आपका-अख्तर खान

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03 अप्रैल 2018

क्यों आखिर क्यों ,,,,

क्यों आखिर क्यों ,,तुम आपस में लड़ना चाहते हो ,,,जिस दलितों के मसीहा ,,अबेडकर साहिब को कांग्रेस लाहौर से महाराष्ट्र लायी ,,उन्हें सांसद बनाया ,अमेडकर साहिब ने ,,देश के बेहतर संचालन के लिए अपनी क़ाबलियत के आधार पर ,,आज़ाद भारत ,,को ज़िंदा रखने के लिए एक जीवंत संविधान दिया ,,आखिर उस संविधान की भावना के खिलाफ तुम क्यों ,आपस में लड़ते ,,क्यों तोड़फोड़ ,,आगजनी ,,हिंसा करते हो ,,कुछ फायदा नहीं आपस में भिड़ने से ,,सियासत के लिए इस देश को मत बांटो ,,क़ानून का राज स्थापित करो ,,संविधान तोड़ने वाले लोग ,संविधान के खिलाफ कार्यवाही करने वाले लोग ,,देश के संविधान और देश के सुप्रीमकोर्ट के आदेश खुलेआम नहीं मानने की बात करने वाले लोग अगर खुद को राष्ट्रभक्त कहे तो ,,यह एक चुटकुले ,,एक मज़ाक़ से ज़्यादा कुछ नहीं है ,,,,देश में रोहित वेमुला की आग से लेकर ,लगातार ,सड़कों पर दलितों को दोढा दोढा कर बेरहमी से पीटना ,,जीप पर बांधकर उनका विडिओ बनाना ,,सरे राह पिटाई कर वीडियो वाइरल करना ,यह सब तुम्हारे राज में हुआ ,तुमने किसको गिरफ्तार किया ,,कोनसी निष्पक्ष कार्यवाही की ,क्या कोई एक सुबूत है तुम्हारे पास ,कुछ अभियुक्त फरार है ,,कुछ अभियुक्त ज़मानत पर है ,,कुछ बरी हो गए ,, सरकार तुम्हारी ,,पुलिस तुम्हारी ,सरकारी वकील तुम्हारे लेकिन दलितों के अत्याचार मामले में पैरवी सही क्यों नहीं ,,,दलितों की अग्रिम ज़मानत की सुनवाई के समय ,,सुप्रीमकोर्ट में सरकार के वकील की तरफ से पैरवी में लापरवाही या फिर ढिलाई क्यों ,,दलितों के साथ अत्याचार हो क्या ऐसे अत्याचारियों के खिलाफ कार्यवाही नहीं होना चाहिए ,,देश जानता ,है क़ानून विद जानते है ,,सुप्रीमकोर्ट सहित कई मामलों में ऐसे मामलों में झूंठा फंसाये जाने के मामले में अग्रिम ज़मानत भी होती है,,एफ आर भी लगती है ,,मुल्ज़िम बरी भी होते है ,,फिर सुप्रीमकोर्ट में ,,क़ानून बदलने ,,भावना बदलने पर सरकार के वकील ने क़ानूनी ,संवैधानिक दलीलों के साथ पैरवी क्यों नहीं की ,,अपने हाथो से दलितों का कार्ड ,,फिसलते देख ,,अमेडकर के साथ राम जी का नाम जोड़कर सियासत करते हो ,गुमराह करने के लिए पुननिरिक्षण याचिका दायर करते हो ,,,,नियत साफ़ रखो ,,क़ानून का राज रहने दो ,रोहित वेमुला मरे ,गुजरात में गोसेवकों द्वारा गो रक्षा के नाम पर दलितों को सरे राह पीटा जाए तब तुम ऐसे अपराधियों के खिलाफ दलितों को इन्साफ दिलाने के लिए खड़े हो जाओ ,,दलित क़ानून का मिस यूज़ करे तो तुम हम सब मिलकर ऐसी बुराई के खिलाफ खड़े होकर दलित भाइयों को इसके खिलाफ समझाये तो बात बन जाए ,,तुम क़ानून बदलना चाहते हो ,दलितों के भारत बंद के खिलाफ सवर्णो को आगे कर ,गृहयुद्ध के हालात बनाना चाहते हो ,,भारत बंद करवाना चाहते हो ,,सियासत मत करो ,देश को देखो ,देश की एकता अखंडता ,अटूट प्यारे बंधनो को देखो ,,,फिर तुम्हारे पास लोकसभा में पूरा बहुमत ,,राजयसभा में अब तुम हो ,,फिर तुम्हे दलित क़ानून खत्म करने ,,आरक्षण खत्म करने से रोका किसने है ,क्यों स्वर्ण राजनीति ,,दलित राजनीति के नाम देश के टुकड़े करना चाहते हो ,,यह देश तेरा है न मेरा है ,,देश में संविधान की भावनाओ के अनुरूप जो भी इस देश में रहता है ,,यह देश सभी का है ,,यहाँ गुंडा राज नहीं ,, क़ानून का राज है ,,,जिन्होंने भी हिंसा की है उन्हें सज़ा मिलना चाहिए ,लेकिन जो बेवजह पुलिस की लाठियों के गोलियों के शिकार हुए है ,उन्हें इंसाफ ,,,उन्हें मुआवज़ा ,परिजनों को सरकारी नौकरी भी मिलना चाहिए ,दलितों के खिलाफ इस आग में हाथ सेंकने के लिए सवर्णो को जो सियासत भारत बंद करवाना चाहती है ,उन्हें प्यार से समझाना चाहिए ,,उनका अपना वाजिब दर्द है ,,उनके लिए भी सामाजिक सरोकार के तहत ,उन्हें सुरक्षित करने ,नौकरियां देने ,रोज़गारों,मुखी योजनाए चलाने के लिए कोई विकल्प तलाशना चाहिए ,,टकराव इसका रास्ता नहीं ,,चंद वोटो के लिए ,सिर्फ कुर्सी के लिए इस देश को यूँ बर्बाद मत करो ,,यूँ बर्बाद मत करो ,,,,अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

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