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18 जुलाई 2018

एक ,,निष्पक्ष ,निर्भीक ओरिजनल पत्रकार की बेज़ुबान बेचारी मोटर साइकल

एक ,,निष्पक्ष ,निर्भीक ओरिजनल पत्रकार की बेज़ुबान बेचारी मोटर साइकल ,,सात माह की क़ैद बमुशक़्क़त के बाद रिहा हो सकी है ,जी हाँ दोस्तों ,यातायात पुलिस ,,खाकी पुलिस ,,फिर न्यायिक व्यवस्था के बीच ,अघोषित क़ैद खाने में सिसकती रही ,बेचारी यह मोटर साइकल ,,,आखिर ,पत्रकार साहिब की जुस्तजू के बाद रिहा हो ही गयी ,,,दोस्तों कहने को यह कहानी अजीब है लेकिन सिस्टम पर एक चपाट भी है ,हो सके अगर तो सिस्टम में शामिल लोग इस व्यवस्था को सुधार ले तो बेहतर है ,कोटा के खानदानी पत्रकार परिवार के ,एक सिद्धांतवादी लेखनी के धनी ,,जो शुद्ध पत्रकार सिर्फ पत्रकार है ,नेताओं की कोई चापलूसी नहीं ,किसी पार्ट्री के प्रवक्ता ,किसी नेता जी के चम्मच नहीं ,पूर्णकालिक पत्रकार ,,,अधिकारीयों की कोई मुखबिरी नहीं ,जो खबर है उसे बिना किसी प्रतिफल के प्रकाशित करना अपना धर्म समझने वाले इन भाई पत्रकार के दफ्तर के नीचे ,,इस बेचारी मोटरसाइकल को ,,यह खडी कर ताला लगाकर दफ्तर में गए ,पत्रकारिता का कामकाज निपटा कर पत्रकार साहिब दफ्तर से जब नीचे उतरे ,तो मोटर साइकल गायब ,ज़ाहिर है ,जब मोटर साइकल गायब हुई ,तो थाने में रिपोर्ट दर्ज कराना ज़रूरी था ,सो रिपोर्ट लिखवाई ,,टालमटोल रवय्या रहा ,,ढूंढ रहे है ,तलाश रहे है ,मजबूरी में पुलिस अधीक्षक को शिकायत का ई मेल करना पढ़ा ,खेर काफी दिनों बाद ,मोटर साइकल चोरी की रिपोर्ट दर्ज हुई ,तलाश हुई तो पता चला ,,मोटर सायकल चोरो के पास नहीं ,यातायात पुलिस की क़ैद में है ,,यातायात पुलिस पत्रकार जी के दफ्तर के नीचे से सड़क के किनारे सटकर खड़ी मोटर साइकल को बिना किसी को सूचना दिए ,,नियम के मुताबिक़ वाहन ले जाने के पहले चौक से निशान बनाना ,लिखना भी ज़रूरी नहीं समझा ,और मोटर साइकल ले ,गए ,,इधर थाने में चोरी की रिपोर्ट उधर ,,मोटर सायकल यातायत पुलिस की हिरासत में खेर ,यातायात पुलिस को अपनी गलती का अहसास हुआ ,,बेचारी मोटर साइकल ,यातायात पुलिस की हिरासत से छूटी और खाकी पुलिस की क़ैद में फंस गयी ,,,जाँच अधिकारी पुलिस अधीक्षक को शिकायत करने से खफा थे ,सो उन्होंने पत्रकार जी को मोटर साइकल अदालत से छुड़वाने का फरमान जारी कर दिया ,इधर मोटर साइकल छुड़वाने की मालिक पत्रकार द्वारा दरख्वास्त ,लगाई उधर पुलिस जी ने चोरी के मामले में क्लोज़र रिपोर्ट पेश कर दी ,अदालत जी ने कहा ,अभी फ़ाइल देखेंगे ,दो दिन की तारीख लो ,तारीख ले ली ,दो दिन बाद पता चला ,,एफ आर ,,कम्प्यूटर पर चढ़ने गयी है ,लोट कर नहीं आयी ,इसलिए कल की तारीख ले लो ,खेर कल की तारीख ले ली ,,पता चला ,एफ आर जब लोट कर आयी ,तो मंज़ूर हो चुकी थी ,केस डायरी वापस पुलिस जी के पास चली गयी ,,अदालत जी ने कहा ,,डायरी ,मंगाएंगे जांच करेंगे ,फिर आदेश होगा ,खेर इन्तिज़ार के बाद डायरी आयी ,,मोटरसाइकल को हिरासत से छोड़ने के आदेश हुए ,,पचास पचास हज़ार की ज़मानत पर मुक़दमे में क्लोज़र रिपोर्ट लगने के बाद मालिक को देने के आदेश हुए ,,इस तरह से क़रीब सात माह बाद एक निष्ठावान पत्रकार जी की मोटर साइकल की ज़मानत हो सकी ,शिकायत आई जी साहिब के पास भी है ,एस पी साहिब के पास भी ,है लेकिन सिस्टम सुधारने के मामले में कोन सुनता है ,तो जनाब यह है एक बेचारी मोटर सायकल की नाजायज़ हिरासत की कहानी ,,अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

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