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05 नवंबर 2017

विश्व के सबसे बढे लोकतंत्र के लिए यह एक काला धब्बा ,,है ,

विश्व का सबसे बढ़ा लोकतंत्र ,,,,भारत देश ,,और इस लोकतंत्र की राजधानी का निज़ाम निर्वाचित मुख्यमंत्री होने पर भी एक नौकर के हाथ में हो तो विश्व के सबसे बढे लोकतंत्र के लिए यह एक काला धब्बा ,,है ,,जी हाँ दोस्तों में बात कर रहा हूँ ,,भारत की राजधानी दिल्ली की ,,जहाँ विधायक है ,,मुख्यमंत्री है ,,लेकिन मुख्यमंत्री को किसी भी तरह के कोई स्वायत्ता के अधिकार नहीं ,है ,,वहां उप राज्यपाल को ही पुरे अधिकार है ,,अब तो देश के सर्वोच्च न्यायालय ने भी यह स्पष्ट कर दिया है ,,ऐसे में विश्व के सबसे बढे इस कलंक को मिटाने के दो ही तरीके है ,,देश की राजधानी बदल कर या तो दिल्ली के स्थान पर राजस्थान के कोटा को बना दिया जाए ,,या फिर दिल्ली के लोकतंत्र को आज़ाद कर मुख्यमंत्री को दूसरे राज्यों की तरह स्वायत्ता दिलवाने के लिए ,,वकील ,,पत्रकार ,,लेखक ,,चिंतक ,,विधायक ,,सांसद सभी एक स्वर में आवाज़ उठाये ,,और दिल्ली को आज़ाद कराये ,,हमे ऐसा कोई भी राज्य ,,ऐसा कोई भी शहर ,,,देश की राजधानी के रूप में क़ुबूल नहीं जो खुद आज़ाद नहीं हो ,,एक नौकर के इशारे पर चलने वाला शहर ,,या राज्य हो जहाँ निर्वाचित मुख्यमंत्री की स्थिति एक मूकदर्शक से अधिक न रहे ,,ऐसी राजधानी हमे नहीं चाहिए ,,अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

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