कहते है लाखो दुश्मनो पर एक सच्चा दोस्त भारी होता है ,और ऐसा दोस्त अगर
किसी को मिल जाए तो सच में वोह शख्स सबसे ज़्यादा असरदार ,सबसे ज़्यादा
मालदार होता है ,कमोबेश एक वफादार दोस्त ललित चित्तोड़ा ने हमारे भाई पंकज
मेहता को निश्चिंता के साथ चिंतामुक्त कर दिया है ,,दोस्तों ,दोस्ती
प्रकृति का एक पुरस्कार है ,और ललितचित्तोड़ा जैसे मित्र जो अपने दोस्त के
ईशारेभर में चुप मुंह अपने साथियों के साथ मिलकर वोह सब करते है जिससे
दोस्त का मान सम्मान रुतबा ,बढे उनके कार्यक्रम सफल हो ,और दोस्त का इक़बाल
बुलंद हो ,,ऐसे दोस्त नसीब वालों को मिलते ,है बदनसीब होते है वोह लोग जो
ऐसे दोस्तों की दोस्ती ठुकराकर उनसे बेवफाई करते है और फिर इनकी दोस्ती के
लिए गिड़गिड़ाते है ,खेर न काहू से दोस्ती न काहू से बेर ,,के सिद्धांत पर
चलने वाले भाई ललितचित्तोड़ा को जब एक दोस्त कंधे से कंधा मिलाकर साथ देने
वाला मिला तो अभिभूत हुए ,उन्होने ,वफ़ादारी की सारी पराकाष्ठाएं पार की
,,हर बार कसौटी पर खरे उतरे ,,यारों के यार कहे जाने वाले भाई ललित
चित्तोड़ा अपने कारोबार के साथ अपने मित्रों को सूचीबद्ध कर उनके दुःख
दर्दों में शामिल रहते है ,वोह समाजसेवा क्षेत्र में कई संस्थाओं के साथ
मिलकर सेवा कार्यों से जुटे है ,लेकिन कांग्रेस के कर्मठ जांबाज़ सिपाही के
रूप में उनकी अपनी पहचान है ,कोटा दक्षिण विधानसभा क्षेत्र जहाँ कांग्रेस
के लिए चुनाव लड़ना ,चुनाव प्रचार करना ,जीतने के लिए संघर्ष करना एक चुनौती
होता है ,उसी कोटा दक्षिण विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस के एक ब्लॉक के
ललित चित्तोड़ा इनकी कामयाब कार्यशैली के कारण दुबारा से ब्लॉक अध्यक्ष
बनाये गए है ,,रोज़ मर्रा इनके नेतृत्व में पानी ,बिजली ,,नाली ,,पटान
,,क़ानून ,व्यवस्था किसानो की समस्याओं को लेकर प्रदर्शन होते है ऐसे
प्रदर्शनो में यूँ तो सभी कांग्रेस जन आमंत्रित होते है लेकिन खुसूसी
प्रवक्ता ,खुसूसी आंदोलनकारी प्रदेश महासचिव पंकज मेहता ही होते है ,ललित
चित्तोड़ा कांग्रेस के हर कार्यक्रम ,हर बैठक ,,हर कार्ययोजना का हिस्सा
होते ,है और सक्रिय रहकर वोह कांग्रेस के एक जांबाज़ सिपाही की तरह
,,कांग्रेस को मज़बूत करने ,कांग्रेस को जीत दिलाने के लिए हर परेशानी से
टकराते है ,,खामोश तबियत ,मुस्कुराता चेहरा ,,विचारों में गंभीरता
,,कार्यकर्ताओं के मनोबल संरक्षण के लिए उनके मददगार का उनका जज़्बा उन्हें
सबसे अलग ,सबसे जुदा ,सबसे अव्वल कर देता है ,लेकिन दोस्ती की अनूठी मिसाल
,दोस्ती निभाने की अनूठी परम्परा ,,यारो के इस यार भाई ललितचित्तोड़ा से कोई
सीखे ,,,वोह बात अलग है ऐसे दोस्त नसीब वालों को ही मिलते है ,और ऐसे नसीब
वाले कम बहुत कम होते है ,,जिन्हे दोस्त के रूप में भाई ललित चित्तोड़ा
मिलते है ,वोह लोग बदनसीब है जो इनकी दोस्ती को अपने निजी स्वार्थ के लिए
ठुकरा कर दोस्ती की दौलत से महरूम हो जाते है ,,खुदा करे ललित चित्तोड़ा
जैसे ,मित्र उनके जैसे दोस्त ,सभी को मिले ,ताकि वोह शख्स ज़िंदाबाद रहे
,,,अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
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