की नौकरी से इस्तीफा दिलवाकर चेयरमेन बनाया गया था ,लेकिन विधिविरुद्ध तरीके से निर्योग्य होने पर भी उन्हें इस महत्वपूर्ण पद पर नियुक्त किये जाने के विरुद्ध टोंक के नज़ीर हसन की याचिका के बाद हाईकोर्ट ने उन्हें बेआबरू कर हटा दिया है ,उनके साथ सरकार के दो अन्य नियुक्त प्रतिनिधियों को भी हटाया गया है ,इस तरह से समाजसेवक कोटे से ,आलिम ,,शिया कोटे के प्रतिनिधियों को अयोग्य क़रार आदेश पर हायकोर्ट की डबल बेंच की मुहर लगने के बाद ,मामला सुप्रीमकोर्ट में है ,लेकिन राजस्थान वक्फबोर्ड में अब अध्यक्ष नहीं है सदस्य नियुक्त नहीं किये गए है ,अलबत्ता निर्वाचित प्रतिनिधि और सरकारी प्रतिनिधि इस मामले में हाल ही में चिंतित दिखे है ,,पूर्व राज्य ,सभा सदस्य अश्क अली टाक जो वक़्फ़ बोर्ड के सदस्य निर्वाचित है ,,सरकारी अधिकारी जमील अहमद तो खेर चुप है लेकिन हाल ही में युसूफ खान ,,नसिर अली नक़वी ,,शौकत कुरैशी ने ,मुख्यकार्यकारी अधिकारी वक़्फ़ बोर्ड को एक ज्ञापन सौंप कर बोर्ड की बैठक बुलाने ,की मांग करते हुए कई सवालात उठाये है ,,9 अप्रेल को तीनो सदस्यों ने लिखे संयुक्त पत्र में मुख्यकार्यकारी अधिकारी से शीघ्र वक़्फ़ बोर्ड की बैठक बुलाने की मांग दोहराते हुए लिखा है की वक़्फ़ बोर्ड की 2 नवम्बर 2017 के बाद बोर्ड की कोई बैठक नहीं बुलाई गयी है ,,अबुबकर नक़वी सहित तीन सदस्य बर्खास्त किये जा चुके है ,लेकिन बोर्ड के बगैर वक़्फ़ की कोई भी कार्यवाही सम्भवं नहीं ,है ऐसे में शीघ्र ही वक़्फ़ बोर्ड की बैठक बुलाया जाए ,,अफ़सोस है इस दौरान तीन माह गुज़र गए ,विधानसभा की बैठके हो गयी कई बढे नेता आये गए ,लेकिन किसी ने भी इस तरफ कोई ध्यान आकर्षित नहीं किया है ,,पत्र में मुख्यकार्यकारी अधिकारी से शीघ्र बैठक बुलाकर उनके द्वारा की गयी समस्त कार्यवाही सदस्यों के समक्ष पुष्ठि के लिए रखवाए जाने ,,सदस्यों की वर्खास्तगी के आदेश बैठक में अवलोकनार्थ रखे जाने ,,किये गए खर्च ,आमदनी बोर्ड के सदस्यों के समक्ष रखने ,,वक़्फ़ बोर्डे का बजट विचारार्थ और अनुमोदन के लिए सदस्यों के समक्ष रखे जाने ,, वित्तीय लेखो का ऑडिट बोर्ड की बैठक में रखने ,,दिनांक 4 दिसम्बर 2017 को हाईकोर्ट द्वारा अयोग्य घोषित सदस्यों के विरुद्ध बकाया राशि का हिसाब देने ,,पूर्व बोर्ड की बैठक में लिए गए निर्णयों की अनुपालना आदेश बोर्ड की बैठक में रखने ,,वक़्फ़ कमेटियों के विरुद्ध प्राप्त शिकायते ,कमेटियों के संबंध में पारित आदेशों की क्रियान्वन रिपोर्ट रखने ,,जिन कमेटियों की वार्षिक आय एक लाख रूपये प्रतिवर्ष है ऐसी कमेटियों के गठन प्रस्ताव बोर्ड की बैठक में रखने ,,बोर्ड का वार्षिक प्रतिवेदन अनुमोदन हेतु बोर्ड की बैठक के समक्ष रखने सहित कई मुद्दे उक्त पत्र में अंकित है ,,,पत्र पर नासिर अली नक़वी ,युसूफ खान ,,शौकत कुरैशी के हस्ताक्षर ,है लेकिन पूर्व राजयसभा सदस्य अश्क अली टाक के हस्ताक्षर नहीं है ,जमील कुरैशी सरकारी अधिकारी कोटे से है इसलिए उनके हस्ताक्षर तो होने का सवाल ही नहीं उठता ,ऐसे में तीन बर्खास्त बोर्ड के सदस्यों के अयोग्य घोषित होने के बाद अब तक बोर्ड के नए सदस्यों की नियुक्ति नहीं होने से बोर्ड की स्थिति बद से बदतर होती जा रही ,है ,,कोटा वक़्फ़ कमेटी सदर मस्जिद अनापत्ति प्रमाण पत्र के मामले में कई बार जयपुर चक्कर काटकर अफसरशाही के चलते बेरंग लोटे है ,कोटा सहित राजस्थान के हर ज़िले में वक़्फ़ सम्पत्तियों के रखरखाव के कामकाज ठप्प पढ़े है देखते है मुख्यकार्यकारी अधिकारी इस मामले में अब क्या क़दम उठाते है ,सरकार क्या क़दम उठाती है और वक़्फ़ सम्पत्तियों से हितबद्ध समाज के वोट बटोरने वाले सियासी पार्टियां ऐसे गंभीर मुद्दे पर अपना मुंह खोलते है या नहीं ,,लेकिन यह सच है के राजस्थान में वक़्फ़ सम्पत्तियों का खुला बर्बादा हो रहा है ,वक़्फ़ विकास परिषद के चेयरमेन पूर्व विधायक सगीर अहमद भी खामोश है ,भाजपा के एक मुस्लिम मंत्री यूनुस खान ,एक मुस्लिम विधायक हमीबुर्रहमान जो पूर्व में कांग्रेस कार्यकाल में वक़्फ़ विभाग के मंत्री भी रहे है वोह भी चुप है ,राजयसभा सदस्य रहे ,कांग्रेस के तेज़तर्रार नेता भाई अश्क अली टाक ने भी इस मामले में पत्रकारों के समक्ष विस्तृत रूप से इस बदहाली को लेकर समाज को इन्साफ दिलाने के लिए न जाने क्यों अब तक आवाज़ नहीं उठाई है ,जबकि बहुजन समाज पार्टी ,,कम्युनिस्ट पार्टी ,,आप पार्टी ,,सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी सहित दूसरी सियासी पार्टियों ने भी इस गंभीर मुद्दे पर अपनी आवाज़ नहीं उठाई है ,,,अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

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