देश
के पत्रकार अगर निष्पक्ष होते ,,ईमानदार होते ,,चापलूस ,,चमचागिरी से बाहर
होते ,,चैनल ,,साहिब के उद्योपतियों के हाथों अधिकतम शेयर ख़रीदे जाने से
बिके नहीं होते ,,,तो देश की सरकार आज हर हाल में गिर जाती ,,देश के
सर्वोच्च न्यायधीश ,,सुप्रीमकोर्ट के चार न्यायधीश ,,एक वोह न्यायधीश जिसे
उंघाल कर किसी दूसरे को यह पद दिया हो ,,वोह लोग खुले आम अंतरात्मा की आवाज़
जाग जाने से बगावत पर है ,,नपे ,,तुले अल्फ़ाज़ों में ,,परदे के अंदर ,,बहुत
कुछ छुपाते हुए ,,उन्होंने जो कुछ कहना था ,,कह डाला ,,सुनवाइयों में
सरकार का पक्ष जहाँ है ,,इन जजों को भी हिस्सेदारी दे ,,,इनके न्याय पर भी
भरोसा रखे ,,,,लेकिन कम्प्यूटराइज रोष्टर ,,,ब्रेनलेस ,,भावनाविहीन रोस्टर
,प्रक्रिया तो होना ही चाहिए ,,ऑटोमेटिक व्यवस्था में वरीयता क्रम के आधार
पर मामले सुनवाई के लिए जाए ,,,तो किसको ऐतराज़ ,,है देश को इंसाफ मिलेगा
किसको शंका ,,,है,,,जज भगवान की तरह है लेकिन भगवान तो नहीं ,,,इनके
क्रियाकलापों के मामले में अगर लोकपाल के दायरे में यह हो ,,,लोकपाल हो तो
इनकी पारदर्शिता पर किसे ऐतराज़ है ,,भगवान से बढ़कर कोई नहीं ,,इसीलिए गलती
इंसान से ही होती है ,,बस इसीलिए हर इंसान के खिलाफ लगे आरोपों की जांच की
व्यवस्था हमारे देश में होना चाहिए ,,वरना रावण की तरह यह लोग जो बन गए है
ऐसे नहीं बनते ,,खेर देश में कांग्रेस सरकार ने एक विस्तृत क़ानून बनाकर
,लोकपाल ,,की व्यवस्था की ,,लोकपाल ऐसा लोकपाल जिसके अधीनस्थ
,,प्रधानमंत्री ,,न्यायधिशो के मामले भी सुनवाई के लिए हो ,,लेकिन सरकार
क्या बदली ,,सरकार में यह लोग क्या आये ,,गिरगिट की तरह रंग बदल गए
,,,भ्रष्टाचार के खिलाफ इनकी आवाज़ हलक़ में दब गयी ,,,,चार साल पुरे चार साल
गुजरने के बाद भी ,,अन्ना हज़ारे की अघोषित सौदेबाज़ी रही ,,उनकी खामोशी इन
आरोपों के पुख्ता सुबूत रहे ,,वोह बिक गए है ,, इसीलिए अपनी खुद की मांग
पूरी होने पर भी खामोश है ,,,बस साहिब आदरणीय नरेंद्र मोदी ,,सत्ता में आये
,,बहनो ,,भाइयों ,,,मित्रो ,तक सीमित रहे ,,हर चुनावी वायदे को जुमला
बताकर ,,पूरा करने से खारिज कर दिया ,,लोकपाल ,,जिसका क़ानून ,मज़बूत क़ानून
कांग्रेस ने बनाया था ,,खुद के मंत्री ,,,खुद नज़दीकी अधिकारी ,,जज
,,,राज्यपाल ,,खुद प्रधानमंत्री ,,उनके विधायक ,सांसद ,,,कबिनेट मंत्री ,जो
चाहे करते रहे ,,लेकिन उनके खिलाफ कोई लोकतांत्रिक कार्यवाही ,,कोई
निष्पक्ष सुनवाई न हो ,,बस इसीलिए उन्होंने खुद स्वेच्छा से वायदे के
मुताबिक़ ,,लोकपाल नियुक्त नहीं किया ,,अन्ना को फीलगुड कराकर ,उनके ज़मीर को
दबाकर रखा ,,लोकपाल नियुक्त न हो इसके लिए ,,लोकसभा में लोकतान्त्रिक
