वकील वोटर्स को यूँ बदनाम न कीजिये ,,उनकी निष्पक्षता पर यूँ प्रश्न
चिन्ह न लगाइये ,,,बार कौंसिल चुनाव में खर्च का डर बताकर वकीलों के आम
नेतृत्व को हतोत्साहित न करें ,, ,,कोटा ,,बूंदी ,,बारां ,,झालावाड़
,,राजस्थान के विभिन्न ज़िलों के साथ अधिवक्ता भाइयों के आग्रह पर
,,राजस्थान बार कौंसिल चुनाव 2018 के लिए मेने भी उम्मीदवारी जताई ,,कोटा
सहित कई ज़िलों के साथियों ने वोट देने ,,समर्थन देने का आश्वासन दिया
,,लेकिन अफ़सोस जब हुआ जब कुछ लोग ,,उम्मीदवारी पर प्रसन्नता जताने आये और
सलाह के रूप में कमसे कम दस लाख रूपये
खर्च करने का इन्तिज़ामा करने को कहा ,,में समझा नहीं ,,आखिर वकीलों के
चुनाव में आने जाने के पेट्रोल ,,डीज़ल ,,खर्च के अलावा कोनसा ऐसा खर्च है
जो ,,खर्चा न्यूनतम दस लाख बताया गया है ,,मुझे पता है ,,,वकील वोटर्स ऐसी
व्यवस्थाओ को हतोत्साहित करते है ,,जो भामाशाह बनकर ,,जो अमीर बनकर ,,लटके
झटके बताकर चुनाव लड़ते है ,चुनाव जीतते है ,क्योंकि अभी वर्तमान हालातो में
वकील साथियों ने देख लिया ,,ऐसे लोगों ने सिर्फ वकीलों सदस्यों पर ही
बंदिशे लगाई है ,,वकीलों को चोर बनाया है ,,उनकी डिग्रियों की जांच ,,उनके
वकालत के लाइसेसं का नवीनीकरण की बाध्यता ,,,बार कौंसिल की आज़ादी
,,लोकतंत्र खत्म कर वहां प्रशासक की नियुक्ति ,,वकीलों की कल्याणकारी
योजनाओ की क्रियान्विति से परहेज़ ,वकीलों को रोज़गार ,स्टाई फंड योजना पर
गौर नहीं करने सहित कई मनमानियाँ ,, हुई है ,,वकीलों ने अगर अपना हक़ माँगा
तो उन्हें लक्ष्मण रेखा के बाहर नहीं जाने के आदेश देकर प्रताड़ित किया गया
है ,,ऐसे में वकील साथी समझ गए है ,खर्च करने वाले लोग ,,,वोट लेकर जीत तो
जाते है लेकिन फिर वकील सदस्यों की दुर्गति क्या होती है ,,वकील साथी खूब
समझ गए है ,,,अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
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