काश अभी चुनाव आयुक्त टी ऍन शेषन होते ,,,,,,,,,,ऐसे माहौल में
प्रधानमंत्री ,,सहित दूसरे मंत्रियों और सांसद अमितशाह का इस्तीफा लेकर
,,जेल भेज दिया होता ,,,, लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम के सभी प्रावधानों की
गुजरात चुनाव प्रचार में धज्जियां उड़ाई जा रही है ,,नफरत का माहौल ,,धर्म
,मज़हब ,मंदिर ,,मस्जिद ,जनेऊ तक का प्रचार चल रहा है ,,हालात में नफरत
फैलाने की साज़िशे है ,,आम कार्यकर्ता की तो बात अलग है ,संवैधानिक पदों पर
बैठे लोग इस नफरत ,,धर्म ,,मज़हब के जुमलों को चुनाव प्रचार में इस्तेमाल
कर रहे है ,,राहुल को खिलजी वंशज तो कोई क्या बता रहा है ,,टी ऍन शेषन ने
ऐसी हिमाक़त करने वाले ,,सो से भी ज़्यादा ,,,सांसद ,,गवर्नर ,,मंत्री
,,केबिनेट मंत्रियों तक के इस्तीफे ले लिए थे ,,उन्हें जेल भेजने के लिए
उनके खिलाफ परिवाद भी पेश किये गए थे ,,लोकप्रतिनिधित्व अधिनियम आज टी ऍन
शेषन के कार्यकाल से भी ज़्यादा सख्त हो गया है ,,सुप्रीमकोर्ट के फैसलों
में अनेको टिप्पणियां है ,,कोटा में तो धर्म के प्रचार से संबंधित मामले
में ,,राजस्थान सरकार के पूर्व मंत्री स्वर्गीय ललित किशोर चतुर्वेदी के
निर्वाचन पर ,,हाईकोर्ट ने रोक भी लगा दी थी ,,,देश में सुप्रीमकोर्ट ने
चुनाव प्रचार में धर्म ,,आस्थाओ का उपयोग करने पर कई चुनाव रद्द भी किये है
,,लेकिन अफ़सोस निर्वाचन आयोग पहली बार ,,लोकतंत्र के इस धर्मयुद्ध में
,,,अधर्म होता देख रहा है ,खुद अंधा बना हुआ है ,,टी वी चैनल ,अख़बार जिस
तरह का पम्पलेट ,या पार्टी के प्रचारक कार्यकर्ता बनकर प्रचार कार्यो में
जुटे है ,,पेड़ न्यूज़ बता रहे है ,,निर्वाचन नियमों के तहत ऐसे लोगो की जगह
जेल में होना चाहिए ,,लेकिन अफ़सोस ,,कुर्सी के लिए कुछ भी करेगा ,,का नारा
देने वाले इन लोगो को ,निर्वाचन आयोग का खुला सपोर्ट है ,,गुजरात में चुनाव
प्रचार के तरीक़ो पर अब तक तो साहिब की कुर्सी छीन जाना चाहिए थी ,,,जो लोग
पुराने है ,टी ऍन शेषन का काल जिसने देखा ,है सभी को पता ,है ,,शेषन के
कार्यकाल में कई केंद्रीय मंत्रियों के इस्तीफे लेकर उनके खिलाफ परिवाद पेश
किये गए थे ,,,,लेकिन आज चुनाव आयोग दुर्योधन के पिताश्री के रूप में है
,,,इसे ही शायद कलियुग कहते है ,चुनाव आयुक्त , पर्यवेक्षक खुद अब तक के
अख़बार ,,टी वी चेनलो ,,सोशल मिडिया की खबरों ,,नेताओं के भाषणों को देखले
,,,पता चल जाएगा ,,देश को हम किस दिशा में ले जा रहे है ,,देश में किस तरह
का निर्वाचन स्वभाव तैयार कर रहे है ,,फिर रोज़ी ,,रोटी ,,भूख ,गरीबी ,विकास
के मुद्दे निर्वाचन कार्यक्रमों में अगर गौण हो गए तो देश का विकास कैसे
और क्यूँकर होगा ,,,,,,अख्तर
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