परम्पराओ के खिलाफ नेता प्रतिपक्ष नियुक्त नहीं किया ,,, सुप्रीमकोर्ट
ने इस मामले में लोकपाल नियुक्त करने के निर्देश दिए ,,,कांग्रेस के बनाये
हुए लोकपाल क़ानून ,,जिसमे नेता प्रतिपक्ष न भी हो तो सबसे बढ़ा दल जिसके
सांसदों की संख्या दूसरे दलों से अधिक हो ,उसके नेता से बात कर लोकपाल हर
हाल में नियुक्त करना होगा ,,इस नियम का भी हवाला दिया ,,सुप्रीम कोर्ट के
आदेश दस माह से अधिक हो गए ,,,लेकिन कोई लोकपाल नियुक्त नहीं हुआ ,,बात साफ़
है ,,,आदरणीय अन्ना हज़ारे के लोकपाल आंदोलन की पीठ पर चढ़कर ,,,दिल्ली में
बनी यह जुमलों की सरकार ,,भ्रष्टाचार की समर्थक है ,,भर्ष्टाचार की जांच
के लिए आज़ाद मंच ,आज़ाद लोकपाल के खिलाफ है ,,इसीलिए तो सरकार के पांच साल
पुरे होने जा रहे है ,,अन्ना भी चिढ़ी चुप ,,,,साहिब भी चिढ़ी चुप ,,लोकपाल
जनता कहे ,,या सुप्रीमकोर्ट के आदेश हो ,,लोकपाल नियुक्त नहीं किया गया है
,यही है साहिब के गिरेहबान में छुपी ईमानदारी के खिलाफ मुहीम की सच्चाई
,,भ्रस्टाचारीयो के मामले में पिक ऐंड चूज़ ,,फार्मूले की सच्चाई
,,,,,,,,खुद अपनी अंतरात्मा टटोलो ,,ज़रा भी ईमानदारी ,ज़रा भी राष्ट्रभक्ति
,,,ज़रा भी भ्रस्टाचार के खिलाफ ओरिजनल भ्र्ष्टाचार के खिलाफ ,,निष्पक्ष
सुनवाई का माद्दा है ,,तो जनाब सच बोलो ,सच लिखो ,,और जिनके दिमाग में चिप
लगी है ,,,जो तन्खैये है वोह इस पोस्ट पर या तो अगल बगल होंगे ,,या फिर
नेहरुवियन ,,,खान्ग्रेज़ ने क्या क्या ,,, जैसे बेहूदा राग अलापेंगे , देखते
है किस में अभी कितना ज़मीर ज़िंदा है ,,,,एक ब्रेक के बाद ,,क्योंकि आज
लोकपाल होता तो चुनाव आयोग उसके दायरे में होता ,,,टी वी चैनल ,उनके
रिपोर्टर ,उनकी मानयता प्रणाली ,,उनके प्रसारण और खबरो में रोटी ,रोज़ी
,,भूख ,,,गरीबी ,,,भ्र्ष्टाचार ,,महंगाई की खबरों के संतुलन की हिस्सेदारी
होती ,,,साम्प्रदायिकता ,,नफरत बढ़ाने वाले मामलों पर कार्यवाही होती
,,हत्यारो को संरक्षण देने वाले ,विधायक ,,सांसद ,,मंत्री ,,अख़बार नवीस
,,पुलिस प्रशासनिक अधिकारियो के खिलाफ कार्यवाही होती ,,लेकिन साहिब और
उनके ब्रेनलेस भक्तजन ,,,लोकपाल नियुक्त कर आम जनता को ,इंसाफ की सुनवाई
का यह अधिकार अपनी मनमानी चलाते रहने के लिए हरगिज़ हरगिज़ नहीं देना चाह
रहे है ,,इसीलिए तो ,,,,,,,,,,अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
दोस्तों, कुछ गिले-शिकवे और कुछ सुझाव भी देते जाओ. जनाब! मेरा यह ब्लॉग आप सभी भाईयों का अपना ब्लॉग है. इसमें आपका स्वागत है. इसकी गलतियों (दोषों व कमियों) को सुधारने के लिए मेहरबानी करके मुझे सुझाव दें. मैं आपका आभारी रहूँगा. अख्तर खान "अकेला" कोटा(राजस्थान)