नेताजी सुभाष चंद्र बॉस आज़ाद हिन्द फौज की स्थापना करना चाहते थे। द्वितीय
विश्व युद्ध के दौरान जर्मनी ने जिन ब्रिटिश सैनिको को कैद किया था, उनमें
भारतीय सैनिक भी थे। 1941 में जर्मन की क़ैदियों की छावणी में नेताजी ने
इन्हे सम्बोधित किया तथा अंग्रेजो का पक्ष छोड़ आजाद हिन्द फौज में शामिल
होने के लिए प्रोत्साहित किया। यह समाचार अखबारों में छपा तो जर्मन में रह
रहे भारतीय विद्यार्थी आबिद हसन साफरानी ने अपनी पढ़ाई छोड़ नेताजी के
सेक्रेट्री का पद सम्भाल लिया। आजाद हिन्द फौज के सैनिक
आपस में अभिवादन किस भारतीय शब्द से करे यह प्रश्न सामने आया तब हुसैन
ने”जय हिन्द” का सुझाव दिया।आबिद हुसैन द्वारा दिया गया जय हिन्द का नारा
,,हिंदुस्तान की सभ्यता ,,अटूट एकता को ज़िंदाबाद करता है ,,लेकिन कुछ
गद्दार लोग इस नारे को लुप्त कर दूसरे नारे लगा रहे है सिर्फ इसलिए के यह
नारा आज़ादी के दीवाने ,,सुभाषचंद्र बोस के वक़्त ,,आबिद हसन साफरानी ने दिया
था ,,,जो लोग ,,जिनके पूर्वज कभी आज़ादी के आंदोलन में नहीं थे वोह लोग अब
इस ,,जय हिन्द ,,को भुलाकर दूसरे नारो से देश चलाना चाहते है ,,,अख्तर खान
अकेला कोटा राजस्थन
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