टी वी ऐंकर्स ,,नेताओ ,,डिबेट में बैठने वाले ,,लोगो ने ,, मुस्लिम तलाक़
संरक्षण विधेयक पढ़ा भी नहीं ,,कई सांसदों ने भी इसे पढ़ा नहीं ,,,अगर पढ़ते
तो कहते ,,विधेयक बिल नंबर 247 /2017 जो मूल सिर्फ डेढ़ पेज का है ,उसमे
महिलाओ को इन्साफ दिलाने के लिए विशेष त्वरित अदालतों का प्रावधान नहीं है
,भाजपा ने भी जम्मू कश्मीर को भारत का अंग नहीं माना है ,और इस विधेयक को
जम्मू कश्मीर के अलावा पुरे भारत में लागू करना कहा है , डेढ़ पेज के इस
विधेयक में इंसाफ़ नहीं ,,सिर्फ भ्रांतियां है जो अपराधी को अदालतों
में काफी फायदा पहुंचाएगी ,,मूल विधेयक डेढ़ पेज में बाक़ी सुप्रीमकोर्ट की
प्रस्तावना ,,अजीब मूर्खतापूर्ण विधेयक है ,खेर ज़िद थी ,,ज़िद हो गयी ,,शिया
,,सुन्नी के लिए भी कुछ नहीं है ,,,अब इस विधेयक पर प्रतिपक्ष राजयसभा में
क्या स्टेण्ड लेता है ,क्या चिंतन करता है ,,विधिक प्रावधानों
,,संवैधानिक प्रावधानों का क्या सहारा लेकर इसे संशोधित करवाने ,,या कमेटी
में भेजने के लिए अपनी बात कहता है ,,या सरेंडर हो जाता है ,,देखने की बात
है ,,,,डेढ़ अक़्ल देखिये विधेयक में यह भी स्पष्ट नहीं है के तलाक़ का तरीक़ा
क्या होगा ,,कैसे दिया गया तलाक़ सही मना जाएगा ,,,तलाक़ ऐ बिद्दत और सिमिलर
तलाक़ के नाम पर विधेयक में भ्रांतिया है ,,,,,तलाक़ के बाद खर्चे की
व्यवस्था है ,,,लेकिन अगर बिना तलाक़ के ही ,,,जैसे बढे बढे लोगो ने अपनी
पत्नियों को छोड़ रखा है ,,ऐसी महिलाओ को इंसाफ कैसे मिले ,,उन्हे कैसे
गुज़ारा खर्च मिले इसके लिए इस विधेयक में कुछ नहीं कहा गया है ,,,,,,विधेयक
में महर की राशि ,इद्दत ,,स्त्रीधन के लिए कुछ नहीं है ,विधेयक के ज़रिये
दूसरे क़ानूनो को वोइड इल्लीगल घोषित कर रिपील भी नहीं किया गया है ,,,,अजीब
ज़िद का भ्रामक क़ानून है यह ,,और जिन्होंने यह दो पेज का क़ानून नहीं पढ़ा
,,वोह ऐंकर इस क़ानून पर बहस कर रहे है ,,इस क़ानून पर वोह लोग बहस करते दिखे
,,जिन्होंने इस क़ानून को पढ़ना तो दूर इसकी झलक भी नहीं देखी है ,पेड़ न्यूज़
,,पेड़ वर्क ,,,यह पहला विधेयक है जिसके स्टेटमेंट ऐंड रीज़न बाद में
प्रकाशित है ,,वोह भी सम्पूर्ण नहीं है अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
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