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02 दिसंबर 2017

देश की सीमाओं की सुरक्षा के लिए ,,अपनी जान की परवाह किये बगैर ,,दुश्मनो को सबक़ सिखाने वाले ,बहादुर जांबाज़ सिपाही ,,चेतन चीता

देश की सीमाओं की सुरक्षा के लिए ,,अपनी जान की परवाह किये बगैर ,,दुश्मनो को सबक़ सिखाने वाले ,बहादुर जांबाज़ सिपाही ,,चेतन चीता ,,गंभीर घायल अवस्था में इलाज के बाद ,,कल कोटा उनके अपने ग्रह ज़िले पहुंचे ,,,,,केंद्र सरकार ,,राजस्थान सरकार को ऐसे जांबाज़ सिपाही को स्टेट गेस्ट ,,की सुविधाएं देकर ,सम्मानित करना चाहिए था ,,लेकिन केंद्र और राजस्थान सरकार ने ,,इस जांबाज़ सिपाही की बहादुरी को सलाम करना तो दूर इनका सम्मान करना भी मुनासिब नहीं समझा ,,अगर चेतन चीता को ,,राजस्थान सरकार स्टेट गेस्ट ,,का सम्मान देती ,तो एक प्रोटोकॉल उनकी अगवानी के लिए होता ,,,,एयरपोर्ट पर ,,सरकार के प्रतिनिधि के रूप में जिला कलेक्टर सहित कई लोग उनके सम्मान में स्वागत में शामिल होते ,,लेकिन अफ़सोस ,,,मीडिया ने इस मामले को देखा ही नहीं ,समझा ही नहीं ,,इस मुद्दे को उठाया ही नहीं ,,ऐसा क्यों हुआ ,इसका पोस्टमार्टम अगर कोई निष्पक्ष मिडिया कर्मी होगा तो करेगा ,,वरना हज़ारो हज़ार बेअदब गुस्ताखियों की तरह सरकार की यह गुस्ताखी भी ठंडे बस्ते में बंद हो जायेगी और निष्पक्ष पत्रकारिता फिर कोटा में भी ,दागदार ,,बिकाऊ छवि वाली हो जायेगी ,,काश ऐसा न हो ,,कोई निष्पक्ष पत्रकार बेबाकी से ,,इस मामले में एक इन्वेस्टिगेशन स्टोरी तैयार करे ,,सरकार की आँखे खोले ,,ताके देश की सरहदों पर मर मिटने का जज़्बा रखने वाले जांबाज़ सिपाहियो ,,का हौसला ठंडा न हो ,,उनका सम्मान ,, उनका मर्तबा कम न हो ,और उनका इक़बाल हमेशा बुलंद रहे ,,लेकिन क्या ऐसा हो सकेगा ,,देखते है चौबीस घंटे के बाद ,,निष्पक्ष पत्रकारिता ,,या फिर ,,,,,,,,,,,,अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

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