देश के बिकाऊ मिडिया ,,देश के किराए के भाँडो ,,देश की झूंठ के मददगारों
,,ज़रा दिल पर हाथ रखकर मिडिया वाले ,,सोशल मीडिया के भक्तजन वाले ,,,एक बात
बताये ,,,पुरे तीन साल में उन्होंने मीडिया में देश के रोज़गार ,,आर्थिक
हालात ,,महंगाई ,,गरीबी ,,विकास योजनाओ ,,रचनात्मक निर्माण पर बहस होती
देखी या सुनी है सिर्फ और सिर्फ ,,मंदिर ,,मस्जिद ,गांय ,,गो रक्षा
,,धर्मपरिवर्तन ,,तीन तलाक़ ,,हिन्दू ,,मुस्लिम ,,नफरत ,,वन्देमातरम
,,राष्ट्रगान ,,आतंकवादी ,,सहिष्णुता ,,असहिष्णुता मामलों में ही तीन साल
का टीवी ,,अख़बार पैक हो गया ,,सोशल मीडिया में तो भांड बैठे ही ही ,खेर
रोटी ,,कपड़ा ,,मकान ,,देश की सुरक्षा ,,पर कोई रचनात्मक बात हो ,,रोज़गार
मिल जाए , पुराने उद्योग बंद होने की जगह चालू होने लगे ,,नए उद्योग खुल
जाए ,,गरीबो को रोटी ,,किसानो का फसल के उचित दाम ,,एक के बदले दस सर आ जाए
,,चीन चारो खाने चित हो जाए तो बता ज़रूर देना ,,अख्तर
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