किसी की शख्सियत उसके किरदार से झलकती है और ,,किरदार अगर इफितखार कुरैशी
पत्रकार का हो तो सच ,पत्रकारिता की रूह में एक ईमानदारी की खुशबु ,,महनत
और लगन की सीख नज़र आती है ,,जी हाँ दोस्तों में बात कर रहा हूँ
,,,,,,राजस्थान की पिंक सिटी जयपुर में पत्रकारिता की महकती खुशबु ,,पीड़ित
,शोषित्त ,,उपेक्षित ,,मज़लूम लोगो के दिलों की धड़कन ,,,किरदार अख़बार के
सम्पादक मेरे बढे भाई इफ्तिखार कुरैशी साहिब की ,,,उनके मज़बूत इरादे
,,कहते है ,,,,,,हर रोज़ गिरकर भी ,,मुकम्मल खड़े है ,,ऐ ज़िंदगी देख ,,मेरे
हौसले तुझ से भी बढे है ,,,हौसले के तरकश में कोशिश का वोह तीर ज़िंदा रखो
,,हार जाओ चाहे ज़िंदगी में सब कुछ ,,मगर फिर से जीतने की जुस्तजू ज़िंदा रखो
,,,इफ्तिखार कुरैशी ,पत्रकारिता की एक जुस्तजू ,,एक दीवानगी ,,एक महनत
,,एक लगन ,,एक संघर्ष की दास्तान है ,,,क़रीब पचास साल पहले उंगलियों में
क़लम थामकर ,,लोगो का दुःख दर्द बांटने वाले इस इंक़लाबी शख्सियत ने प्रशासन
,,मंत्री ,,सरकारों को झुकाया ,,छकाया है ,,अपनी पुरज़ोर लेखनी से ,,,शोषित
और उत्पीड़ितों को इन्साफ देने के लिए ऐसी प्रशासनिक शख्सियतों को मजबूर
किया है ,,जिनके सामने खर्डे रहने की हिम्मत भी कोई नहीं कर सकता था ,,कुछ
साल पत्रकारिता के अनुभव के बाद जब ,,मालिकों का खबरों के मामले में
,,सरकार ,,उनके नुमाइंदे ,,उद्योपतियों ,व्यवसाइयों से ,,व्यापारिक अनुबन्ध
का खुला देखा नंगा खेल देखा ,,तो भाई इफ्तिखार कुरैशी ने खुद का अपना
अख़बार ,,देश ,,समाज ,,और पत्रकारिता को एक नया किरदार देने के लिए ,,किरदार
के नाम से ,एक अख़बार निकाला ,जो दैनिक भी रहा ,,साप्ताहिक ,,,पाक्षिक और
मासिक मैगज़ीन की शक्ल में भी रहा ,,अब किरदार इलेक्ट्रॉनिक चैनल भी हमारे
बीच है जबकि किरदार ऑन लाइन समाचार पत्र भी है ,,इंद्रा गाँधी ,,चौधरी चरण
सिंह ,,चंद्रशेखर ,,वीपी सिंह ,,के कार्यकाल में पत्रकारिता के इस किरदार
ने ,अपना एक नया किरदार बनाया ,,मोहनलाल सुखाड़िया ,,बरकतुल्ला खान
,,भैरोसिंह शेखावत ,,हरिदेव जोशी ,,शिवचरण माथुर कोई भी मुख्यमंत्री हो
सभी से इफ्तिखार कुरैशी ने ,जनहित में ज़बरदस्त लोहा लिया है ,,अख़बार के
अनुभव में ,,ट्रेडिल पर कम्पोज़ करके अख़बार निकालने से लेकर ,ऑफसेट प्रेस पर
कम्प्यूटर व्यवस्था ,फिर मल्टी कलर आधुनिक मशीनों से निकलने वाले प्रिंट
मिडिया के अनुभवी ,, इफ्तिखार कुरैशी साहिब ने ऑन लाइन अख़बार फिर
इलेक्ट्रॉनिक चेनल के भी गुर सीखे ,,है ,,आपात काल के वक़्त अखबारों पर जब
पाबंदी थी तब भी ,इफ्तिखार कुरैशी ने एक नामाबर की तरह ,,कंधे पर एक लटकने
वाला कपड़े का थेला ,,पेन डायरी ,,और कुछ अख़बार ,,रखकर ,कई महीनो का
पत्रकारिता सफर पुरे राजस्थान के हर ज़िले हर गाँव में किया है ,,हालात देखे
है और पत्रकारिता के सेंसर काल में भी इफितखार भाई ने सरकार से ,, ज़बरदस्त
लोहा लिया है ,अनेकों बार इन्हे अपनी बेबाक लेखनी के करना सरकार की
मुसीबतो का सामना करना पढ़ा है ,,लेकिन यह कभी झुंके नहीं ,,टूटे भी तो
बिखरने से पहले ,,अपने पाठको के स्नेह ,,प्यार और उनके हौसले से यह सम्भल
गए ,, पत्रकारिता के लम्बे संघर्ष के बाद ,,जब यह ,,मुक़द्दस सफर हज के लिए
रवाना हुए ,,तो इफ्तिखार भाई ने हज के सफर की दुश्वारियां ,,हज के मुसाफिर
