मेरे दोस्तों ,,मुझ पर महरबानो ,,मेरे हमदर्दो ,,मुझ पर क़हर बरपाने वाले
गुस्साए नाराज़ साथियों ,,एक इल्तिजा ,,में इंसान हूँ ,जो सिर्फ एक गलतियों
का पुतला होता है ,मेने क़दम क़दम पर हर रोज़ न जाने कितनी ऐसी गुस्ताखियां की
है ,कितना ऐसा सच कहा ,है ,जिससे हर रोज़ ,हर पल मेने आप लोगो का दिल
दुखाया है ,कुछ खुश हुए कुछ दुखी हुए ,,यूँ तो इस्लाम में हर रोज़ नाराज़
शक्श से माफी मांगने का हुकम है ,,में गलतियों पर माफ़ी और जब गलती नहीं
होती ,तब भी दूसरे की नाराज़गी को खत्म करने के लिए मुआफी मांगना
अपनी शान के खिलाफ कभी नहीं समझता ,रोज़ में मुआफियां मांगता रहा हूँ ,वोह
बात अलग है जो मुल्क का दुश्मन है ,इस मुल्क को बनाने वाला ,कायनात को
बनाने वाला ,इसे चलाने वाले अल्लाह का दुश्मन है ,उससे में कभी माफ़ी नहीं
मांगूगा ,उससे हर तरह की जंग लडूंगा ,लेकिन जो आप मेरे भाई हो ,मेरी बहनो
हो उनसे रोज़ मेरी गलतियों के लिए जो मेने की है ,उन शिकायतो के लिए जो मेने
गलतियां ही नहीं की हर ,,रोज़ बिना शर्त ,उन सभी बातों के लिए में ,मुआफ़ी
माँगता हूँ ,,मुझे मुआफ करना ,मेरी गलतियां भुलाकर मेरे लिए दुआ करना यह
इल्तिजा है मेरी ,,शब् ऐ बरात हर साल नेकी ,,बदी ,अच्छाई ,,बुराई के हिसाब
किताब का वक़्त होता ,है ,मेरी बुराइयां ,मेरे गुनाहो का पड़ला भारी है
,,लेकिन आपकी दुआएं ,,खुदा की मेहरबानियां कुछ ऐसी है ,,के में अकेला ही
सही ,,लेकिन क़ायम तो हूँ ,,इंशा अललाह खुदा ने चाहा तो क़ायम भी रहूंगा
,,लेकिन मेरी कायमी ऐसी हो ,मुझ से कोई खफा न हो ,मुझ से कोई गलती न हो
,,गलती हो तो अल्लाह मुझे उससे तुरंत मुआफी की सलाहियत दे ,,हर गुरुर ,,हर
बेहूदगी ,,बदतहज़ीबी से मुझे बचाये ,,शब् ऐ बरात की रात ,,,मेरे हिसाब किताब
में में गुनाहगार हूँ ,मेरे खिलाफ बद्दुआओ का पड़ला अगर भारी है तो खुदा
मेरी ज़िंदगी का पत्ता भी गिरा दे ,,लेकिन अगर मेरे साथ आपकी मुआफ़ी ,,आपका
प्यार ,,आपकी मोहब्बत ,आपका साथ है अगर ,तो यक़ीनन मुझ पर आने वाली हर
परेशानियों को अल्लाह दूर करेगा ,,मुझे हर फरेब ,झूंठ ,धोखे से बचायेगा
,,मेरा हाथ ,आपके साथ रहेगा ,,में खुद भी खुश रहूंगा ,में खुद भी खुशियां
बांटूंगा ,आपके साथ खुशगवार माहौल में मेरे इस मुल्क में तरक़्क़ी की दुआओं
,,अमन सुकून की कोशिशो के साथ आपके बीच ,आपके साथ मौजूद रहूँगा ,,इसीलिए
कहता हूँ गुस्सा थूको ,,मेरी गलतियों को मुआफ कर दो ,,मुझे मुआफ कर दो
,,,हिसाब की इस रात के पहले मेरे गुनाहों के पडले को छोटा कर दो ,,मेरी
नेकियों के पडले को अपनी दुआओं की नवाज़िश से पूरा भर दो ,,,अख्तर खान
अकेला कोटा राजस्थान
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