डबल ग्रेजुएट ,,बुद्धिजीवी ,,लर्नेड कौंसिल के खिताब परस्त ,,वकील समुदाय
के चुनाव हो गए ,,शनिवार 7 अप्रेल सुबह 11 बजे से वोटों की गिनती के साथ
,बार कौंसिल का काउंटडाउन शुरू ,,है ,,इस बार पांच साल की जगह नो साल में
बार कौंसिल के चुनाव एक प्रशासक की देखरेख के बाद हुए ,बार कौंसिल को
कलंकित करने वाला इतिहास था ,,पुराने सभी बार कौंसिलर के खिलाफ ,,वकीलों की
मार्कशीटें ,डिग्रियों की बार बार जाँच को लेकर वकीलों में गुस्सा था ,,कई
सदस्यों के नाम काटने को लेकर वकीलों में पुराने निर्वाचित
लोगो के खिलाफ नाराज़गी थी ,,,वकीलों के कल्याण को लेकर ,पुराने बार
कोन्सीलरों ने कुछ नहीं किया ,,वकीलों के स्वाभिमान से समझौता किया जैसे
गंभीर आरोप थे ,एक नारा सब के सब बदल डालेंगे ,,आम वोटर का था ,,लेकिन
,,,बुज़ुर्ग ,लोग बुज़ुर्ग होते है ,,वोह अच्छे हो या बुरे ,वोह दावत तकनीक
,,दूसरी तकनीकों से विरोधियों को अपनी तरफ कर हारी हुई बाज़ी जीतना जानते है
,शायद यही कहावत इस बुद्धिजीवी चुनाव में ,,सब कुछ साफ़ दिखते रहने के बाद
हुई है ,,,इसीलिए तो गाँव बसा नहीं लुटेरे आना शुरू हो गए ,,वोटो की गिनती
शनिवार को होगी ,लेकिन एक्ज़िट पोल ,,के हिसाब से ,,सभी प्रत्याक्षियों में
से कुछ प्रत्याक्षियों ने वही पुराने लोग ,जिनके खिलाफ बार कौंसिल में कुछ
नहीं करने ,वकीलों के खिलाफ रिनिवल क़ानून लाने जैसे अपराध के गंभीर आरोप थे
,,बार कौंसिल के चेयरमेन के लिए बाड़े बंदी के प्रयास करने लगे है ,,
वार्ताओं का दौर शुरू है ,,अध्यक्ष मुझे बना दो ,बार कौंसिल ऑफ़ इण्डिया में
तुम्हे भेज देंगे ,,उपाध्यक्ष तुम्हे बना देंगे ,,तुम बस समर्थन दे देना
,,,है न मज़ेदार बात ,,वोटों का ज़बरदस्त मिजाज़ जिनको गलत ,,कहकर ,जिनको शोषक
कहकर ,,नाराज़गी जताई ,आखिर में जोड़तोड़ के जादुई डंडे से ,,उन्ही ,,पुराने
लोगों को ,जिन्होंने यह पांच साला चुनाव में नो साला का प्रशासक का निज़ाम
दिया ,,रिनिवल काला क़ानून सर्वसम्मति से बनाया ,वकीलों के मृतक आश्रित
,,इलाज ,,स्टाइफंड ,प्रशिक्षण कल्याण के लिए ढेले बराबर भी विचार नहीं किया
,,वही लोग ,,उनमे से कई लोग ,,अब ,,बुद्धिजीवी डबलग्रेजुएट लोगो के वोटों
से फिर से निर्वाचित होकर ,,बार कौंसिल की कमान संभालने वाले है ,खेर धन
बल ,भुजबल ,,जो भी हो ,जो जीता वोह सिकंदर होता है ,लेकिन अब एक चिंगारी
वकीलों के स्वाभिमान ,,वकीलों के कल्याण हक़ संघर्ष की उठ चुकी है ,,अगर फिर
से इन मठाधीशो ने पहले जैसे किया तो यह एक मशाल बनकर ,,विरोध की ज्वाला
धधका सकती है ,इसलिए जीते कोई भी ,लेकिन ज़रा सम्भल कर ,वकीलों के स्वाभिमान
,कल्याण को लेकर कोई समझौता नहीं ,,यह जुमला नहीं हक़ीक़त है ,,अख्तर खान
अकेला कोटा राजस्थान
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
दोस्तों, कुछ गिले-शिकवे और कुछ सुझाव भी देते जाओ. जनाब! मेरा यह ब्लॉग आप सभी भाईयों का अपना ब्लॉग है. इसमें आपका स्वागत है. इसकी गलतियों (दोषों व कमियों) को सुधारने के लिए मेहरबानी करके मुझे सुझाव दें. मैं आपका आभारी रहूँगा. अख्तर खान "अकेला" कोटा(राजस्थान)