राजस्थान के गंगापुर सिटी के एक थाने में ,,साम्प्रदायिक माहौल बिगाड़कर
उत्पात मचाने के प्रयास करने वाले ,,एक आरोपी के खिलाफ पुलिस मुक़दमा दर्ज
करती है ,उसके खिलाफ अदालत में परिवाद पेश करती है ,,और सरकार बदलने के बाद
,,सरकार पिक ऍन चूज़ ,,प्रक्रिया अपनाकर ऐसे मुक़दमे वापस लेने की घोषणा कर
,,क़ानून व्यवस्था में लगे सभी पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों की महनत पर
पानी फेर देती है ,क़ानून तोड़ने वाला ,,सरकार का दोस्त होने से वोह कॉलर
ऊंचा करता है ,,और पुलिस का इक़बाल बुलंद होने की जगह ,,शर्म से सर झुक जाता
है ,कमोबेश ,,विश्व हिन्दू परिषद के अंतर्राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रवीण
तोगड़िया के खिलाफ राजस्थान की गंगापुर सिटी अदालत में विचाराधीन मुक़दमे की
वापसी कार्यवाही को लेकर कई सवाल है जिनका जवाब ,,,वरिष्ठ पुलिस अधिकारी
,,सरकार में बैठे ज़िम्मेदार ,,,ओरिजनल गुलामी से मुक्त निष्पक्ष मीडिया को
तलाशना है ,,,गंगापुर सिटी में क़ानून व्यवस्था बनाने के प्रयास में जुटे
,,पुलिस प्रशासन की नाक दम रहता है ,,पुलिस क़ानून तोड़ने वालों के खिलाफ
कार्यवाही करती है ,,फिर एक प्रशिक्षु आई ऐ एस विकास भाले ,,प्रवीण तोगड़िया
के खिलाफ गंभीर आरोप लगाकर ,,अदालत में एक परिवाद पेश करते है जिसमे 188
आई पी सी में 195 सी आर पी सी के विधिक प्रावधानों की पूर्ति के बाद
,,,क़ानून तोड़ने वाले को सज़ा दिलाने की प्रार्थना होती है ,,सरकार बदलती है
,,,दण्ड प्रक्रिया संहिता की धारा 321 के विधिक प्रावधानों में सरकार किस
तरह के मुक़दमे वापस ले सकेगी ,,क़ानून का हित उसमे क्या है ,,,इन सवालों के
जवाब के साथ ही ,,मुक़दमा वापस लिया जा सकता ,है ,,वोह मुक़दमा जिसमे सरकार
एफ आई आर करती है ,,लेकिन एक परिवाद जो एक अधिकारी ने ,,व्यक्तिगत रूप से
पेश किया है उसकी अनुमति ,,सहमति के बगैर वापस नहीं हो सकता ,,यह क़ानूनी
बात है ,,321 सी आर पी सी के विधिक प्रावधान के तहत मनमाने तोर पर सरकार जब
मुक़दमे लेती है ,,तो कोई भी व्यक्ति ,,संबंधित न्यायालय में जाकर ,,इस
मामले में प्रार्थना पत्र देकर ,जनहित नहीं होने पर ,,सरकार द्वारा मुक़दमे
वापस लेने के ऐसे प्रार्थनापत्र को खारिज करवा सकता है ,,गंगापुर सिटी
अदालत में अगर कोई भी जागरूक नागरिक ,,इस तरह का प्रार्थना पत्र पेश कर
,,मुक़दमा वापस नहीं लेने की प्रार्थना करता है ,,तो उच्च न्यायालय के पूर्व
आदेशों को देखते हुए ,सरकार का यह प्रार्थना पत्र कागज़ का टुकड़ा बनकर
खारिज हो सकता है ,,,क्योंकि सरकार के ऐसे फेसलो को मानने के लिए न्यायालय
बाध्य नहीं है ,,,न्यायालय किसी सरकार के कहने में नहीं होती ,उसे तो सिर्फ
क़ानूनी व्यवस्था ,,विधिक प्रावधान देखना है ,,,,भांड मिडिया की तरह
चिल्लाने वाले ,,भांड मीडिया ,,बात बात पर लाइव वहस करवाने वाले भांड
मीडिया ,,,क्या इस तरह के मुक़दमे वापस लेने की प्रक्रिया ,,जनता की
जागरूकता को लेकर लाइव बहस करवाएंगे ,,या फिर देश में लोग क़ानून तोड़ेंगे
,,अपराधी अपराध करेंगे और जब भी क़ानून तोड़ने वालों की सरकार आएगी ,,वोह
अधिकारियो की सारी मेहनत ताक में रखकर ,,चुटकियों में 321 सी आर पी सी के
विधिक प्रावधानों का मखौल बनाकर अपराधी लोगो को आश्रय देते हुए ,,,मुक़दमे
वापस ले लेंगे ,,,गंगापुर सिटी क्षेत्र में अगर कोई भी जागरूक नागरिक
,क़ानूनविद ,,आम आदमी इस मामले में अदालत में ,,मुक़दमा वापस नहीं लेने को
लेकर ,,,प्रार्थना पत्र पेश करता है तो ,ऐसे प्रार्थना पत्र की सुनवाई कर
,सरकार और अभियुक्त की सांठगांठ के खिलाफ अदालत सुनकर फैसला करेगी ,,देखते
है इस मुक़दमे में क्या होता है ,भांड मीडिया ,जनता को जागरूक करने के लिए
,,ऐसी ग़ैरक़ानूनी कार्यवाही के खिलाफ कोई आवाज़ उठाता है ,या फिर यूँ ही
,,लबर गुट्टू बनकर ,,तवायफ की तरह मुजरा करता नज़र आता है ,,,,अख्तर खान
अकेला कोटा राजस्थान

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