हुज़ूर स अ व् ने क़ुरआन के ज़रिये अल्लाह के फरमान में बताया है ,,हर बुराई
का विरोध करो ,,ताक़तवर हो तो बुराई को ताक़त से रोक दो ,,कम ताक़तवर हो तो
जुबान से अल्फ़ाज़ों से उस बुराई को बुरा कहो ,,अगर कमज़ोर हो ,,ख़ौफ़ज़दा हो तो
,,दिल में इस बुराई को बुरा कहकर अपना फ़र्ज़ निभा लो ,,,दोस्तों आज कोई
कमज़ोर नहीं ,,कोई किसी का क़र्ज़दार नहीं ,,,फर्माबरदार है तो सिर्फ अल्लाह
और उसके रसूल के बताये हुए रास्ते पर चलने के लिए ,,,हुज़ूर स अ व की सीरत
के जलसो का महीना ,ईद मिलादुन्नबी की आमद हो रही है ,,इस माह में सभी लोग
दिल से हुज़ूर स अ व् की सीरत का बयान करेंगे ,,लेकिन कुछ लोग है ,जो आदत
बाज़ नहीं आएंगे ,,सीरत के जलसो को ,,सीरत के नाम पर कुछ जलसों को सियासी
रंग देने की कोशिशों में जुटेंगे ,,सियासत भी ऐसी ,,के हमारे अपने लोगो में
बंटवारा हो ,हमारे अपने लोगो को एक दूसरे से अलग कर गुटबाज़ी को बढ़ावा मिले
,,ऐसे में हमे देखना होगा ,ऐसे जलसे ,,जो सीरत के नाम सियासत से जुड़े हो
,इन जलसो में ,,मज़हबी लोग ,,मज़हबी ज़िम्मेदारां ,,के अलावा अगर सियासी लोगो
को दावत दी जाए ,,तो गुटबाज़ी से अलग हठ कर सभी लोगो को प्यार ,अमन के पैगाम
के साथ ,सुलह समझौते के साथ ,,,खुद जाकर ऐसे जलसो के पैगाम ऐ आमद का
दावतनामा दिया जाए ,,वरना सियासी लोग ,,सियासत का खेल खेलने वाले लोग ऐसे
सीरत के जलसो को हमे आपस लड़ाने ,,एक दूसरे से एक दूसरे को नीचा दिखाने की
कोशिशे करते है ,इसे बुलाया ,,उसे छोड़ा ,,बुलाने नहीं गए ,,जो हक़दार है उसे
भी नहीं बुलाया जाता क्योंकि ऐसे शख्स को ,,आमद का हक़दार होने के बाद भी
सिर्फ इसलिए नहीं बुलाया जाता क्योंकि ऐसे सियासी जलसो के आयोजक ,,सिर्फ
फितना फैलाना चाहते है ,,कॉम को बांटना चाहते है ,एक दूसरे को नीचा दिखाकर
सियासी फायदा उठाना चाहते है ,,दोस्तों सभी का अख़लाक़ी फ़र्ज़ है ,सीरत के
नाम पर सियासी जलसे जहां मोहब्बत का पैगाम हो ,,पर वहां मोहब्बत नहीं
,,यकजहती नहीं सिर्फ और सिर्फ गुटबाज़ी हो शरारत हो ,ऐसे फ़ितनो से हमे दूर
रहना होगा ,,हमे ऐसे लोगो को समझाना भी होगा ,,,,मुक़ामी लोग हम सब भाई भाई
है ,,कोई भी जलसा हो अगर उसका सियासी रूप हो तो ,सभी हक़दार सियासी लोगो के
पास दावत नाम इज़्ज़त के साथ पहुंचे ,,उनके नाम शामिल हो फिर अगर वोह खुद न आ
पाए तो उसका वाजिब कारण हो तो कोई बात नहीं ,,लेकिन बिना वाजिब वजह के वोह
अगर नहीं आये तो ऐसे शख्स की भी मज़म्मत होना चाहिए ,,हमे एक होना ,,है
,,हमे नेक होना ,है ,सीरत के जलसो का पैगाम हमे एक दूसरे के साथ रहना है
,,प्यार बांटना है ,,हमे मोहब्बत बांटना है ,,,,नफरत को खत्म कर हमे
,यकजहती का ,,सीरत के पैगाम के ज़रिये अटूट जज़्बे का माहौल बनाना है ,सीरत
के जुलूसों में फ़िज़ूल खर्ची न हो ,,खाने पीने के सामान ज़मीन पर गिराकर
बेहुरमती न हो ,खाने पीने के सामान बेवजह जाया होकर खराब न हो ,क्योंकि जो
रईस है उसके लिए तो सिर्फ खर्च करना मक़सद है ,किस तरह से खर्च हो ,,किस तरह
से रखरखाव ,,हो ,इसका इल्म उसे सीरत की नसीहतों के जानकारों को ही सिखाना
होगा ,,,मोहब्बत के अलम्बरदारो ,,सीरत के जलसो के ज़रिये ,,नसीहते बांटकर
,,कॉम को इस्लामिक फ़र्ज़ सिखाने वालों ,,गैर मज़हबी लोगो को भी सीरत की
नसीहते बताकर उन्हें अपना दोस्त बनाने वालो ,,,महरबानी करो ,महरबानी करो ,
सीरत के जलसों को गुटबाज़ी ,,एक दूसरे को नीचा दिखाने की सियासत से मत जोड़ो
,,खुदा आपका सियासी वुजूद दे ,,आप सियासत में कामयाब हो ,,यह अलग बात ,है
,लेकिन सीरत के जलसों के नाम पर ऐसा कर कॉम को गुमराह न करो ,हुज़ूर स अ व्
की नसीहतों की नाफ़रमानी मत करो ,,एक हो जाओ ,,नेक हो जाओ ,,हिलमिल कर
,मिलजुल कर अपने सीरत के जलसे जुलुस करो ,,फिर चाहे अलग अलग सियासत ,,अलग
अलग गुटों में बंट जाओ ,,मज़हब एक है इसलिए मज़हबी जलसो ,,मज़हबी नशिस्तों में
एक रहो ,,सियासत में तुम आज़ाद हो ,,जहाँ चाहो चले जाओ ,,लेकिन सीरती जलसे
,,खासकर वोह जिसमे सीरत का नाम हो ,,जिसमे मोहब्बत के पैगाम का नाम हो
,जिसमे हुज़ूर स अ व् का पैगाम देने की मंशा हो ऐसे जलसो में तो कमसे कम सभी
को बुलाओ ,,सभी को उनका अख़लाक़ी हक़ देकर यकजहती का पैगाम दो ,,खुद भी अपनी
आख़िरत सुधारो ,दुसरो की आख़िरत भी सुधरे ,,कुछ ऐसा पैगाम देकर जाओ जो याद
रहे ,,जो याद रहे ,,,,अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
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