साहिब को अपनी पार्टी से ज़्यादा फ़िक्र कांग्रेस की ताजपोशी की है ,,साहिब
के दिमाग में औरंगज़ेब तो है ,लेकिन साहिब ने आयना नहीं देखा ,,साहिब ने
अपने गिरेहबान में नहीं झाँका ,,साहिब को याद है ,,शाह को शहंशाह बनाने के
लिए ,,क्या भाजपा की लोकतांत्रिक प्रक्रिया अपनायी थी ,,क्या शाह की जगह
किसी और नेता ने आवेदन भरा था ,,क्या वोट डाले गए थे ,,क्या वोटर्स दिल्ली
पहुंचे थे ,,,नहीं ना ,,तो भाई शाह को शहंशाह बनाकर ,उनके पुत्र को मुनाफे
का शॉर्टकट बादशाह बनाकर ,,,दूसरी पार्टी में ,जहाँ चुनाव
प्रक्रिया तीन माह से चरणबद्ध चल रही है ,,निर्वाचन अधिकारी है ,पार्टी के
संविधान के हिसाब से सभी प्रदेश इकाइयों ने एक स्वर में समर्थन दिया है
,,निर्वाचित प्रतिनिधियों ने जो वोटर है उन्होंने एक आवाज़ निकाली है
,,लेकिन उद्योगपति शहज़ाद पुनावाले साहिब को आप आगे करके उनकी पीठ थपथपा रहे
हो ,,खुद के गिरेहबान में तो झांक नहीं रहे ,,खुद का स्वभाव औरंगज़ेब में
मिलाकर देखो ,,औरंगज़ेब ने अपने पिता को क़ैद किया था ,,उनसे राज छीना था
,,आपने भी तो अपने पिता तुल्य गुरु आपको प्रोजेक्ट करने वाले आडवाणी से
धोखा किया है ,उन्हें राजनीतिक किया है ,,औरंगज़ेब अपने निजी परिवार खर्च
में शासन का एक रुपया भी खर्च नहीं करता था उलटे ,,अपनी और परिवार की
आजीविका चलाने के लिए तस्बीह ,,टोपियां बनाकर उनकी बिक्री से खर्च चलाता था
,,आप भी तो ऐसी ही ईमानदारी बरत रहे है लोगो के मुताबिक़ ,,आप ने भी तो
,पिता तुल्य गुरूजी आडवाणी ,मुरलीमनोहर को दरकिनार कर सियासी क़ैद में
बामुशक़्क़त डाल रखा है ,,,,,तो फिर औरंगज़ेब युग एक राहुल के कांग्रेस विधान
के अनुरूप निर्वाचित होने से आया है या फिर आप के गिरेहबान में झाँकने के
बाद आया है ,,,,,अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
दोस्तों, कुछ गिले-शिकवे और कुछ सुझाव भी देते जाओ. जनाब! मेरा यह ब्लॉग आप सभी भाईयों का अपना ब्लॉग है. इसमें आपका स्वागत है. इसकी गलतियों (दोषों व कमियों) को सुधारने के लिए मेहरबानी करके मुझे सुझाव दें. मैं आपका आभारी रहूँगा. अख्तर खान "अकेला" कोटा(राजस्थान)