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04 जनवरी 2018

अगर पुलिस और उनका इक़बाल बुलंद होता

बूंदी पूर्व पुलिस अधीक्षक ,,,पंकज चौधरी का ,,नेनवा समाजकंटको के विरुद्ध कार्यवाही में अगर पुलिस और उनका इक़बाल बुलंद होता ,,टाइगर पंकज चौधरी को परिनिन्दा देकर प्रताड़ित करने की जगह अगर ,,उन्हें सम्मानित किया जाता ,,,तो बूंदी में आज ,,माहौल खराब करने वालो के दिल दिमाग में क़ानून का खौफ होता ,,पुलिस अधिकारी भी बिंदास होकर दोषी लोगो के खिलाफ बिना छोटा बढ़ा ,,प्रभावशाली देखे बगैर क़ानूनी कार्यवाही करने के लिए स्वतंत्र होते और ,,,आम जन में विश्वास ,,क़ानून तोड़ने वालो के दिल में भय का वातावरण होने से ,बूंदी,,उदयपुर ,,भीलवाड़ा ,, और ऐसे सभी ज़िलों में हालात सामान्य होते ,लेकिन टाइगर पंकज चौधरी ,,जिन्होंने न काहू से दोस्ती ,न काहू से बेर ,,के सिद्धांत के तहत क़ानून का राज स्थापित करने के लिए ,,,प्रभावशाली ,,प्रभावहीन लोगो की परवाह किये बगैर ,, वातावरण बिगाड़ने वालो के खिलाफ कार्यवाही की ,,उनके हंगामे षडयंत्रो का पर्दाफाश किया ,,,,,सियासी दबाव देकर ऐसे क़ानून तोड़ने वाले षडयंत्रकारियो को छुड़वाने की सिफारिशों की परवाह किये बगैर ,,पंकज चौधरी ने क़ानून की लाठी के बल पर ,,बूंदी को उस दौरान जलने से बचा लिया ,,टाइगर पंकज चौधरी का इक़बाल बुलंद होता ,,,उन्हें सम्मानित किया जाता ,,तो आज राजस्थान में पुलिस का इक़बाल बुलंद होता ,,षडयंत्रकारियो ,वातावरण बिगाड़ने वाले उत्पातियों के दिल ,,दिमाग में क़ानून का डर होता ,,पुलिस और प्रशासन फ्री हेंड होता ,,,अव्वल तो क़ानून तोड़ने वालो के हौसले पस्त होने से उनको समर्थन नहीं मिलता ,,और अगर क़ानून तोड़ने वालो का सर उठने को भी था ,,तो क़ानून अग्रिम ,,पाबंदी ,,गिरफ्तारियां ,,एहतियाती क़दम उठाकर ऐसे नामज़द लोगो को जेल की सींखचों में डालता ,तो आज बूंदी के लोगो को यह खौफ का वातावरण नहीं देखना पढ़ता ,,पुलिस ,,प्रशासन ,,टायगर पंकज चौधरी की दुर्गति ,,उन्हें दी गयी सरकारी प्रताड़ना ,,,उनकी परिनिन्दा ,वेतनवृद्धि और परमोशन रोकने से भयभीत होकर वर्तमान तैनात पुलिस अधिकारियो ने पुलिस का इक़बाल पूर्व नियंत्रण कार्यवाही में बुलंद नहीं किया और बातचीत का सकारात्मक वातावरण बनाकर मामले को सुलझाने का प्रयास किया ,,सत्तापक्ष ने पुलिस को को ऑपरेट कर ,,अपने लोगो को समझाइश नहीं की उलटे ऐसे क़ानून तोड़ने वालो के दबाव में आकर ,,राजधर्म निभाए बगैर ,,,पुलिस द्वारा की जा रही कार्यवाही की निंदा की ,,पुलिस पर हमले ,,क़ानून व्यवस्था में पुलिस के आदेश की अवहेलना के बाद भी पुलिस का जो धैर्य जो संयम है वोह क़ाबिल ऐ तारीफ़ ,है ,लेकिन अगर टाइगर पंकज चौधरी का हौसला अगर बूंदी में अभी ज़िंदा होता ,,पुलिस में अगर वोह हौसला मौजूद होता तो फिर सही मायनो में आमजन में विश्वास ,,अपराधियों ,,प्रभावशाली षडयंत्रकारियो में पुलिस का भय होता और वातावरण दूषित होने से बच जाता ,,काश ऐसा होता ,,काश ऐसा हो जाए ,,काश सरकार अभी भी पंकज चौधरी को स्वन्त्र ज़िम्मेदारी देकर तात्कालिक रूप से बूंदी भेजने की घोषणा कर दे ,,,बूंदी की शांत जनता में आत्मविश्वास और षडयंत्रकारियो में खौफ का वातावरण बनने से ,,बूंदी ,,छोटी काशी बूंदी ,पर्यटन नगरी बूंदी ,,कोटा की मातृत्व बूंदी ,,शांत हो जाए ,वहां के लोग सुकून से हो जाए ,,,पंकज चौधरी को सरकार भेजे यह ज़रूरी नहीं ,हर पुलिस अधिकारी के अंदर ,,ट्रांसफर ,,की पोस्टिंग को लेकर एक मतलबी इंसान पैदा होता है ,,अगर ऐसे अधिकारियो में वोह मतलबी इंसान मर जाए ,,उनके अंदर एक टाइगर पंकजचौधरी पैदा हो जाए ,,जो सरकार ,,नेताओ ,प्रभावशाली लोगो की परवाह किये बगैर सिर्फ अपने फ़र्ज़ की अपने कर्तव्य की परवाह करे तो ,बूंदी और बूंदी जैसे दूसरे ज़िलों में दूषित वातावरण करने वाले जेल की सींखचों के पीछे ,हो ,ऐसे ज़िलों ,ऐसे शहरों का वातावरण सुकून से ,हो ,,आम जनता में ऐसे अधिकारी ज़िंदाबाद हो ,,पुलिस का इक़बाल बुलंद होने से आधे दूषित वातावरण तो वैसे ही सुधर जाये ,,काश ऐसा छोटी काशी बूंदी में भी हो जाए ,,,,अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

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