को अज्ञानता के कारण आने वाली परेशानियों का हाल एक पत्रकार की निगाह से
जाना ,,बस इन्होने संकल्प लिया अब हज के मुसाफिरों को ,सफर के पहले ही
तरबियती केम्प लगाकर ,तरबियत देकर ही इस पाक मुक़ददस सफर के लिए रवाना
करेंगे ,,भाई इफ्तिखार ने अपने कुछ दोस्तों से इस मांमले में चर्चा की ,और
जयपुर में ,,किरदार चेरिटेबल ट्रस्ट का गठन किया ,,हर साल हज तरबियती केम्प
के लिए सरकारों पर दबाव बनाया ,,किरदार चेरिटेबल ट्रस्ट की तरफ से
,,किरदार हज गाइड ,,का हिन्दू ,,उर्दू ,इंग्लिश जुबां में किया ,,जिसे
प्रस्तावित हजयात्रा के लिए ,,हज गाइड के रूप में सभी हाजियों को
,,इफ्तिखार भाई की तरफ से फी सबीह लिल्लाह तक़सीम की गयी ,,इफ्तिखार भाई
खिदमत ए ख़ल्क़ में लग चुके है ,उन्हें यह दुनिया बेगानी सी लगती है ,लेकिन
वोह क़लम की ताक़त को जानते है ,इसलिए उनके विनम्र लहजे ,,तहज़ीबी किरदार
,,भाईचारा ,,हौसला ,,मोहब्बत के स्वभाव के साथ ,,आज भी क़लम उनकी ताक़त
,,उनका रामबाण हथियार है ,,खिदमत के जज़्बे में ,इफ्तिखार भाई दो क़दम आगे
और बढे ,,उन्होंने महनत कश बच्चो ,,ईमानदार समाजसेवियों ,,संघर्ष शील
शख्सियतों को हौसला देने ,, उनका मार्गदर्शन दुसरो तक कढ़ी से कढ़ी मिलाकर
पहुंचाने के लिए ,,बीस साल से लगातार ,,एक सम्मान समारोह लगातार जारी रखा
,,जिसमे महनत कश प्रतिभाओ को शाबाशी ,,समाजसेवकों की हौसला अफ़ज़ाई ,,और
आगंतुकों को एक प्रेरणा देने का काम ,,भाई इफ्तिखार लगातार कर रहे है ,,एक
तेज़ तर्र्रार ,,निर्भीक निष्पक्ष ,,क्रांतिकारी पत्रकार के रूप
,,पत्रकारिता का सफर शुरू करने वाले भाई इफ्तिखार जिनकी क़लम से एक वक़्त सभी
लोग खौफ खाते थे ,हज के बाद वोह विनम्र हुए ,,हज सेवक बने ,,समाजसेवक् बने
,,अब एक साधू ,,एक संत की तरह ,अपनी पत्रकारिता के माध्यम से देश की समाज
की सेवा कर रहे है ,,लोगो को मार्दर्शन देकर उन्हें हौसला दे रहे है
,,शिक्षा जागृति ,समाजसेवा ,,मरीज़ों को इलाज ,,दवाये ,,बुज़ुर्ग ,,विधवाओं
को पेंशन ,,ज़रूरत मंदो की ज़रूरत पूरी करने के सभी साजो सामान उन तक कैसे
पहुंचे ,,इफ्तिखार अपनी क़लम की ताक़त से इन ज़रूरतो को पूरा करने की कोशिश
में जुटे है और जो कुछ वोह अर्जित करते है वोह हर साल ऐसे कल्याणकारी
,,हौसला अफ़ज़ाई कार्यक्रमों के आयोजन के साथ वोह लोगो में बाँट कर ,खुद को
खुश कर लेते है ,,पत्रकारिता के संघर्ष में हर अनुभव ,,हर पड़ाव के दौर से
गुज़रे इस अनुभवी पत्रकार की अगली पीढ़ी इनके पुत्र नसीमुद्दीन भी अब
इफ्तिखार भाई के खिदमत के इस पैगाम को आगे बढ़ा रही है ,,मुझे मेरे इस
क्रन्तिकारी पत्रकार ,,जिनका गुस्सा ,,जिनका जलवा ,जिनकी क़लम की गर्माहट
,,जिनकी क़लम से आहत लोगो को इनके क़दमों में पढ़ते हुए मेने देखा है ,,इस
क्रांतिकारी को एक हज सेवक के रूप में खिदमतगार बनते मेने देखा है ,मेने
पत्रकारिता के इस क्रांतिकारी सिपाही को विनम्र लहजे में लोगो की खिदमत
करते देखा है ,एक समाजसेवक बनकर ,,एक साधु ,,एक संत ,एक फ़क़ीर बनकर घरफूंक
तमाशा करते देखा है ,मेरे बढे भाई इफ्तिखार कुरैशी के इस जज़्बे को सलाम
,,खुदा इनके ,जज़्बे ,इनके हौसले को सलामत ,रखे ,इन्हे उम्रदराज़ ,,इन्हे
सेहतयाब रखे ,,,,,आमीन ,,,सुम्मा आमीन ,,अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
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