राजस्थान बार कौंसिल के पच्चीस सदस्यों के लिए आगामी 28 मार्च को जिला
अभिभाषक परिषदों में मतदान होगा ,,इसके लिए ब्रस्पतिवार 25 जनवरी को अधिकृत
अधिसूचना आवश्यक निर्देशो के साथ जारी होगी ,,,इसी के साथ चुनाव की गहमा
गहमी शुरू हो गयी है ,,मुझ सहित सभी प्रत्याक्षी सक्रिय हो गए है ,,कोटा
में बाहर के कई प्रत्याक्षी चुनाव को लेकर वोट मांगने आ रहे है ,,लेकिन एक
वरिष्ठ अभिभाषक प्रत्याक्षी ने तो यहाँ वोट मांगने आने के दौरान ,,तीन
सितारा होटल में ,,अल्पाहार के वक़्त ,कोटा के वरिष्ठ वकीलों के समक्ष
मज़ेदार वार्तालाप की ,,जो बताना ज़रूरी है ,,इन वरिष्ठ वकील साहिब का आंकलन
है के पुराने जो बारकोंसिलर थे ,,उनमे उन सहित 15 तो अभी से ही चुनाव जीत
गए है ,,उनसे एक वकील साहिब का जब मृतक वकील के परिजनों को क्षतिपूर्र्ति
राशि बढ़ाने ,,कल्याणकारी स्टाइफंड देने का सवाल था ,,तो उनका अजीब जवाब था
,,हम नहीं लेंगे ,यह भी ज़्यादा है ,, कोटा के एक वरिष्ठ वकील से भी
उन्होंने कहा ,आप भी यह राशि नहीं लोगे ,,लेकिन एक वकील ने कहा हम तो लेंगे
,,,उन्होंने जब हाल ही में कोटा के कल्याणकारी स्टाइफंड ,,मृत्यु पर
परिजनों को तीन लाख इलाज के लिए राशि बढ़ाने की बात बतायी ,तो जनाब कहते है
,, गलत है ,,एक फौजदारी धारा का हवाला देकर उन्होंने कहा ,,ऐसे लोग जेल
जाएंगे ,,खुद को उन्होंने ,,सरकार के समकक्ष बताकर ,,,वकीलों के हक़ के लिए
,,खुले रूप से संघर्ष से भी इंकार किया ,,अब समझ में आता है ,,के कुछ लोग
बार कौंसिलर बनकर खुद को वकील समझना बंद कर ,खुद को अधिकारी समझने लगते है
,वकीलों का हिस्सा बनने की जगह ,,वोह वकीलों के हाकम बन कर रहना चाहते है
,,वोह वकीलों के हमदर्द कम सरकार के हमदर्द ज़्यादा हो जाते ,है इसीलिए
वकीलों के कल्याण कार्यों की जगह ,,वकीलों की डिग्रियां बुढ़ापे में एक
अपराधी की तरह खंगाली जाती है ,,उनसे अतिरिक्त चंदा लेकर उनकी प्रेक्टिस पर
प्रश्नचिन्ह लगाकर उन्हें नवीनीकरण के नाम पर अपमानित किया जाता है
,,वेलफेयर का हिसाब नहीं दिया जाता ,,साधारण सभा के नाम पर एक साल में एक
बार भी राजस्थान के वकीलों को एक जगह एकत्रित कर ,उन्हें की गयी कार्यवाही
,हिसाब किताब से अवगत नहीं कराया जाता ,उनके दुःख दर्द नहीं जाने जाते
,,उन्हें साधारण सभा बुलाकर बोलने का मौक़ा नहीं दिया जाता ,,,वकीलों के
जिला अभिभाषक परिषदों के अध्यक्ष ,,महासचिव ,कार्यकारिणी के सदस्यों को
बुलाकर उनसे राज्य के वकीलों की समस्याओ ,,वकीलों की कार्ययोजना पर कोई
सुझाव नहीं लिए जाते ,,वकीलों की साधारण सभा से बढ़कर बारकोंसिलर कैसे हो
सकते है यह लोकतांत्रिक प्रकिया नहीं ,,इसलिए मेरा सुझाव है ,मेरा प्रयास
होगा के बार कौंसिल नियमों में सुधार कर अविश्वास प्रस्ताव का भी प्रावधान
हो ,,वकीलों को अगर लगे के सदस्य वकीलों के खिलाफ फैसले ले रहे है तो उन्हे
,,वापस बुलाया जाने का प्रावधान हो ,ताकि निर्वाचित लोग वकीलों के प्रति
जवाबदेह रहे वोह निरंकुश नहीं हो ,मेरा प्रयास होगा ,,पुराने सभी फैसले जो
वकीलों को अपमानित कर उनकी मार्कशीटों ,की जांचें करने ,,उनकी सनद नवीनीकरण
के नाम पर राशि वसूली जैसी समस्याएं है उन्हें रद्द किया जाए ,,वकीलों को
परेशांन करने वाले सभी नियम ख़ारिज हो और वकीलों के एकेडमिक कार्य ,,उनके
कल्याणकारी कार्य ,,वकील प्रोटेक्शन नियम बनवाने सहित सभी प्रयास होंगे
,,में आपके बेशक़ीमती वोट का आकाँक्षी हूँ ,,मुझे प्रथम वरीयता का वोट देकर
इस लायक बनाये ,,ताके में क्षेत्रीयता का भेदभाव खत्म कर ,,छोटे बढे वकीलों
का भेदभाव खत्म कर ,,प्रति वर्ष एक साधारण सभा ,,प्रति तीनमाह में जिला
अध्यक्ष ,कार्यकारिणी की एक बैठक की बाध्यता वाले नियम भी बनवा सकूँ
,,,एडवोकेट अख्तर खान अकेला ,,प्रत्याक्षी बार कौंसिल ऑफ़ राजस्थान न्यायालय
परिसर कोटा राजस्थान प्रथम वरीयता के वोट का आकांक्षी ,,,

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